गणेश चतुर्थी पर माउंटआबू स्थित भगवान गणेश के अतिप्राचीन मंदिर का उल्लेख करना आवश्यक है, क्योंकि यहां भगवान गणपति की गोबर स्वरूप में पूजा होती है। स्कंद पुराण एवं अर्बुद खंड में इसे भगवान गणेश की जन्मस्थली बताया गया है। यह मंदिर गणेश प्वाइंट के नाम से जाना जाता है और गणपति उत्सव के समय यहां खास रौनक रहती है।
माउंटआबू रोडवेज बस स्टैंड से लगभग 3 किलोमीटर दूर गणेश प्वाइंट पर भगवान गणेश का यह प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि भगवान शिव-पार्वती ने देवी-देवताओं के सामने गोबर से गणेश का निर्माण किया। इसे गौरी शिखर के नाम से भी जाना जाता है।
ये भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi: शादी की आस लिए गणपति के द्वार पहुंचे सैकड़ों कुंवारे, यहां प्रसाद के रूप में बंटती है मेहंदी
गणेश मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष तिलोक जानी के अनुसार स्कंद पुराण एवं अर्बुद खंड में भगवान गणेश का जन्म माउंटआबू के गणेश प्वाइंट पर बताया गया है। गुरु शिखर पर भगवान दत्तात्रेय भी अपनी तपस्या करते थे। इसलिए माउंटआबू को शिव की उपनगरी कहा जाता है।
यहां हर साल गणेश उत्सव 5 से 10 दिन तक मनाया जाता है। गणेश पॉइंट पर स्थापना अनंत चौदस तक रहती है। इस दौरान पांडालों की सजावट और पूजा की भव्यता देखने लायक होती है। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी से अनंत चौदस तक यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।