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नेपाल में नेताओं की इस बात से और भड़क उठे Gen-Z
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 10 Sep 2025 02:36 PM IST
नेपाल इन दिनों एक ऐतिहासिक राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ युवाओं का आक्रोश इस हद तक बढ़ गया कि बात तख्ता पलट तक जा पहुंची। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है और सड़कों पर युवा वर्ग विशेषकर जेन जी अपना गुस्सा उतार रहा है। यह महज एक आंदोलन नहीं, बल्कि नई पीढ़ी का वह डिजिटल विद्रोह है जो सोशल मीडिया से निकलकर संसद परिसर तक पहुंच चुका है।
नेपाल के युवाओं में लंबे समय से असंतोष व्यापक स्तर पर फैलता जा रहा था। नेताओं की विलासितापूर्ण जीवनशैली, परिवारवाद और भ्रष्टाचार ने इस आक्रोश को हवा दी। जब सोशल मीडिया पर नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम वाली तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए तो यह गुस्सा और भड़क गया। युवाओं ने नारे लगाए “हमारा टैक्स, तुम्हारी रईसी नहीं चलेगी।”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हुई यह मुहिम धीरे-धीरे सड़कों पर उतर आई। खासकर जब सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब और एक्स जैसे 26 प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो यह कदम आग में घी डालने जैसा साबित हुआ।
नेपाल की राजनीति लंबे समय से परिवारवाद के आरोपों से घिरी रही है। नेपाली कांग्रेस हो या सीपीएन-यूएमएल, हर दल में नेताओं के रिश्तेदार सत्ता और पदों पर बैठे दिखते हैं। हाल ही में ओली सरकार द्वारा अंजन शक्य जो ओली की रिश्तेदार मानी जाती हैं को नेशनल असेंबली में सदस्य बनाने की सिफारिश ने विवाद को और गहरा दिया।
इसी तरह, विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में रही। महेश दहाल को ऑस्ट्रेलिया का राजदूत बनाया गया, जिन्हें माओवादी नेता प्रचंड का करीबी रिश्तेदार बताया जाता है। कतर में नारद भारद्वाज की नियुक्ति हुई, जिन्हें ओली का भरोसेमंद माना जाता है। स्पेन और बांग्लादेश में भी नेताओं के करीबी नियुक्त किए गए। इससे योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी हुई और युवाओं का आक्रोश और भड़क उठा।
शुरुआत में यह आंदोलन सोशल मीडिया पर “Nepal Gen Z Revolution” हैशटैग से चला। युवाओं ने नेताओं और उनके बच्चों की तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें वे महंगी गाड़ियों, विदेश यात्राओं और लग्जरी जीवन का प्रदर्शन करते नजर आए। धीरे-धीरे यह आंदोलन सड़कों पर पहुंचा। हजारों की संख्या में युवा संसद परिसर तक पहुंच गए और नारे लगाने लगे।
युवाओं का कहना है कि यह सिर्फ गुस्से का इजहार नहीं, बल्कि बदलाव की मांग है। उनकी आवाज है- “अब पुराना सिस्टम नहीं, हमें नई राजनीति चाहिए।”
इस राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संयम की अपील की है। उन्होंने कहा कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है और लोकतांत्रिक समाधान की दिशा में सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने युवाओं से शांति बनाए रखने और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की।
वहीं, नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल ने भी बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है, अब जरूरत है कि जनता और संपत्ति की रक्षा की जाए। उन्होंने युवाओं से कहा कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान न पहुंचाएं और हिंसा से बचें।
इस तख्ता पलट ने नेपाल की राजनीति को पूरी तरह से झकझोर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ अस्थायी राजनीतिक संकट है या फिर नेपाल की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत?
युवाओं की मांग साफ है उन्हें भ्रष्टाचार और परिवारवाद से मुक्ति चाहिए। उनका कहना है कि नेताओं के बच्चों और परिवारों के लिए सत्ता का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। वे चाहते हैं कि योग्य और काबिल लोग सत्ता में आएं, न कि रिश्तेदारी और जान-पहचान के आधार पर।
नेपाल के मौजूदा हालात इस ओर इशारा करते हैं कि नई पीढ़ी ने पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को सीधी चुनौती दे दी है। सरकार गिर चुकी है और सत्ता के शीर्ष पर अस्थिरता है। लेकिन यह भी तय है कि अगर नेताओं ने अब भी सुधार नहीं किए, तो युवाओं का यह विद्रोह और तेज होगा।
राष्ट्रपति और सेना की अपील से यह साफ है कि नेपाल फिलहाल शांति चाहता है। मगर युवाओं का दबाव इतना प्रबल है कि आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीति में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।
कुल मिलाकर, नेपाल में हुआ यह तख्ता पलट महज एक सत्ता परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह उस नई पीढ़ी की आवाज है, जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद से आजिज आ चुकी है। सवाल अब यह है कि क्या नेपाल की राजनीति इस संदेश को समझ पाएगी या फिर जेन जी का यह विद्रोह आगे और बड़ा रूप लेगा।
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