अलवर जिले में सावन की पहली बारिश ने नगर निगम और जिला प्रशासन की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी। शुक्रवार को शहर में महज आधे घंटे की तेज बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया। सड़कों पर पानी ही पानी नजर आया, जनरल अस्पताल तालाब में तब्दील हो गया और मरीजों को कीचड़ और जलभराव के बीच से गुजरना पड़ा। यह बारिश एक बार फिर सवाल खड़ा कर गई है- क्या नगर निगम ने वाकई मानसून से पहले कोई तैयारी की थी?
जनरल अस्पताल में भरा पानी, मरीजों की बढ़ी परेशानी
अलवर के जिला जनरल अस्पताल की हालत सबसे चिंताजनक रही। बारिश शुरू होने के कुछ ही मिनटों में अस्पताल परिसर के मुख्य गेट से लेकर अंदर तक पानी भर गया। जहां एक ओर मरीज इलाज के लिए पहुंचे, वहीं दूसरी ओर उन्हें जलमग्न परिसर और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ा। बुजुर्ग, विकलांग और महिलाएं अधिक प्रभावित हुईं। कई जगह स्टाफ और सुरक्षाकर्मी भी पानी में फिसलते नजर आए।
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बारिश के पानी ने न सिर्फ अस्पताल की कार्यप्रणाली को प्रभावित किया, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों को भी असहज परिस्थितियों में डाल दिया। यह घटना साफ इशारा करती है कि अस्पताल परिसर की जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम है।
सड़कें बनीं दरिया, बाजार और चौराहे हुए जलमग्न
बारिश ने शहर के तमाम प्रमुख बाजारों और चौराहों को भी नहीं बख्शा। घंटाघर, बिजली घर चौराहा, SMD सर्किल, होप सर्कस और शहर के अन्य प्रमुख इलाकों में पानी भर गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। दोपहिया वाहन चालक जगह-जगह फिसलते दिखे और कई को चोटें भी आईं।
बारिश के बाद उत्पन्न हुई स्थिति को लेकर व्यापारी वर्ग और दुकानदारों ने शिकायत की कि पानी भरने से ग्राहकों का आना-जाना बंद हो गया, जिससे कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है। जो लोग किसी जरूरी काम से बाहर निकले थे, उन्हें कीचड़ और पानी के बीच फंसना पड़ा।
नगर निगम पर लगाया लापरवाही का आरोप
स्थानीय निवासियों ने नगर निगम की कार्यशैली पर तीखा सवाल उठाया। उनका कहना है कि हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई और जल निकासी व्यवस्था के दुरुस्त करने की बात की जाती है, लेकिन असल में केवल दिखावे के काम होते हैं। बारिश होते ही नालियां उफान पर आ जाती हैं और गंदा पानी सड़कों पर फैलने लगता है।
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लोगों ने बताया कि शहर में कई जगह पर नालियों की खुदाई अधूरी छोड़ दी गई थी, जिससे गंदगी और कीचड़ जमा हो गई और पानी का बहाव बाधित हुआ। इससे न सिर्फ जलजमाव हुआ, बल्कि वातावरण भी बेहद अस्वच्छ हो गया। शहरवासियों का यह भी कहना है कि नगर परिषद सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनाती है, जमीन पर इनका कोई असर नहीं दिखता।