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Uttarakhand: मेहनत का नहीं मिला फल तो किसानों ने छोड़ दी गन्ने की फसल, गन्ना उत्पादन में 35% गिरावट

आदर्श सिंह Published by: हीरा मेहरा Updated Sat, 20 Dec 2025 12:36 PM IST
सार

गन्ने की खेती में किसानों की रुचि कम होने से पैदावार में 35% की गिरावट आई है। यह मुख्य रूप से चीनी मिलों की ओर से समय पर भुगतान न किए जाने के कारण हुआ है, जहां किसानों का लगभग 146 करोड़ रुपये बकाया है।

 

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Farmers abandoned sugarcane cultivation in kashipur
गन्ने की फसल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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गाढ़ी कमाई का भुगतान न होने से किसान गन्ने की खेती से दूरी बना रहे हैं। इस बात की हकीकत बीते वर्षों के आंकड़े बयां कर रहे हैं। कई वर्षों से लगातार गन्ने की तरफ किसानों का रुझान कम होने से करीब 35 फीसदी तक फसल की पैदावार में कमी आई है। चीनी मिलों से भुगतान न मिलना भी इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है क्योंकि प्रदेश की मिलों पर किसानों का करीब 146.10 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है।

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साल भर किसान पसीना बहाकर खेतों में गन्ना पैदा करता है। उसे चीनी मिलों तक पहुंचाता है। इसके बाद भी उसे समय से पैसा नहीं मिलता। यहां तक कई बार भुगतान के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रदेश में किसानों का रुझान गन्ने की तरफ से हट कर अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। दरअसल, प्रदेश में वर्ष 2006-07 में 134899 हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती थी। वर्ष 2025-26 में महज 88603.05 हेक्टेयर में खेती की जा रही है। ऐसे में चीनी मिलों को पर्याप्त गन्ना उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिससे मिलों के संचालन में भी दिक्कतें आ रही हैं। कई बार मिलों को बंद करना पड़ रहा है। इसका खामियाजा भी गन्ना किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इन कारणों के चलते किसान गन्ने की फसल से मुंह मोड़ रहे हैं। वहीं, प्रदेश में किसानों का कई वर्षों का कुल 146.10 करोड़ राशि का भुगतान बकाया है। अभी मामला कोर्ट में विचाराधीन है। वहीं, इकबालपुर चीनी मिल संचालित नहीं की गई है।

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प्रदेश में हरिद्वार में सर्वाधिक गन्ने की खेती
प्रदेश में सर्वाधिक गन्ना उत्पादन हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले में होता है। इस बार ऊधमसिंह नगर में 20380.20 और हरिद्वार में 63294.47 हेक्टेयर में गन्ना लगाया गया था वहीं, नैनीताल में 1286.76 और देहरादून में 3641.63 हेक्टेयर में किसानों ने गन्ना लगाया था। गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए गन्ना विभाग लगातार गोष्ठी व अन्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। वहीं, किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए गन्ना विभाग के वैज्ञानिक भी किसानों से संवाद करते हैं।

 

बीते पांच वर्षों में गन्ने की बुआई पर एक नजर

वर्ष             उत्पादन (हेक्टेयर)

2021-22         88022

2022-23          91713

2023-24         94088

2024-25        90364.93

2025-26       88603.05

 

इन चीनी मिलों पर है इतना बकाया

चीनी        मिल वर्ष           रुपये

काशीपुर 2007-08         117.94

काशीपुर 2018-19         2374.36

इकबालपुर 2018-19      10604.26

इकबालपुर 2024-25       1513.72

गन्ने का भुगतान नहीं करने पर इकबालपुर चीनी मिल को इस बार गन्ना आवंटित नहीं किया गया। वर्ष 2018-19 का करीब 106 करोड़ रुपये मिल पर बकाया है जिसका मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। वहीं, 2024-25 का भुगतान नहीं करने पर आरसी जारी की गई थी। काशीपुर चीनी मिल का मामला उच्च न्यायालय इलाहाबाद में चल रहा है। न्यायालय से आदेश होने पर किसानों का भुगतान हो जाएगा। - त्रिलोक सिंह मर्तोलिया, आयुक्त, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, उत्तराखंड

 

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