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Delhi Airport ATC Glitch: Why did the plane's wheel jam in the sky? | ATC | AmarUjala
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Delhi Airport ATC Glitch: आसमान में क्यों हुआ था विमान का चक्का जाम? | ATC | AmarUjala
वीडियो डेस्क/ अमर उजाला डॉट कॉम Published by: तन्मय बरनवाल Updated Sun, 09 Nov 2025 02:35 AM IST
दिल्ली में समस्या के बाद अब एयरपोर्ट पर उड़ान सेवाएं अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं। लेकिन इस बीच जो कुछ हुआ उससे कई सवाल उठ रहे है। आखिर घंटों पहले हुई बड़ी तकनीकी खराबी के बाद शनिवार को हालात में सुधार देखा गया। अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को कुल 129 उड़ानें (53 आगमन और 76 प्रस्थान) देरी से चल रही हैं, जबकि शुक्रवार को लगभग 800 उड़ानें देर से हुई थीं। ऐसे में पूरा माजरा क्या था क्यों दिक्कत हुई चलिए विस्तार से बताते है?
IGI एयरपोर्ट का खबरों में बने रहने का कारण जो समाने आया है वो चौंकाने वाला है। खबरों की मानें तो यात्रियों को इस समस्या का सामना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तकनीकी खराबी के कारण करना पड़ा. खबरों के अनुसार फ्लाइट कैंसिल होने और देरी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में खराबी और ‘जीपीएस स्पूफिंग’ (GPS spoofing) नामक फर्जी सैटेलाइट नेविगेशन सिग्नल के इंटरफेयरेंस और डायवर्जन के कारण हुई। इस हफ्ते दिल्ली आने वाली कई फ्लाइट को गलत सैटेलाइट नेविगेशन डेटा मिला. जीपीएस स्पूफिंग उस समय होता है जब कोई ट्रांसमीटर असली सैटेलाइट सिग्नल की कॉपी करके गलत पोजीशन या टाइमिंग की जानकारी शेयर करता है. इससे ऑनबोर्ड नेविगेशन पर असर पड़ा. इससे पायलटों को प्रिसिजन अप्रोच छोड़नी पड़ी और कई मामलों में जयपुर जैसे नजदीकी एयरपोर्ट पर डायवर्ट करना पड़ा. मॉडर्न एयरक्रॉफ्ट ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर ही निर्भर हैं. स्पूफिंग इन सिग्नल्स को खराब करके फ्लाइट पाथ की एक्युरेसी को गलत करता है
इतना ही नहीं दिल्ली के IGI एयरपोर्ट के महत्वपूर्ण रनवे 10/28 पर इंस्ट्रमेंट लैंडिंग सिस्टम अपग्रेड प्रोसेस में है. आपको ये भी बता दे की दोनों तरफ यानि की कैटेगरी-III ILS मुहैया नहीं हुई जिससे पायलट सैटेलाइट बेस्ड प्रोसेस पर ज्यादा निर्भर हुए. इससे स्पूफिंग का असर बढ़ गया. पूर्वी हवाओं के कारण रनवे की दिशा बदलनी पड़ी, तब स्पूफिंग एफेक्टिड एरिया रेगुलर अराइवल रूट से टकराया.नेविगेशन डेटा सही नहीं लगने पर पायलटों ने ऑटोमेटेड अप्रोच को रोक दिया, रडार हेल्प या ट्रेडिशनल नेविगेशन की मांग की. कुछ विमान डायवर्ट हुए, कुछ रनवे की कैपेसिटी घटी और पूरे नेटवर्क में देरी होने लगी
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