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Kishtwar Cloudburst News: Red Alert was already issued, then why the journey was not stopped, NDRF rescue oper
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Kishtwar Cloudburst News:पहले से जारी था Red Alert फिर क्यों नहीं रूकी यात्रा, NDRF का रेस्क्यू जारी
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Fri, 15 Aug 2025 10:09 AM IST
किश्तवाड़ के चिशौती त्रासदी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले छह दिनों से मौसम को लेकर जारी की गई चेतावनियों को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। रेड अलर्ट के बावजूद मचैल यात्रा जारी रही। घटना के समय यात्रा रूट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी। तेजी से आए पानी और मलबे से लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला।मौसम विभाग की ओर से गत 8 अगस्त को 13 से 15 अगस्त के बीच जम्मू संभाग के पुंछ, राजोरी, रियासी, रामबन, अनंतनाग का कुछ हिस्सों, किश्तवाड़, उधमपुर, डोडा में भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई थी। रेड अलर्ट को लेकर लगातार चेताया जा रहा था। यह भी कहा गया था कि 13 से 14 अगस्त के बीच मौसम ज्यादा खराब रहेगा। संबंधित जिला उपायुक्तों को इस बाबत जरूरी दिशा निर्देश जारी किए गए थे। इसके साथ ही आमजन के मोबाइल पर मैसेज करके मौसम संबंधी चेतावनी जारी की जा रही थी।रेड अलर्ट में स्पष्ट रूप से भूस्खलन और बाढ़ की आशंका भी जताई गई थी। कुछ क्षेत्रों में 200 मिलीमीटर से अधिक बारिश की चेतावनी जारी की गई थी। अगर यात्रा को रेड अलर्ट अवधि में स्थगित कर दिया जाता तो इतनी मौतें शायद नहीं होतीं। किश्तवाड़ जिला मुख्यालय से मचैल माता का मंदिर का पड़ाव करीब 90 किलीमीटर की दूरी पर स्थित है। मुख्यालय से करीब 82 किमी. की दूरी पर चिशौती तक वाहन जाते हैं और उसी के पास यह घटना हुई। यहां से 8.5 किलोमीटर ही दूरी पर माता का मंदिर है।
डॉप्लर रडार, सैटेलाइट में सीमित क्षेत्र में अचानक भारी से भारी बारिश हुई
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के निदेशक डाॅ. मुख्तियार अहमद के अनुसार चिशौती में विभाग का कोई भी मौसम निगरानी केंद्र नहीं है। हालांकि सैटेलाइट और डॉप्लर रडार से पता चला है वीरवार दोपहर 12.30 से 1.30 बजे के बीच सीमित क्षेत्र में भारी से भारी बारिश हुई है। जिस तरह से वहां बारिश हुई उससे बादल फटने की आशंका है। उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिलीमीटर तक बारिश होने को बादल फटना माना जाता है। डॉ. मुख्तियार इसके साथ एक और आशंका जताते हैं। वह बताते हैं कि चिशौती के ऊपरी इलाके जंस्कार बेल्ट से जुड़े हैं। ऐसा भी हो सकता है कि ऊपर से कोई ग्लेशियर टूटा हो, जिसने बाढ़ की शक्ल ले ली हो। लेकिन यह जांच का विषय है। विभाग की ओर से जम्मू संभाग के लगभग जिलों में 14 अगस्त तक रेड अलर्ट जारी किया गया था। 15 अगस्त की शाम तक कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है। जिसमें बादल फटने का खतरा भी है।
कहां कितनी बारिश हुई (आंकड़े मिलीमीटर में)
पुंछ 68
राजोरी 131
रियासी 67
जम्मू 54
हर साल औसतन 13 घटनाएं बादल फटने की दर्ज हो रहीं, किश्तवाड़ कई बार प्रभावित हुआ...जम्मू कश्मीर में पिछले 13 वर्षों में बादल फटने की 168 घटनाएं दर्ज हुई हैं। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के 2010 से 2022 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ हो जाता है कि प्रदेश में हर साल औसतन बादल फटने की 13 घटनाएं होती हैं। इसका ज्यादातर प्रभाव पहाड़ी क्षेत्रों में देखा गया है। इन साल में किश्तवाड़, अनंतनाग, गांदरबल और डोडा जिले सबसे अधिक अचानक बाढ़ की घटनाओं से प्रभावित हुए हैं, जबकि जिला जम्मू, श्रीनगर, अनंतनाग और कठुआ भारी बारिश की श्रेणी में रहा है। इन इलाकों में 100 से 200 मिलीमीटर श्रेणी की बारिश दर्ज की गई है।
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