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Three bills were introduced in the Lok Sabha, why is there a ruckus over this bill?
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लोकसभा में पेश किए तीन विधेयक, इस बिल पर बवाल क्यों?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 21 Aug 2025 05:25 PM IST
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केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में तीन बड़े और संवेदनशील विधेयक पेश किया। इन विधेयकों का मकसद साफ है- यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होकर 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें स्वतः अपने पद से हटाना। सरकार का कहना है कि मौजूदा कानूनों में इस तरह का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इस कमी को दूर करने के लिए ही केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 तैयार किए गए हैं।
नए प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिनों से अधिक गंभीर अपराध (जिनमें कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है) के आरोप में जेल में रहते हैं, तो उनके पद स्वतः समाप्त हो जाएंगे।
• अनुच्छेद 75 (केंद्र सरकार): यदि कोई केंद्रीय मंत्री 30 दिन तक जेल में है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे हटा देंगे। अगर सलाह नहीं दी गई, तो 31वें दिन से उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा। प्रधानमंत्री खुद जेल में हों तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा, अन्यथा उनका पद स्वतः खत्म हो जाएगा।
• अनुच्छेद 164 (राज्य सरकार): मुख्यमंत्री या राज्य मंत्री पर भी यही प्रावधान लागू होगा। मुख्यमंत्री अगर 30 दिन जेल में रहते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा, वरना पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
• अनुच्छेद 239AA (दिल्ली सरकार): दिल्ली सरकार में भी यही नियम लागू होंगे। दिल्ली का मुख्यमंत्री यदि 30 दिन जेल में है, तो 31वें दिन से उसका पद स्वतः खत्म हो जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में प्रस्ताव भी पेश करेंगे, जिसके जरिए इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा। सरकार का कहना है कि इस कदम से राजनीति अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और नैतिक बनेगी। किसी भी नेता पर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज होने और लंबे समय तक जेल में रहने की स्थिति में वह सत्ता का दुरुपयोग न कर सके, इसके लिए ये संशोधन आवश्यक हैं।
हालांकि विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा वार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्ष को अस्थिर करने और विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने के लिए यह नया कानून ला रही है।
सिंघवी ने कहा,
“बिना दोष साबित हुए ही किसी को जेल में डालकर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को पद से हटाना लोकतंत्र की हत्या है। यह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। सरकार अपनी एजेंसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कराएगी और फिर इन नए कानूनों के जरिए उन्हें सत्ता से बाहर कर देगी।”
कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जब तक अदालत में किसी पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक उसे निर्दोष माना जाता है। लेकिन इन विधेयकों में केवल गिरफ्तारी और 30 दिन की न्यायिक हिरासत को ही आधार मानकर पद से हटाने की बात कही जा रही है। सिंघवी का कहना है कि यह प्रावधान राजनीतिक हथियार बनकर इस्तेमाल किया जाएगा।
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को कभी इस कानून के तहत नहीं लाया जाएगा। लेकिन विपक्षी राज्यों में सीएम और मंत्रियों को एजेंसियों के जरिए निशाना बनाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह विधेयक कानून बन जाते हैं तो राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा। एक तरफ यह कदम नेताओं को अधिक जवाबदेह बनाएगा और गंभीर मामलों में फंसे नेताओं को सत्ता से बाहर करने में मदद करेगा। दूसरी तरफ विपक्ष की यह दलील भी मजबूत है कि इसका दुरुपयोग कर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाने की कोशिश हो सकती है।
गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को पेश करने के साथ ही इन्हें संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव भी रखेंगे। समिति इन पर विस्तृत चर्चा करेगी और सुझाव देगी। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर संसद में जोरदार बहस होगी और विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा।
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