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दिल्ली-एनसीआर में हवा हुई जहरीली, GRAP-1 लागू, AQI 300 पार
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 15 Oct 2025 11:06 AM IST
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दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर सांस लेने लायक नहीं रह गई है। पिछले साल की तुलना में इस बार ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) एक दिन पहले, मंगलवार से ही लागू कर दिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने यह कदम तब उठाया जब राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के पार पहुंच गया और कई इलाकों में यह 300 से भी ऊपर चला गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार, जहांगीरपुरी और मुंडका जैसे इलाकों में AQI 300 के पार पहुंच गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, खेतों में पराली जलाने और पड़ोसी राज्यों से आने वाला धुआं राजधानी की हवा बिगाड़ रहा है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि दीपावली के बाद हालात और भी खतरनाक होंगे। 2015 से 2024 तक के रिकॉर्ड बताते हैं कि हर साल दिवाली के दिन और उसके अगले दिन प्रदूषण का स्तर औसतन 40-50% तक बढ़ जाता है।
CAQM ने ग्रेप के पहले चरण की पाबंदियां लागू तो कर दीं, लेकिन पुराने वाहनों पर रोक से जुड़ी शर्त को आदेश से हटा लिया गया है। यानी 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन अभी सड़कों पर चल सकेंगे।
इस मुद्दे पर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए आयोग ने कोई नई कार्रवाई नहीं की। फिलहाल, पुरानी गाड़ियों के खिलाफ न तो चालान होगा और न ही जब्ती की कार्रवाई।
सीएक्यूएम ने इस बार पटाखों पर प्रतिबंध से जुड़ी भाषा भी नरम कर दी है। ग्रेप की कार्ययोजना के 19वें बिंदु में अब “प्रतिबंध” शब्द हटा दिया गया है और सिर्फ इतना कहा गया है कि “कोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।”
इस बदलाव से साफ है कि ‘ग्रीन पटाखों’ की इजाजत को लेकर अब लचीलापन बरता जाएगा। दिल्ली सरकार इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है।
वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) के अनुसार, ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30-35% कम प्रदूषण करते हैं। इन पटाखों में ऐसा रासायनिक फार्मूला होता है जिससे जलने पर पानी की सूक्ष्म बूंदें निकलती हैं, जो हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को आंशिक रूप से कम कर देती हैं।
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए मंगलवार को ‘प्रदूषण पर जोरदार प्रहार’ नाम से 25-सूत्री एक्शन प्लान-2025 लॉन्च किया है। यह योजना प्रदूषण के 7 प्रमुख स्रोतों वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक कचरा, निर्माण धूल, सड़क धूल, बायोमास जलाना, कचरा प्रबंधन और हरे क्षेत्र की कमी पर केंद्रित है।
सरकार के 9 बड़े कदम:
1. वाहन उत्सर्जन नियंत्रण: नवंबर 2025 से दिल्ली में केवल BS, CNG और EV वाहन ही प्रवेश कर सकेंगे।
2. एंड-ऑफ-लाइफ वाहन नीति: पुराने वाहनों को ईंधन आपूर्ति रोकने की योजना।
3. कचरा प्रबंधन: ओखला में 2950 TPD और नरेला-बावाना में 3000 TPD वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की स्थापना।
4. हरित अभियान: ‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत 70 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य।
5. क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट: IIT कानपुर के साथ मिलकर कृत्रिम बारिश का प्रयोग।
6. निर्माण धूल नियंत्रण: 500 वर्गमीटर से बड़े साइटों का डीपीसीसी पंजीकरण अनिवार्य, हाई-राइज पर एंटी-स्मॉग गन्स लगाना जरूरी।
7. स्मार्ट निगरानी: AI-सक्षम डीपीसीसी पोर्टल से स्वचालित चालान और 6 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन।
8. जनभागीदारी: ‘एनवायरनमेंट दूत’ कार्यक्रम और RWAs को बायोमास जलाने से रोकने के लिए इलेक्ट्रिक हीटर देना।
9. रोड डस्ट कंट्रोल: 200 मैकेनिकल रोड स्वीपर, 70 इलेक्ट्रिक लिटर पिकर और 38 रात्रीकालीन वाटर टैंकर तैनात।
सरकार ने दिल्ली के 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट्स जैसे आनंद विहार, नरेला, बवाना और ओखला पर मिस्ट स्प्रेयर और रीयल-टाइम सोर्स अपॉर्शनमेंट सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है, ताकि हवा में मौजूद प्रदूषक स्रोतों की सटीक निगरानी हो सके।
दिल्ली में प्रदूषण का मौसम अब पहले से शुरू हो गया है और सरकार ने रोकथाम की पहल भी पहले की है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पुराने वाहन, औद्योगिक धुआं और राज्यों से आने वाली पराली पर सख्त कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ग्रेप जैसी योजनाएं सिर्फ अस्थायी राहत ही दे सकती हैं।
अब सवाल यह है कि क्या इस बार दिल्ली सच में ‘सांस लेने लायक’ बनेगी या फिर दिवाली के बाद फिर वही “धुंधली सुबह और भारी साँसें” देखने को मिलेंगी?
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