बिहार में चुनाव से पहले का माहौल गर्म हो गया है और एक बार फिर वंशवाद की राजनीति चर्चा में आ गई है. वजह है सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नेताओं के कई रिश्तेदारों की सरकारी पदों और आयोगों में नियुक्ति. इनमें केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के तीन दामाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सचिव की पत्नी और जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की दोनों बेटियां शामिल हैं. इन नियुक्तियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. तेजस्वी ने NDA के परिवारवाद के आरोपों पर पलटवार करते हुए नीतीश को दी सलाह — ‘दामाद आयोग’ बना लीजिए'
बिहार की राजनीति में एक बार फिर परिवारवाद की गूंज सुनाई पड़ने लगी है. फर्क यही है कि आमतौर पर आरजेडी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली भाजपा और जेडीयू इस बार निशाने पर आ गए हैं. आयोगों के गठन में जिस तरह नेताओं-अफसरों के परिवारीजनों को जगह दी गई है, उसे आरजेडी ने मुद्दा बना लिया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आयोगों के गठन में परिवारवाद का आरोप लगाया है
प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर से 'जमाई आयोग' बनाने की सलाह दी गई। इस पर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव को अपने पिता का कार्यकाल देखना चाहिए और पूछना चाहिए कि उस दौरान 'मामा आयोग' क्यों नहीं बनाया गया था? मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जिन तीन व्यक्तियों पर सवाल उठाए हैं, तीनों दलित परिवारों से आते हैं। ये दिखाता है कि राजद के लोगों में कितना दलित प्रेम बसा हुआ है।
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