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SIR ने लौटाई खुशियां: 13 साल बाद घर वापस आई सुनीता, वोटर आईडी के दस्तावेज बने मिलन का कारण
छत्तीसगढ़ में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया इन दिनों पूरे जोर-शोर से चल रही है। प्रशासन मतदाता सूची के कार्य को तेजी से पूरा करने में जुटा है। इसी प्रक्रिया के दौरान केशकाल से एक बेहद भावुक और दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है, जिसने सभी को चौंका दिया। लगभग 13 साल पहले घर छोड़कर रायपुर चली गई सुनीता यादव SIR के चलते अपने परिवार से फिर से मिल पाई है। सुनीता यादव वर्ष 2012 में उस समय नाबालिग थी जब घरेलू तनाव, पिता के शराब सेवन और मारपीट से परेशान होकर उसने घर छोड़ दिया था। वह चुपचाप रायपुर चली गई और वहां एक महिला के घर में काम करते हुए रहने लगी। उसी महिला की सहायता से उसने अपनी जिंदगी दोबारा संभाली और बाद में उसकी शादी भी संपन्न हो गई। सुनीता बीते कई वर्षों से रायपुर में अपने पति और बच्चों के साथ सामान्य जीवन जी रही थी। हालांकि कई बार घर लौटने का मन हुआ, लेकिन पिता के डर, संपर्क के अभाव और परिस्थितियों के कारण वह कभी हिम्मत नहीं जुटा सकी। लेकिन इस बार SIR की प्रक्रिया ने वह कर दिखाया जो परिवार 13 वर्षों से उम्मीद भी नहीं कर पा रहा था। सुनीता को अपने वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज़ों के लिए माता-पिता के परिचय व मतदाता सूची में नाम की आवश्यकता पड़ी। यही कारण था कि वह वर्षों बाद पहली बार अपने घर पहुंची। सुनीता के घर लौटते ही परिवार के चेहरे खिल उठे। मां-बाप ने भावुक होकर बेटी का स्वागत किया। वहीं, केशकाल थाने में उसके 2012 में दर्ज गुम इंसान की रिपोर्ट का भी निराकरण हो गया। थाना प्रभारी ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि 12–13 साल बाद लापता बालिका स्वयं थाने आई और उससे विस्तृत बयान लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
सुनीता ने कहा कि अगर SIR की प्रक्रिया नहीं चल रही होती तो शायद वह आज भी अपने परिवार से नहीं मिल पाती। अब जब परिवार से संपर्क दोबारा जुड़ गया है और घर की स्थिति भी सामान्य है, तो वह समय-समय पर अपने माता-पिता से मिलने केशकाल आती रहेगी। एसआईआर ने न केवल दस्तावेज अपडेट करवाए बल्कि एक बिखरा परिवार भी मिलवा दिया।
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