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Pithoragarh News: महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ एक साल के शैक्षिक अवकाश पर गए
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Fri, 12 Dec 2025 11:24 PM IST
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जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के कक्ष के बाहर बच्चों का उपचार कराने के लिए इंतजार करते अभिभ
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पिथौरागढ़। सीमांत जिले में बच्चों के इलाज की व्यवस्था फिर से चरमरा गई है। महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ के पढ़ाई के लिए एक साल के अवकाश पर जाने से स्वास्थ्य विभाग के साथ ही बीमार बच्चों के लिए परेशानी हो गई है। अब जिला अस्पताल में तैनात एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ पर नवजातों के साथ ही जिले के अन्य बीमार बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी है। दोनों अस्पतालों में ही लोगों को अपने बच्चों के इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। समय अधिक लगने से दूर-दराज से बीमार बच्चों के इलाज के लिए पहुंचे लोगों को होटलों या रिश्तेदारों के यहां ठहरना पड़ रहा है।
जिला और महिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के तीन पद स्वीकृत है। जिला अस्पताल में सेवा विस्तार के जरिये बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। महिला अस्पताल में ही सिर्फ बच्चों के एकमात्र स्थायी डॉक्टर की तैनाती है जबकि एक पद रिक्त है। अब महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ एक साल के लिए स्टडी लीव पर चले गए हैं। इससे दिक्कत बढ़ गई है। अब एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ पर जिला, महिला अस्पताल में नवजातों और भर्ती बच्चों की जांच और इलाज के साथ ही ओपीडी की जिम्मेदारी आ गई है।
दोनों अस्पतालों में रोजाना 30 से अधिक भर्ती बच्चों का इलाज करना पड़ता है। दोनों अस्पतालों में हर रोज जिले के विभिन्न हिस्सों से 60 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में दबाव के सापेक्ष एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ के उपलब्ध होने से अभिभावकों को बीमार बच्चों का समय पर इलाज करना चुनौती बन गया है। लंबा इंतजार करने से बचने के लिए कई अभिभावक बच्चों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं।
निमोनिया, वायरल से ग्रसित हैं बच्चे
जिला अस्पताल में हर रोज बढ़ी संख्या में बच्चे निमोनिया, वायरल से ग्रसित होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। भीड़ अधिक होने से बाल रोग विशेषज्ञ के लिए भी बच्चों की जांच और इलाज करना चुनौती बन रहा है। हालत गंभीर होने से रोजाना पांच से अधिक बच्चों को भर्ती करने की नौबत पहुंच रही है। ऐसे में बच्चों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों को बाल रोग विशेषज्ञ की कमी खलने लगी है।
केस एक
महिला अस्पताल से जिला अस्पताल भेजा गया। तेज बुखार से पीढि़त बेटे के इलाज के लिए तीन घंटे तक इंतजार करती रही। समय अधिक होने से निजी अस्पताल जाना पड़ा। - किरन देवी, कनालीछीना
केस दो
पेट दर्द से जूझ रहे बच्चे के इलाज के लिए सुबह ही जिला अस्पताल पहुंच गया था। भीड़ अधिक होने से डॉक्टर अपनी बारी का लंबा इंतजार किया। कितना इंतजार करता। ऐसे में निजी अस्पताल जाकर बच्चे का इलाज किया। - हरीश प्रसाद, थल
कोट
जिला अस्पताल में अब एक ही बाल रोग विशेषज्ञ हैं। दो रिक्त पदों पर शासन स्तर से ही नियुक्ति संभव है। शासन को रिक्त पदों की सूचना दी गई है। - डॉ.भागीरथी गर्ब्याल, पीएमएस, जिला अस्पताल, पिथौरागढ़
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जिला और महिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के तीन पद स्वीकृत है। जिला अस्पताल में सेवा विस्तार के जरिये बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। महिला अस्पताल में ही सिर्फ बच्चों के एकमात्र स्थायी डॉक्टर की तैनाती है जबकि एक पद रिक्त है। अब महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ एक साल के लिए स्टडी लीव पर चले गए हैं। इससे दिक्कत बढ़ गई है। अब एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ पर जिला, महिला अस्पताल में नवजातों और भर्ती बच्चों की जांच और इलाज के साथ ही ओपीडी की जिम्मेदारी आ गई है।
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दोनों अस्पतालों में रोजाना 30 से अधिक भर्ती बच्चों का इलाज करना पड़ता है। दोनों अस्पतालों में हर रोज जिले के विभिन्न हिस्सों से 60 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में दबाव के सापेक्ष एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ के उपलब्ध होने से अभिभावकों को बीमार बच्चों का समय पर इलाज करना चुनौती बन गया है। लंबा इंतजार करने से बचने के लिए कई अभिभावक बच्चों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं।
निमोनिया, वायरल से ग्रसित हैं बच्चे
जिला अस्पताल में हर रोज बढ़ी संख्या में बच्चे निमोनिया, वायरल से ग्रसित होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। भीड़ अधिक होने से बाल रोग विशेषज्ञ के लिए भी बच्चों की जांच और इलाज करना चुनौती बन रहा है। हालत गंभीर होने से रोजाना पांच से अधिक बच्चों को भर्ती करने की नौबत पहुंच रही है। ऐसे में बच्चों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों को बाल रोग विशेषज्ञ की कमी खलने लगी है।
केस एक
महिला अस्पताल से जिला अस्पताल भेजा गया। तेज बुखार से पीढि़त बेटे के इलाज के लिए तीन घंटे तक इंतजार करती रही। समय अधिक होने से निजी अस्पताल जाना पड़ा। - किरन देवी, कनालीछीना
केस दो
पेट दर्द से जूझ रहे बच्चे के इलाज के लिए सुबह ही जिला अस्पताल पहुंच गया था। भीड़ अधिक होने से डॉक्टर अपनी बारी का लंबा इंतजार किया। कितना इंतजार करता। ऐसे में निजी अस्पताल जाकर बच्चे का इलाज किया। - हरीश प्रसाद, थल
कोट
जिला अस्पताल में अब एक ही बाल रोग विशेषज्ञ हैं। दो रिक्त पदों पर शासन स्तर से ही नियुक्ति संभव है। शासन को रिक्त पदों की सूचना दी गई है। - डॉ.भागीरथी गर्ब्याल, पीएमएस, जिला अस्पताल, पिथौरागढ़

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