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Pithoragarh News: सिस्टम की गुगली से बोल्ड हुआ अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Mon, 24 Nov 2025 10:34 PM IST
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पिथौरागढ़ में अपने स्कूटर पर डिपोजल गिलास और कटोरे बेचते अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद
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पिथौरागढ़। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर खेलों में भविष्य बनाने के लिए कई सरकारी योजनाएं संचालित हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों की उपेक्षा हो रही है। सीमांत जिले के कनालीछीना के अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी इसके भुक्तभोगी हैं। उपेक्षा ऐसी कि यह दिव्यांग क्रिकेटर आज परिवार पालने के लिए सड़कों पर डिस्पोजेबल गिलास और प्लेटें बेचने के लिए मजबूर हैं।
कनालीछीना के ख्वांकोट निवासी दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में देश का गौरव बढ़ा चुके हैं। बीएड करने के बाद भी दिव्यांग क्रिकेटर के लिए बैकलॉग कोटा लागू न होने से शिक्षा विभाग में नौकरी नहीं मिली। राजेंद्र की प्रतिभा को देखते हुए वर्ष 2022 में उन्हें स्पोर्ट्स स्टेडियम में अस्थायी तौर पर पैरालंपिक कोच के तौर पर तैनाती दी गई। धामी को उम्मीद थी कि अब आसानी से वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकेंगे लेकिन उनकी यह उम्मीद तब टूट गई जब दो साल बाद ही उन्हें सेवा से बाहर करने का फरमान सुना दिया गया।
ऐसे में धामी के सामने परिवार के पालन-पोषण की चुनौती खड़ी हो गई। कोई सरकारी मदद न मिलने से वर्तमान में वह राजेंद्र नगर की सड़कों पर अपने स्कूटर में डिस्पोजल गिलास और कटोरे बेचने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि अपने ही राज्य में एक तरफ दिव्यांग खिलाड़ियों की उपेक्षा हो रही है दूसरी तरफ खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के दावे हो रहे हैं।
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कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं राजेंद्र
राजेंद्र कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। चार साल पूर्व रुद्रपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक क्रिकेट प्रतियोगिता में उन्होंने बतौर भारतीय टीम के कप्तान के रूप में हिस्सा लिया था। इसमें टीम उप विजेता रही थी। वर्ष 2019 में काठमांडो में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी उन्होंने हिस्सा लिया था।
कोट
अस्थायी कोच की तैनाती के लिए हर बार नई विज्ञप्ति निकलती है। पिछली बार विज्ञप्ति निकलने पर दो पैरालंपिक खिलाड़ियों ने कोच के लिए आवेदन किया था। दूसरे खिलाड़ी के नंबर अधिक होने से राजेंद्र सिंह धामी का चयन नहीं हो सका। - अनूप बिष्ट, जिला क्रीड़ा अधिकारी, पिथौरागढ़
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कनालीछीना के ख्वांकोट निवासी दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में देश का गौरव बढ़ा चुके हैं। बीएड करने के बाद भी दिव्यांग क्रिकेटर के लिए बैकलॉग कोटा लागू न होने से शिक्षा विभाग में नौकरी नहीं मिली। राजेंद्र की प्रतिभा को देखते हुए वर्ष 2022 में उन्हें स्पोर्ट्स स्टेडियम में अस्थायी तौर पर पैरालंपिक कोच के तौर पर तैनाती दी गई। धामी को उम्मीद थी कि अब आसानी से वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकेंगे लेकिन उनकी यह उम्मीद तब टूट गई जब दो साल बाद ही उन्हें सेवा से बाहर करने का फरमान सुना दिया गया।
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ऐसे में धामी के सामने परिवार के पालन-पोषण की चुनौती खड़ी हो गई। कोई सरकारी मदद न मिलने से वर्तमान में वह राजेंद्र नगर की सड़कों पर अपने स्कूटर में डिस्पोजल गिलास और कटोरे बेचने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि अपने ही राज्य में एक तरफ दिव्यांग खिलाड़ियों की उपेक्षा हो रही है दूसरी तरफ खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के दावे हो रहे हैं।
कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं राजेंद्र
राजेंद्र कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। चार साल पूर्व रुद्रपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक क्रिकेट प्रतियोगिता में उन्होंने बतौर भारतीय टीम के कप्तान के रूप में हिस्सा लिया था। इसमें टीम उप विजेता रही थी। वर्ष 2019 में काठमांडो में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी उन्होंने हिस्सा लिया था।
कोट
अस्थायी कोच की तैनाती के लिए हर बार नई विज्ञप्ति निकलती है। पिछली बार विज्ञप्ति निकलने पर दो पैरालंपिक खिलाड़ियों ने कोच के लिए आवेदन किया था। दूसरे खिलाड़ी के नंबर अधिक होने से राजेंद्र सिंह धामी का चयन नहीं हो सका। - अनूप बिष्ट, जिला क्रीड़ा अधिकारी, पिथौरागढ़