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बिलासपुर रेल हादसे का यात्री ने बताया खौफनाक मंजर
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 05 Nov 2025 10:21 AM IST
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सोमवार रात रेलवे ट्रैक पर ऐसा मंजर देखने को मिला, जिसे वहां मौजूद लोग शायद ही कभी भूल पाएं। गतोरा स्टेशन के पास मेमू पैसेंजर ट्रेन और एक मालगाड़ी के बीच जोरदार टक्कर हो गई। यह टक्कर इतनी भयानक थी कि मेमू का अगला कोच सीधे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 20 से अधिक यात्री घायल हैं। कई यात्री गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज बिलासपुर मेडिकल कॉलेज समेत अन्य अस्पतालों में जारी है।
35 वर्षीय संजय विश्वकर्मा, जो पैसेंजर ट्रेन के पहले डिब्बे में बैठे थे, ने इस हादसे का दर्दनाक मंजर याद करते हुए कहा कि हादसे की आवाज और दृश्य आज भी उन्हें दहला देते हैं। संजय अपने ससुराल अकालतरा से घर लौट रहे थे।
उन्होंने कहा, “मैं मोबाइल देख रहा था। कुछ लोग बातें कर रहे थे और कुछ सो रहे थे। सब कुछ सामान्य था। अचानक एक जोरदार धक्का लगा और कानों में भयंकर आवाज गूंजी। खिड़कियों के शीशे टूट गए। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। कुछ सेकंड में ही सब अंधेरा हो गया।”
संजय कुछ देर बाद होश में आए तो खुद को सीट के नीचे फंसा पाया। उन्होंने बताया कि उनके ठीक सामने तीन शव पड़े थे उनमें एक महिला भी शामिल थी।
“उनके चेहरे, उनका टूटा हुआ शरीर… वह तस्वीरें अब भी दिमाग से निकल नहीं रही हैं। लोग कराह रहे थे, मदद के लिए पुकार रहे थे, पर कोई हिल नहीं पा रहा था।” यह कहते हुए संजय की आवाज कांप गई। उनके डिब्बे में 16-17 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी थे। कुछ की मौके पर ही जान चली गई।
रेलवे बोर्ड ने प्राथमिक जानकारी में कहा है कि ट्रेन चालक द्वारा लाल सिग्नल को नजरअंदाज किए जाने की आशंका है। हालांकि, अधिकारी यह भी मानते हैं कि पूरी सच्चाई जांच के बाद ही स्पष्ट होगी।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, “टक्कर की ताकत इतनी अधिक थी कि मेमू कोच मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। इससे डिब्बों में बैठे यात्री बुरी तरह दब गए।”
हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस, एनडीआरएफ, जीआरपी और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचा। कई घंटे तक गैस कटर की मदद से डिब्बों को काटकर फंसे यात्रियों को निकाला गया। बिलासपुर के कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि “देर रात तक दो लोग कोच में फंसे थे, जिन्हें निकालने के प्रयास जारी थे। कुछ की हालत गंभीर है, इसलिए मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है।”
रेलवे ने मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये, गंभीर घायलों के लिए 5-5 लाख रुपये, और सामान्य घायलों के लिए 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है।
देश में लगातार बढ़ रहे रेल हादसों ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रेलवे सिस्टम अभी भी सुरक्षित नहीं? सिग्नलिंग, ट्रैक जांच, ट्रेन नियंत्रण और संचार इन सब पर सुधार की मांग फिर से तेज हो गई है।
बिलासपुर हादसा न सिर्फ एक तकनीकी चूक का नतीजा है, बल्कि उन परिवारों के लिए जीवनभर का दर्द बन गया है, जो आज अपने प्रियजनों के बिना हैं।
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