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भिवानी में एडीजीपी आत्महत्या मामले में सामाजिक संगठनों का प्रदर्शन, आरोपियों की गिरफ्तारी की उठाई मांग
एडीजीपी वाई पूरन के आत्महत्या मामले में शुक्रवार को सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने बीआर आंबेडकर प्रतिमा के नीचे एकत्रित हुए और फिर प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। उन्होंने नगराधीश मोनिका कुमारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई करने की मांग उठाई।
शुक्रवार को एससी, एसटी, ओबीसी समाज एकता मंच के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरे। प्रदर्शन की शुरुआत शहर के रानी तालाब पर स्थित भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थल से हुई, जहां लोगों ने एक रोष सभा का आयोजन कर भाजपा सरकार और मौजूदा सामाजिक परिस्थितियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
इसके बाद जुलूस की शक्ल में प्रदर्शनकारी लघु सचिवालय पहुंचे। ज्ञापन के माध्यम से मांग उठाई कि इस मामले में जितने भी आरोपियों के नाम आएं हैं, उनको तुरंत प्रभाव से पदों से हटाकर गिरफ्तार किया जाए। वरिष्ठ आईपीएस वाई पूरन को काफी समय से प्रताड़ित किया जा रहा था। उनकी प्रमोशन भी देरी से की गई। जातिगत तौर पर उसके साथ भेदभाव किया गया।
उन्होंने कहा कि आज भी आजाद भारत में जाति देखकर भेदभाव किया जा रहा है। वहीं सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले तथाकथित संकुचित मानसिकता के वकील के खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।
इस दौरान कांग्रेस के जिला प्रधान ऋषिपाल हैबतपुर ने कहा कि एडीजीपी आत्महत्या की घटना बताती है कि दलित अधिकारी तक सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने यूपी में हाल ही में एक दलित व्यक्ति की सरेआम हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा सरकार में कानून और संविधान को ताक पर रखकर जातीय भेदभाव किया जा रहा है।
वहीं, एससी, एसटी, ओबीसी समाज एकता मंच के नेता धर्मपाल सिंहमार, कमल चौहान, एडवोकेट सुनील बामनिया, राजेश पहलवान, सुखीराम धरौदी ने कहा कि वर्तमान शासन में सरकारी विभागों एवं निजी संस्थानों में भी दलितों व पिछड़ों के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे समाज का अपमान है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ. वजीर चौहान, सुभाष भौंसला, रविंद्र शास्त्री, संदीप जाजवान, कपूर सिंह भी मौजूद रहे।
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