उज्जैन शिप्रा नदी में कार सहित गिरे तीन पुलिसकर्मियों की तलाश में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार को खत्म हो गया। करीब 68 घंटे की मेहनत के बाद आरक्षक आरती पाल का शव बड़े पुल से करीब 80 मीटर दूर गहरे गड्ढे से बरामद हुआ था। बुधवार सुबह जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद आरती का शव सैफरान कॉलोनी स्थित उनके घर लाया गया, जहां परिवार और पुलिसकर्मियों ने नम आंखों से विदाई दी। चक्रतीर्थ घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। भाई लोकेंद्र ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अंतिम यात्रा में एडीजी उमेश जोगा, डीआईजी नवनीत भसीन, कलेक्टर रौशनकुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा, नगर निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा समेत कई अधिकारी और पुलिसकर्मी शामिल हुए।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
आरती पाल मूल रूप से रतलाम की अरिहंत कॉलोनी की रहने वाली थीं। उनके पिता अशोक पाल कलेक्टर कार्यालय से सेवानिवृत्त हैं और मां शीला पाल गृहिणी हैं। परिवार में छोटा भाई लोकेंद्र 12वीं का छात्र है। आरती ने 2013 में पुलिस सेवा जॉइन की थी। हाल ही में उनके बड़े भाई जितेंद्र का 30 जुलाई को बीमारी के चलते निधन हो गया था।
5 सितंबर को वह घर आई थीं और जाते समय परिजनों से कहा था कि इस बार जल्दी आऊंगी। लेकिन अगले ही दिन यह दर्दनाक हादसा हो गया।
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शव को सुरक्षित रखने में भी मुश्किलें
शव को रतलाम ले जाने पर चर्चा हुई थी, लेकिन हालत ठीक नहीं होने से उज्जैन में ही अंतिम संस्कार किया गया। जिला अस्पताल में शव रखने के लिए जब फ्रीजर मंगाया गया तो पता चला कि वहां के तीन डीप फ्रीजर में से दो खराब पड़े हैं। इस पर जीवाजीगंज टीआई विवेक कनोडिया ने फ्रीजर दुरुस्त करवाए, जिससे शव सुरक्षित रखा जा सका।
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