राजधानी स्थित सवाई मानसिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। कॉलेज देश के उन चुनिंदा चिकित्सा संस्थानों में शामिल हो गया है, जहां पहली बार रोबोटिक तकनीक की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। यह सरकारी क्षेत्र में किसी मेडिकल कॉलेज के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
रोबोटिक ट्रांसप्लांट की सफलता
यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शिवम प्रियदर्शी ने बताया कि इस ऑपरेशन में 34 वर्षीय युवक को उसकी मां ने किडनी दान कर नया जीवन दिया। डॉ. शिवम के अनुसार, एसएमएस में पिछले 20-25 वर्षों से रीनल ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं और 2015 से कैडेवर ट्रांसप्लांट भी शुरू हुए थे। लेकिन पहली बार रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट करना इस दिन को ऐतिहासिक बनाता है।
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रोबोटिक सर्जरी के फायदे
डॉ. शिवम ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी पारंपरिक पद्धति की तुलना में अधिक सुरक्षित और सटीक है। इसमें डॉक्टर सीधे ऑपरेशन नहीं करते, बल्कि रोबोटिक आर्म्स, 3-डी विजन और हाई-डेफिनिशन कैमरे की मदद से सर्जरी पूरी की जाती है।
मुख्य लाभ:
- मरीज को कम खून बहता है और इंफेक्शन का खतरा कम होता है।
- सर्जरी के 24 घंटे के भीतर मरीज चलने-फिरने लगता है।
- अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि घट जाती है।
- बड़े निशान नहीं रहते और कॉस्मेटिक परिणाम बेहतर होते हैं।
- मरीज जल्दी सामान्य जीवन में लौट पाता है।
डॉ. शिवम ने बताया कि इस तकनीक से नसों और रक्त वाहिकाओं को जोड़ने का काम भी अधिक सटीकता से किया जा सकता है। फिलहाल यह सुविधा देशभर में केवल चुनिंदा बड़े निजी अस्पताल ही दे रहे हैं। ऐसे में सरकारी स्तर पर इसकी शुरुआत होना मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत की बात है।