खास खबर: किचन से निकलने वाला कचरा बदबू नहीं, रंगत फैलाएगा; पंत विवि की शोधार्थी ने बनाए घरेलू उत्पाद
घरों के किचन से निकलने वाला कचरा अब खेतों और घरों की शान बढ़ाएगा। जीबी पंत विश्वविद्यालय की शोधार्थी हेमा कांडपाल ने गीले कूड़े से प्रदूषण रहित पोषक तत्वों से खाद व प्लास्टिक कचरे से घरेलू उपयोग की वस्तुएं बनाने में सफलता हासिल की है।

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पंतनगर शहरी क्षेत्र में घरों के किचन से निकलने वाला कचरा अब खेतों और घरों की शान बढ़ाएगा। जीबी पंत विश्वविद्यालय की शोधार्थी हेमा कांडपाल ने गीले कूड़े से प्रदूषण रहित पोषक तत्वों से खाद व प्लास्टिक कचरे से घरेलू उपयोग की वस्तुएं बनाने में सफलता हासिल की है। अब इस तकनीक के पेटेंट की तैयारी है।

घरों से निकलने वाले कूड़ा का निस्तारण एक गंभीर चुनौती बन चुका है। इसके समाधान में प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता, जागरुकता की कमी, सीमित बजट जैसी बाधाएं सामने आ रही हैं। पंत विवि के विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान की शोधार्थी हेमा ने हेमा कांडपाल ने विभागाध्यक्ष डॉ. आरके श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में रुद्रपुर के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर अध्ययन किया। उनके शोध में रुद्रपुर में प्रतिदिन करीब 120 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें मुख्यत: प्लास्टिक और सड़े-गले अपशिष्ट हैं।
हेमा ने बताया कि गीले और सूखे कचरे को अलग न करने पर उसके दूषित होने की आशंका बढ़ जाती है। नगरपालिकाएं यदि ऑर्गेनिक अपशिष्ट से खाद बनाकर उसका उपयोग बढ़ाएं व प्लास्टिक को रिसाइकिल प्रक्रिया में लाएं तो स्वयं को आत्मनिर्भर बना सकती हैं। खाद की निरंतर जांच और किसानों को जागरूक कर इसका सही उपयोग किया जा सकता है। कचरे से बनी खाद जैविक खेती को बढ़ावा देगी और प्लास्टिक से बनी वस्तुएं अपशिष्ट प्रबंधन का समाधान दे सकती हैं।
पोषक खाद में बदला बेकार कचरा
हेमा ने गीले कचरे को एरोबिक और वर्मी कंपोस्टिंग से पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाने में सफलता हासिल की है। उनके अनुसार कई किसानों में भ्रम है कि कचरे से बनी ये खाद खेतों के उपयुक्त नहीं है। जबकि हेमा के शोध में आर्गेनिक अपशिष्ट से बनी खाद में भारी धातुओं की मात्रा बहुत कम है और यह खेतों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।
ठोस अपशिष्ट से बना कंपोस्ट होता है टाॅक्सिक
हेमा के अनुसार कई शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत बना कंपोस्ट टाॅक्सिक होता है। वहीं नए तरीके से बनाए कंपोस्ट में ऐसी कोई समस्या नहीं है। आगे वह अलग-अलग तरीकों से कूड़े के निस्तारण पर काम कर रही हैं।
रीसाइक्लिंग से घरेलू उत्पादों में बदला कचरा
हेमा के मुताबिक प्लास्टिक कचरे का पृथक्करण और पुनः उपयोग (रीसाइक्लिंग) ही इसके प्रबंधन का सर्वोत्तम तरीका है। उन्होंने प्लास्टिक बैग व बोतलों की रीसाइक्लिंग कर पॉलिएस्टर धागे, कपड़े, रेनकोट और छाते जैसी कई वस्तुएं बनाई हैं। यह गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के प्रबंधन का बेहतरीन तरीका है। इससे पर्यावरणीय दबाव कमी आएगी व प्लास्टिक भी एक संसाधन के तहत उपयोग होगा।