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VIDEO : गौतमबुद्धनगर में हुई पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी, डॉक्टर ने उंगुलियों से ऑपरेट किया रोबोट
नोएडा ब्यूरो
Updated Thu, 16 Jan 2025 08:37 PM IST
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गौतमबुद्धनगर जिले में पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई है। यह सर्जरी म्यांमार के 68 वर्षीय मरीज हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि मोटापे और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता व अन्य जटिलताओं की वजह से रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट को चुना गया। डॉक्टरों का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी के दौरान डॉक्टर ने उंगुलियों से रोबोट को ऑपरेट किया। लेकिन इसका फायदा है कि मरीज को कम चीरा लगाना पड़ता है और थ्री डी विजन की वजह से ज्यादा बेहतर रिजल्ट मिलते हैं।
जॉ अवन म्यांमार में किसान हैं। वह फलों का कारोबार करते हैं। पिछले आठ सालों से वह किडनी की परेशानी से जूझ रहे थे। इसलिए बहन ने किडनी डोनेट की। मरीज ने सर्जरी के लिए क्रिसमस का दिन चुना। मरीज का कहना है कि भगवान यीशु ने उनको जीवन उपहार के रूप में दिया है। 2 जनवरी को मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
फोर्टिस अस्पताल के डॉ. पीयूष वार्ष्णेय ने बताया कि मरीज को आठ दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। डायलिसिस के दौरान मरीज को कई समस्याएं आ रही थी। जैसे वे कई बार बेहोश हो जाते, मांसपेशियों में जकड़न और लो ब्लड प्रेशर हो जाता। जब मरीज को अस्पताल लाया गया तो वह काफी कमजोर थे। अस्पताल में उनकी विस्तृत तरीके से मेडिकल जांच की गई, जिसमें ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, दिल की जांच, नसों और धमनियों का मूल्यांकन और अन्य टेस्ट किए गए। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट पर विचार बना। मोटापे और कमजोर इम्यूनिटी के चलते जटिलताओं का रिस्क काफी था, इसलिए रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट ही बेहतर विकल्प था। सर्जरी में 4-5 घंटे लगे।
डॉ. अनुजा पोरवाल ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी में छोटे आकार का चीरा लगाने से मरीज को कम तकलीफ होती है। रोबोटिक सर्जरी की सटीकता के चलते जटिलताओं का रिस्क कम होता है और मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है।
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