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बलरामपुर-रामानुजगंज: लमोरी गांव में पीडीएस चावल की गुणवत्ता पर उठे सवाल, ग्रामीणों में गुस्सा
वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत आदिवासी बहुल दूरस्थ ग्राम लमोरी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जा रहे चावल की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रेमनगर गोदाम से लाए गए चावल में जाली, धूल, खंडा और पीलापन जैसी अशुद्धियां भारी मात्रा में पाई गईं, जो इसे खाने योग्य नहीं बनातीं।
चार दिन पूर्व जब यह चावल गांव में पहुंचा, तो राशन दुकान का संचालन कर रही महिला स्वयं सहायता समूह ने ट्रक चालान पर ही चावल की गुणवत्ता को लेकर आपत्ति दर्ज करते हुए लिखित टिपण्णी की। उन्होंने ग्रामीणों को भी बुलाकर चावल दिखाया और उनकी उपस्थिति में ही गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए टिप्पणी दर्ज की गई। इससे यह साफ होता है कि चावल वितरण से पहले ही उसकी स्थिति संदिग्ध थी। स्थानीय ग्रामीण इंद्रजीत यादव और कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि यह समस्या कोई नई नहीं है। पिछले तीन माह का खराब गुणवत्ता वाला चावल बटा, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह चावल न सिर्फ खाने योग्य नहीं है, बल्कि जनस्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है। ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें राइस मिलर, क्वालिटी इंस्पेक्टर, गोदाम प्रभारी और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की मिलीभगत है। जानबूझकर निम्न गुणवत्ता का चावल आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा जा रहा है, जहां के ग्रामीण अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाते। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि भोले-भाले आदिवासी परिवारों की चुप्पी का फायदा उठाकर उन्हें निम्न दर्जे का राशन दिया जा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निर्दोष जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, भविष्य में गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है।
चावल की गुणवत्ता की उच्चस्तरीय जांच हो
दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए
आदिवासी क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जाए
गुणवत्तायुक्त राशन की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित हो
यह मामला एक बार फिर से PDS व्यवस्था की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर कितनी गंभीरता से कदम उठाता है।
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