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Pithoragarh News: जिस घर में गूंजी शहनाई अब वहां पसरा है मातम
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Fri, 05 Dec 2025 10:47 PM IST
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क्षेत्र के किलौटा गांव के जिस घर में शादी की शहनाई गूंजी वहां अब मातम पसरा है।
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गणाई गंगोली (पिथौरागढ़)। क्षेत्र के किलौटा गांव के जिस घर में शादी की शहनाई गूंजी वहां अब मातम पसरा है। शादी की खुशियां एक झटके में कभी न भूलने वाले गम में बदल गईं। एक भयानक दुर्घटना ने बरात की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया। कई परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट गया। वाहन दुर्घटना में दूल्हे की बड़ी बहन, छह साल के भांजे, छोटी बहन के पति और देवर की मौत हो गई जबकि छोटा भाई जीवन मौत से संघर्ष कर रहा है। इस घटना से पूरे गांव में कोहराम है।
किटौला गांव के बबलू पंडा के विवाह की तैयारियां लंबे समय से चल रही थीं। परिजन और रिश्तेदार भी शादी में शामिल होने गांव पहुंचे। बृहस्पतिवार की सुबह दुल्हन को लाने के लिए दूल्हा तैयार हुआ। ढोल-नंगाड़ों के साथ बरात दुल्हन को लेने के लिए रवाना हुई। घराती और बराती ढोल-नगाड़ों और छोलिया नृत्य के साथ झूमते हुए लोहाघाट के बालातड़ी गांव को रवाना हुए। दूल्हा-दुल्हन ने सात फेरे लिए और देर रात सभी बराती वापस लौट गए। किसी को मालूम नहीं था कि रास्ते में एक भयानक घटना इंतजार कर रही है। घाट के पास बरातियों का एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में दूल्हे ने अपनी बड़ी बहन भावना चौबे, छह साल के भांजे प्रियांशु, छोटी बहन के पति प्रकाश चंद्र उनियाल और उसके देवर केवल चंद्र उनियाल को हमेशा के लिए खो दिया। इस भयानक दुर्घटना की खबर मिलते ही दूल्हे के घर में मातम पसर गया। पूरा गांव शोक में डूबा है। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है।
भाई कर रहा है मौत से संघर्ष
अपने बड़े भाई की शादी तय होते ही छोटे भाई भाष्कर की खुशियां सातवें आसमान पर थीं। वह पूरे जोश से भाई की शादी की तैयारी में जुट गया। सूट-बूट पहनकर घर से निकली बरात में वह छोलिया दल का नेतृत्व कर आगे बढ़ा। एक घटना ने उससे कई अपने छीन लिए तो वह खुद अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहा है। उसे यह भी मालूम नहीं है कि कौन अपने उससे हमेशा के लिए दूर हो गए हैं।
मां की गोद में बैठे चेतन को छूकर निकल गई मौत
भाई के लिए दुल्हन लाने के लिए बहन भावना चौबे अपने पति सुरेश चौबे, छह साल के बेटे प्रियांशु और पांच साल के बेटे चेतन के साथ बराती बनकर गई। वाहन दुर्घटना में भावना और उसके साथ बैठे बड़े बेटे प्रियांशु पर मौत झपट पड़ी। दोनों काल के गाल में समा गए। इसे संयोग कहें या किस्मत, भाई के बगल में मां की गोद में बैठे चेतन को मौत छूकर निकल गई और वह बच गया। हालांकि मासूम को अब तक यह मालूम नहीं है कि मां और भाई उसका हमेशा के लिए साथ छोड़ गए हैं।
दूसरे वाहन में बैठे सुरेश तो बच गई जान
सुरेश चौबे अपने साले के विवाह में शामिल होने पत्नी और दो बेटों के साथ ससुराल पहुंचे थे। वह भी साले की शादी होने से खुश थे। दुल्हन को लेकर बरात लौटी तो वह दूसरे वाहन में सवार हो गए। यदि पत्नी और बच्चों के साथ बैठते तो उनके साथ भी बड़ी घटना घट सकती थी। पत्नी और बेटे की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा है।
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किटौला गांव के बबलू पंडा के विवाह की तैयारियां लंबे समय से चल रही थीं। परिजन और रिश्तेदार भी शादी में शामिल होने गांव पहुंचे। बृहस्पतिवार की सुबह दुल्हन को लाने के लिए दूल्हा तैयार हुआ। ढोल-नंगाड़ों के साथ बरात दुल्हन को लेने के लिए रवाना हुई। घराती और बराती ढोल-नगाड़ों और छोलिया नृत्य के साथ झूमते हुए लोहाघाट के बालातड़ी गांव को रवाना हुए। दूल्हा-दुल्हन ने सात फेरे लिए और देर रात सभी बराती वापस लौट गए। किसी को मालूम नहीं था कि रास्ते में एक भयानक घटना इंतजार कर रही है। घाट के पास बरातियों का एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में दूल्हे ने अपनी बड़ी बहन भावना चौबे, छह साल के भांजे प्रियांशु, छोटी बहन के पति प्रकाश चंद्र उनियाल और उसके देवर केवल चंद्र उनियाल को हमेशा के लिए खो दिया। इस भयानक दुर्घटना की खबर मिलते ही दूल्हे के घर में मातम पसर गया। पूरा गांव शोक में डूबा है। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है।
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भाई कर रहा है मौत से संघर्ष
अपने बड़े भाई की शादी तय होते ही छोटे भाई भाष्कर की खुशियां सातवें आसमान पर थीं। वह पूरे जोश से भाई की शादी की तैयारी में जुट गया। सूट-बूट पहनकर घर से निकली बरात में वह छोलिया दल का नेतृत्व कर आगे बढ़ा। एक घटना ने उससे कई अपने छीन लिए तो वह खुद अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहा है। उसे यह भी मालूम नहीं है कि कौन अपने उससे हमेशा के लिए दूर हो गए हैं।
मां की गोद में बैठे चेतन को छूकर निकल गई मौत
भाई के लिए दुल्हन लाने के लिए बहन भावना चौबे अपने पति सुरेश चौबे, छह साल के बेटे प्रियांशु और पांच साल के बेटे चेतन के साथ बराती बनकर गई। वाहन दुर्घटना में भावना और उसके साथ बैठे बड़े बेटे प्रियांशु पर मौत झपट पड़ी। दोनों काल के गाल में समा गए। इसे संयोग कहें या किस्मत, भाई के बगल में मां की गोद में बैठे चेतन को मौत छूकर निकल गई और वह बच गया। हालांकि मासूम को अब तक यह मालूम नहीं है कि मां और भाई उसका हमेशा के लिए साथ छोड़ गए हैं।
दूसरे वाहन में बैठे सुरेश तो बच गई जान
सुरेश चौबे अपने साले के विवाह में शामिल होने पत्नी और दो बेटों के साथ ससुराल पहुंचे थे। वह भी साले की शादी होने से खुश थे। दुल्हन को लेकर बरात लौटी तो वह दूसरे वाहन में सवार हो गए। यदि पत्नी और बच्चों के साथ बैठते तो उनके साथ भी बड़ी घटना घट सकती थी। पत्नी और बेटे की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा है।

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