दमोह जिले के तेंदूखेड़ा में बुधवार रात मशहूर देवी गीत गायिका शहनाज अख्तर का आगमन हुआ। यहां उन्होंने देवी गीतों की प्रस्तुति दी। इस दौरान हजारों लोगों की भीड़ कार्यक्रम में मौजूद रही और पूरा पंडाल मातारानी के जयकारों से गूंज उठा। मां शक्ति की आराधना, उपासना और पूजा-अर्चना के महापर्व शारदीय नवरात्र पर राज्य शासन के संस्कृति विभाग द्वारा शक्ति पर्व का आयोजन कराया गया। तेंदूखेड़ा के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में संस्कृति, पर्यटन राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी की मौजूदगी में भक्ति गीत संध्या का आयोजन हुआ। जिसमें जबलपुर की भजन गायिका शहनाज अख्तर एवं उनके ग्रुप ने भक्ति गीतों के माध्यम से माता की आराधना कर सनातन धर्म का परचम लहराया।
शहनाज ने मंच पर चित-परिचित अंदाज में अंबा माई उतरी हैं... बाग में हो मां, शंकर चौड़ा रे, सिंगार माई कर रही, सोला रे, जैसे गीत पेश कर श्रोताओं को अपने साथ जोड़ लिया। उन्होंने वादकों के साथ जुगलबंदी कर बांसुरी, गिटार व तबला पर सुरीला ताना-बाना बुना। सुरों की महफिल को आगे बढ़ाते हुए शहनाज अख्तर ने अपना प्रसिद्ध भजन छुम छुम छनानन बाजे, मैया पांव पैजनियां गाकर अपने अथक रिजाय और घराने की परंपरा से सभी को परिचित कराया।
यह भी पढ़ें-
भस्म आरती में निराले स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, नवीन मुकुट के साथ धारण की मुंड माला
सुरों के सफर को विस्तार देते हुए
जैसे ही शहनाज ने मोरी मैया की चुनर उड़ी जाये, पवन धीरे धीर चलो री गीत पेश किया, पंडाल माता रानी के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने सुप्रसिद्ध गीत नौ दिन बनी मां दुल्हनिया रे की मनमोहक प्रस्तुति दी। रात के परिवेश में संगीत की सुगंध बिखर गई। सुंदर फूलों से श्रृंगारित मंच पर शहनाज देर रात तक अपनी आवाज की खुशबू बिखेरती रहीं। संगीत के सुरीले सफर को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने तीन ध्वजा तीनों लोक से आईं, आल्हा की ध्वजा नहीं आई, हो, मां गीत पेश किया तो मुझे चढ़ गया भगवा रंग-रंग गीत से सनातन संस्कृति को मंच पर जीवंत किया और अपनी गायकी के माधुर्य ने श्रोताओं को आनंद के सागर मैं डुबो दिया। इसके बाद तकदीर मुझे ले चल महाकाल की बस्ती में सहित अनेक गीतों की प्रस्तुति दी। इसी प्रकार अन्य कलाकार ने राम जी की निकली सवारी पर शानदार प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यमंत्री लोधी ने कहा कि गीतों को
सुनकर मन में उत्साह की अनुभूति प्राप्त हुई। शहनाज अख्तर की आवाज में एक अनोखी मिठास है जो सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। लोक में लीलाएं सदैव से लोकप्रिय रही हैं, क्योंकि वे केवल कथा नहीं कहीं, बल्कि श्रोताओं को भी स्वयं उस कथा का सहभागी बना देती हैं। उपस्थित जनसमूह ने संस्कृति विभाग एवं मंत्री धर्मेंद्र सिंह के प्रति आभार व्यक्त किया।