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Video: धान खरीदी के साथ कालाबाजारी शुरू, CG-MP बॉर्डर पर बैरियर लगाए... टीमें तैनात; जिला प्रशासन की सख्ती
गौरेला पेंड्रा मरवाही में खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के लिए धान खरीदी की औपचारिक शुरुआत 15 नवंबर से हो चुकी है, लेकिन इसके साथ ही मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में अवैध धान तस्करी का सिलसिला भी तेजी से बढ़ रहा है। पिकअप वाहनों और छोटी ट्रकों के माध्यम से धान माफिया प्रशासन की नाक के नीचे बड़े पैमाने पर अवैध धान की खेप राज्य में खपा रहे हैं। इस बार एक बार फिर जिले में निर्धारित लक्ष्य से अधिक धान खरीदी होने की आशंका गहरा गई है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान का खतरा साफ दिखाई भी देने लगा है। दरअसल, जीपीएम जिला मध्यप्रदेश के अनूपपुर और डिंडौरी जिलों से लगी लंबी सीमा साझा करता है। इनमें अनूपपुर जिले की सीमा सर्वाधिक है, जो तस्करों के लिए सबसे आसान और सुरक्षित मार्ग बन गया है। जबकि जिला प्रशासन ने सीमाई क्षेत्रों में बैरियर लगाने, अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती और ब्लॉक व जिला स्तरीय निगरानी टीमों के गठन जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन इनके बावजूद धान की तस्करी पर रोक लगती दिखाई नहीं दे रही है। शराब और मादक पदार्थों की तरह ही धान तस्कर भी लगातार नए तरीके अपनाकर प्रशासन को चकमा दे रहे हैं।
हमारे सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश के कोतमा, जैतहरी,वेंकटनगर, करंजिया और राजेंद्रग्राम क्षेत्रों से रोजाना भारी मात्रा में अवैध धान जीपीएम जिले में दाखिल कराया जा रहा है। मरवाही ब्लॉक के सिवनी, मरवाही, परासी, धनपुर धोबहर, मेंडूका, लालपुर, गौरेला क्षेत्र के देवरगांव, खोडरी, धनौली और पेंड्रा ब्लॉक के सकोला, पेंड्रा तथा बचरवार अमरपुर गांवों में यह अवैध धान बड़ी आसानी से खपाया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मध्यप्रदेश में धान 22 से 24 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध होता है, जिसे यहां किसानों के पट्टे में जोड़कर समर्थन मूल्य 31 रुपये प्रति किलो में बेचा जाता है। इस अंतर से तस्करों को भारी मुनाफा मिलता है और स्थानीय तंत्र भी अक्सर इसकी चपेट में आ जाता है। हमारी टीम के लाइव पड़ताल में एक पिकअप वाहन को अवैध धान के साथ पकड़ा गया। वाहन पर मध्यप्रदेश RTO पासिंग दर्ज मिली। चालक जमुना मसराम ने स्वीकार किया कि वह धान मध्यप्रदेश के वेंकटनगर से लेकर आया है और दरमोहली गांव के हरजीत प्रजापति धान की सप्लाई करता है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि तस्कर रात के समय पेट्रोलिंग कर रहे होते हैं और जब रास्ता सुरक्षित लगता है तभी फोन कर धान की खेप को आगे बढ़ाते हैं। रात में किए गए निरीक्षण में अवैध धान रोकने के लिए लगाए गए बेरियरों की स्थिति भी चिंताजनक मिली। तीन कर्मचारियों की तैनाती होने के बावजूद केवल एक कर्मचारी ही ड्यूटी पर मौजूद था। इससे स्पष्ट हो गया कि सीमाई सुरक्षा व्यवस्था कागजों में जितनी मजबूत दिखती है, जमीनी हकीकत उतनी प्रभावी नहीं है। इसी दौरान अनुपपुर जिले के लपटा गांव के कुछ धान तस्कर वेगेनार कार में संदिग्ध रूप से घूमते हुए भी पाए गए। बतला दे कि यही तस्कर पिछले वर्ष मरवाही क्षेत्र में अवैध धान ले जाते समय बेरियर तोड़ने के आरोपी हैं, जिसमें पुलिसकर्मी और कोटवार घायल हुए थे। वही मामले में एसडीएम मरवाही देवेंद्र सिरमौर ने बताया कि धान तस्करी रोकने के लिए जिला स्तरीय बैठक में गंभीरता से चर्चा की गई है और आवश्यक कदम उठाए गए हैं। हालांकि प्रशासन की तैयारी कितनी कारगर साबित होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा।
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