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हलवारा अनाज मंडी में थ्रेशर चालक उड़ा रहे कानून की धज्जियां
हलवारा की अनाज मंडी में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। धान की फसल के बचे छिलके (फक्क) से कमाई के लालच में कई छोटे व्यापारी गैर कानूनी तरीके से अनाज मंडी में थ्रेशर (हडंबा मशीन) चला बचे धान का टोटा अलग कर रहे हैं। इसके अलावा छिलके से गत्ता बनाने, फैक्ट्रियों और ईंट भट्ठों में आग जलाने के अलावा कई अन्य कामों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। छोटे व्यापारी लालच वश जहां एक तरफ वातावर्ण को प्रदूषित कर रहे हैं वहीं अनाज मंडी में धान की साफ फसल को भी नुकसान हो रहा है। बोरियों में भरने को तैयार धान की फसल में थ्रेशर से उड़ने वाली धुल मिट्टी और छिलका मिक्स हो रहा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस और अकाली भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अनाज मंडी और रिहायशी इलाकों के एक किलोमीटर के दायरे में थ्रेशर चलाने पर पूर्ण रूप से पाबंदी रहती थी। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाने के बाद ये पाबंदी हटा दी गई। सरकार अब इसके टेंडर भी नहीं देती।
हलवारा के सरपंच सुखविंदर सिंह ने आरोप लगाया कि थ्रेशर चालकों ने पंचायत से कोई आज्ञा नहीं ली और ना हीं सूचित किया गया है। इस बारे में मंडीकरण बोर्ड के अधिकारियों ने एसडीएम से मुलाकात करके शिकायत की थी और जिला मंडी अफसर को भी शिकायत भेजी गई लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
उधर हलवारा वासियों का आरोप है कि मौजूदा थ्रेशर चालक जहां लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे है वहीं मंडी में रखी धान की फसल का नुकसान होने से सरकारी खजाने पर विपरीत असर पड़ रहा है। तमाम सरकारी मापदंड और औपचारिकता पूरी होने के बाद फसल को बोरियों में भरा जाता है लेकिन मंडियों के बीचोबीच थ्रेशर चलाये जाने से अधिकारीयों की लापरवाही भी सामने आ रही है। आरोप है कि हलवारा में अधिकारियों की मिलीभगत से सरेआम अनाज मंडी के पक्के फड़ में एक दो नहीं बल्कि चार चार थ्रेशर चल रहे हैं।
अमर उजाला की टीम ने जब हलवारा अनाज मंडी जाकर थ्रेशर चालक सोमा सिंह और काला सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि वो व्यापारी पूर्ण सिंह के लिए 600 रुपये दिहाड़ी पर काम कर रहे हैं | इस दौरान कुछ देर बाद सभी थ्रेशर चालक छिलका आदि वहीं छोड़ अपना ट्रैक्टर थ्रेशर आदि लेकर मंडी से फरार हो गए और छिलका आदि।
उधर मंडीकरण बोर्ड के सुपरवाइजर हरजीत सिंह ने बताया कि अनाज मंडी में थ्रेशर नहीं चलाया जा सकता, लेकिन कानून में ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है कि चालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा थ्रेशर ट्रेक्टर और अन्य मछीनरी को जब्त किया जा सके ।थ्रेशर चलाने वालों को सिर्फ समझभूजा कर मंडी से दूर जाने को कहा जाता है | हालांकि थ्रेशर मंडी में चलते देखे गए लेकिन हरजीत सिंह इस बात से साफ मुकर गए और कहा कि थ्रेशर पंचायत की जमीन में चल रहे थे ना कि मंडी में जमीन पर।
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