श्मशानवासी और प्रसिद्ध तांत्रिक अघोरी बाबा योगी बमबम नाथ महाराज को डोले में बैठाकर सुबह 2.30 बजे श्री महाकाल से अंतिम विदाई दी गई। ब्रह्मलीन होने के बाद नाथ संप्रदाय की परंपरानुसार उनका डोल चक्रतीर्थ श्मशान से रात 1.30 बजे शुरू हुआ और रात 2.30 बजे भगवान महाकाल के द्वार तक पहुंचा। बमबमनाथ रोज महाकाल दर्शन करने जाते थे। महाकाल से विदाई लेकर पार्थिव शरीर भीलवाड़ा स्थित मुख्य आश्रम (भूतनाथ महाकाल मंदिर) ले जाया गया। जहां समाधि दी। बाबाजी के शिष्य योगी सोमवार नाथ और खड़ेश्वरी अघोरी बाबा योगी विष्णु नाथ ने बताया कि योगी बमबम नाथ महाराज कुछ दिनों से अस्वस्थ थे, जिसके कारण ही वह ब्रह्मलीन हो गए।
श्मशानवासी थे बाबा बमबमनाथ
खड़ेश्वरी अघोरी बाबा विष्णु नाथ ने बताया हमारे गुरु बमबम नाथ परम तपस्वी और श्मशानवासी थे। कई वर्षो से वे प्रतिदिन भगवान महाकाल की भस्मार्ती में शामिल होते थे। आधी रात को घनघोर तपस्या करते थे। उनके जैसा तपस्वी इस उज्जैन नगरी में ना कभी हुआ ना होगा। अघोरी बाबा हमेशा चक्रतीर्थ श्मशान उज्जैन में रहकर अघोर तपस्या करते थे। उज्जैन शहर के चर्चित नागा साधु और बाबा महाकाल के भक्त बाबा बमबम नाथ लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे उज्जैन के एक निजी अस्पताल में उनका ईलाज भी जारी था। उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। देश-विदेश में फैले उनके हजारों भक्तों ने बाबा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
योगी आदित्यनाथ को गुरु भाई मानते थे बाबा बमबम नाथ
दरअसल, शिप्रा नदी के किनारे चक्रतीर्थ पर रहने वाले नागा बाबा बमबम नाथ विश्वप्रसिद्ध हैं। उनके तन पर पूरे कपड़े भी नहीं रहते। वह कभी श्मशान में धूनी रमाए दिखते तो कभी क्षिप्रा तट पर तपस्या में लीन बैठे रहते हैं। बाबा बमबमनाथ ऐसे ही अघोरी बाबा हैं, जिनका कोई ठौर-ठिकाना ही नहीं है। बाबा बमबम नाथ संप्रदाय से नाता रखते है। इसी वजह से योगी आदित्यनाथ को अपना गुरु भाई मानते थे।
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बिना दरवाजे वाले कमरे में रहते थे
अघोरी के रूप में साधारण जीवन बिताने वाले बाबा बमबम नाथ शिप्रा नदी के किनारे श्मशान में रहते हैं। चिलम पीते भस्मी लगाकर नाम मात्र के काले कपड़े पहने वाले बाबा अपने भक्तों के साथ मिलकर तांत्रिक क्रियाएं भी करते हैं। वह अपने पास एंड्रॉयड मोबाइल रखते हैं, जिसका इस्तेमाल में वॉइस कमांड के जरिए करते हैं। बिना दरवाजे वाले एक कमरे में रहते थे जहां वह अपनी तांत्रिक और हवन क्रियाएं करते थे।
मृत आत्माओं के लिए करते थे भंडारा
अघोरी बाबा श्मशान में मृत आत्माओं के लिए भी भंडारे का आयोजन करते रहते थे। उनके अनुसार उनकी सेवाएं दिन में जीवित और रात में मृत आत्माओं के लिए होती थी। ऐसा करने के पीछे कारण बताते हुए कहते हैं कि कई बात आत्माएं अपना रुचिकर भोजन ना मिल पाने की वजह से मोक्ष से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में उन्हें भोजन कराकर मुक्ति की कामना की जाती है।