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इस्राइल-हमास के बीच युद्धविराम के बाद US ने इस्राइल में भेजे 200 सैनिक
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 10 Oct 2025 02:48 PM IST
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लगातार दो वर्षों से खून और बारूद से झुलस रहा गाजा पट्टी अब राहत की सांस लेने को तैयार है। इस्राइल और हमास के बीच जारी खूनी संघर्ष को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता आखिरकार रंग लाई है। दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम के पहले चरण पर सहमति दे दी है। यह ऐतिहासिक समझौता काहिरा में हुई वार्ता के दौरान तय हुआ, जिसकी जानकारी शुक्रवार को आधिकारिक रूप से दी गई।
समझौते के पहले चरण में हमास 7 अक्टूबर 2023 के हमले में बंदी बनाए गए 48 इस्राइली नागरिकों को रिहा करेगा। हालांकि, दुखद यह है कि इनमें से केवल लगभग 20 लोगों के जीवित होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बदले इस्राइल सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें महिलाएं, नाबालिग और उम्रकैद काट रहे कई कैदी शामिल हैं।
इस समझौते के तहत एक इस्राइली बंधक के बदले 100 फिलिस्तीनी कैदी रिहा किए जाएंगे। युद्धविराम लागू होने के साथ ही दोनों पक्षों की सैन्य गतिविधियों पर रोक रहेगी। न हवाई हमले होंगे, न तोपों से गोलाबारी। इस्राइली सेना अपनी जगह पर स्थिर रहेगी और हमास भी नए हमले नहीं करेगा।
गाजा में लागू होने जा रहे युद्धविराम की निगरानी और मानवीय सहायता के लिए अमेरिका ने 200 सैनिकों को इस्राइल भेजने की घोषणा की है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ये सैनिक सिविल-मिलिट्री कोऑर्डिनेशन सेंटर में काम करेंगे, जो इस्राइल में स्थापित किया जाएगा।
इस केंद्र का मकसद मानवीय सहायता, लॉजिस्टिक सपोर्ट और सुरक्षा व्यवस्था का समन्वय करना होगा। अमेरिकी सेना के साथ कई साझेदार देश, गैर-सरकारी संगठन और निजी एजेंसियां भी इस प्रक्रिया में शामिल होंगी।
अमेरिका ने साफ किया है कि उसके कोई भी सैनिक गाजा में प्रवेश नहीं करेंगे। वे केवल इस्राइल से ही युद्धविराम और राहत प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने देर रात घोषणा की कि कैबिनेट ने हमास के कब्जे में बंधकों की रिहाई और युद्धविराम की रूपरेखा को मंजूरी दे दी है। नेतन्याहू ने कहा कि यह समझौता “हमारे नागरिकों को घर लाने और गाजा में स्थायी शांति बहाल करने की दिशा में बड़ा कदम” है।
इस्राइल की राजनीति में इस समझौते को लेकर हलचल है कुछ मंत्री इसे कूटनीतिक जीत बता रहे हैं, तो कुछ इसे हमास के आगे झुकना कह रहे हैं।
यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ था, जब हमास ने अचानक इस्राइल पर हमला कर दिया था। इस हमले में लगभग 1,200 इस्राइली नागरिक मारे गए और 250 को बंधक बना लिया गया।
इसके जवाब में इस्राइल ने गाजा पर पूर्ण घेराबंदी और सैन्य हमले शुरू कर दिए। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक की इस जंग में 67,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में कहा गया है कि गाजा में भुखमरी, जल संकट और अस्पतालों की तबाही जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है।
यह युद्धविराम समझौता पूरी तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से संभव हुआ है। ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“मैंने अब तक आठ युद्ध या बड़े संघर्ष रुकवाए हैं। यह आठवां है। मुझे विश्वास है कि रूस-यूक्रेन युद्ध भी जल्द ही समाप्त होगा। अगर मैं तब राष्ट्रपति होता, तो वह युद्ध कभी होता ही नहीं।”
व्हाइट हाउस में दिए बयान में ट्रंप ने गाजा समझौते को “मानवता की जीत” बताया और कहा कि “अब जरूरत है भरोसे और संयम की, ताकि यह शांति स्थायी बन सके।”
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह युद्धविराम पहला लेकिन नाजुक कदम है। हमास और इस्राइल के बीच दशकों की दुश्मनी को देखते हुए यह समझौता कब तक टिकेगा, कहना मुश्किल है। लेकिन फिलहाल, गाजा की जर्जर गलियों में यह खबर उम्मीद की पहली किरण बनकर आई है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसे “शांति की दिशा में ऐतिहासिक क्षण” बताते हुए कहा कि अब प्राथमिकता मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण को दी जानी चाहिए।
दो साल से जारी गाजा युद्ध ने दुनिया को यह दिखा दिया कि बंदूकें कभी शांति नहीं ला सकतीं। अब जबकि हमास और इस्राइल ने युद्धविराम की पहली शर्त पर सहमति दे दी है, लाखों लोगों को उम्मीद है कि यह खूनी अध्याय अब खत्म होगा। पर असली सवाल यही है क्या यह विराम सच में स्थायी शांति में बदलेगा, या फिर यह बस एक और अस्थायी सन्नाटा साबित होगा?
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