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Tikamgarh News: बुंदेलखंड के प्रसिद्ध मोनिया नृत्य की कुंडेश्वर धाम में धूम, सैकड़ों साल पुरानी परंपरा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़ Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो Updated Fri, 01 Nov 2024 10:50 PM IST
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बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल कुंडेश्वर धाम में आज मोनिया नृत्य की धूम है, जहां पर हजारों की संख्या में टोलियां पहुंचकर के अपनी-अपनी प्रस्तुति दे रही हैं।
बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल कुंडेश्वर धाम में शुक्रवार की सुबह से ही मोनिया नृत्य की टीम में पहुंचना शुरू हो गई थी, जो भगवान भोलेनाथ के आंगन में दिवारी गाकर के अपनी प्रस्तुति दे रही है। यह परंपरा सैकड़ो साल पुरानी बताई जाती है जिसमें हर गांव से 15 से 20 लोगों की एक टोली होती है जो नृत्य करती है। बुंदेलखंड में इसे गोवर्धन पूजा के साथ मनाया जाता है। गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद भगवान कृष्ण की भक्ति में पूजा परंपरा के तौर पर मनाया जाता है, जिसमें दीबारी गीत शामिल होते हैं और इसे बुंदेलखंड में दीबारी नृत्य भी कहा जाता है।
टीम रखती है मौन धारण
बुंदेलखंड में यह परंपरा है कि मोनिया टीम एक टीम को 12 साल धार्मिक स्थलों पर जाकर के अपनी प्रस्तुति देनी होती है और इस टीम के सदस्य मौन व्रत धारण करते हैं और 12 साल तक दीपावली के दूसरे दिन धार्मिक स्थलों पर जाकर के पूरे दिन दिवाली पर नाचते हैं। इसके बाद उनका शाम को मौन व्रत खत्म होता है।
बुंदेलखंड में है सैकड़ों साल पुरानी परंपरा
टीकमगढ़ कि समाजसेवी मनोज बाबू चौबे कहते हैं कि यह बुंदेलखंड की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा है। दीपावली के दूसरे दिन मोनिया नृत्य की टोलियां गांव-गांव जाकर अपना नृत्य प्रस्तुत करती हैं और ढोलक और नगड़िया पर नाचती है। इसमें लाठी प्रदर्शन के साथ-साथ नाच भी किया जाता है, टोली में पुरुष महिला का रूप धारण करके साथ में नाचते हैं जिससे कि लोगों का मनोरंजन होता है। इसे बुंदेलखंड में मोनिया नृत्य कहते हैं। यह परंपरागत होता है जिसमें युवा अलग ड्रेस में नजर आते हैं।
धीरे-धीरे बदल रही है मोनिया नृत्य की ड्रेस
आधुनिकता की चकाचौध में अव धीरे-धीरे बुंदेलखंड का परंपरागत मोनिया नृत्य भी बदल रहा है। पहले इसमें भाग लेने वाले युवा जहां लाठी का प्रदर्शन करते थे वहीं ढोलक और नगड़िया पर अपना नाच करते थे लेकिन यह परंपरा और धीरे-धीरे आम हो रही है। इस टीम के सदस्यों की ड्रेस अलग होती थी, लेकिन अब आधुनिकता के चलते अब जींस पहन कर भी लोग इस नृत्य में भाग लेते हैं। कुंडेश्वर धाम की मंदिर की पुजारी जमुना प्रसाद ने बताया कि टोली में भाग लेने वाले सभी सदस्य अपने आप को भगवान श्री कृष्ण का सखा मानते हैं। इस तरह उनकी आराधना करते हैं।
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