अलवर शहर के मिनी सचिवालय के गेट पर किसान यूनियन के कई संगठनों ने मिलकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने निम्नलिखित मांगों का तुरंत निस्तारण करने की मांग की। भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र मोर ने बताया कि किसानों की 5 मुख्य मांगें हैं, जिनमें
- सर्दियों में फरवरी माह तक दिन में बिजली उपलब्ध कराई जाए।
- किसान भवन को EPFO कार्यालय से हटाकर किसानों के लिए खोला जाए।
- विद्युत विभाग में निजीकरण बंद किया जाए।
- ओलावृष्टि से हुए नुकसान की गिरदावरी कराकर उचित मुआवजा दिया जाए।
- ईआरसीपी प्रोजेक्ट से कृषि को पहले चरण में जोड़ा जाए।
किसानों की समस्याएं क्या
किसान यूनियन के नेता ने बताया कि रात में बिजली आने के कारण सर्दियों में किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि दिन में बिजली दी जाए, तो किसान आसानी से अपनी खेती की सिंचाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग के निजीकरण से किसानों को आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि सरकार जो छूट देती है, वह निजी कंपनियां नहीं देंगी। ओलावृष्टि से 100% फसल खराब होने के बावजूद अधिकारी नुकसान को 20-30% दिखा रहे हैं, जो गलत है। नुकसान का दोबारा सर्वेक्षण कराकर सही मुआवजा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे बताया कि किसान भवन किराए पर दिया जा रहा है, जबकि यह किसानों के लिए बनाया गया है। इसे तुरंत खाली कराकर किसानों के लिए रखा जाए, ताकि दूर से आए किसान वहां आराम कर सकें। आवारा पशुओं की समस्या पर भी उन्होंने कहा कि ये पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार को इसके लिए मिलने वाले फंड का उपयोग कर इस समस्या को रोकना चाहिए।
ERCP योजना में संशोधन की मांग
किसानों ने कह कि ERCP योजना में सिंचाई को चौथे चरण में रखा गया है, जबकि इसे पहले चरण में रखा जाना चाहिए। परियोजना का नाम बदलने और पानी की मात्रा कम करने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में
मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच हुए एमओयू को विधानसभा में पेश नहीं किया गया है। ईआरसीपी परियोजना का नाम बदला गया और पानी की मात्रा को भी कम कर दिया गया है। यह किसानों के हित में नहीं है। यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो किसान बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।