सांसारिक जीवन की चमक-दमक और कारोबार की व्यस्तता छोड़कर तीन जैन श्रावक अब आत्मिक शांति और संयम के मार्ग पर कदम रखने जा रहे हैं। रविवार को ये तीनों दीक्षा ग्रहण करेंगे। दीक्षा समारोह हिरणमगरी सेक्टर-4 स्थित विद्या निकेतन स्कूल में आचार्य पुण्य सागर महाराज के सान्निध्य में आयोजित होगा।
तीनों दीक्षार्थियों में शामिल हैं फरीदाबाद के आदर्श कुमार जैन, मुंबई के अरविंद कोटड़िया और मूल रूप से उदयपुर के देवीलाल भोरावत। ये सभी पिछले कई वर्षों से आचार्य पुण्य सागर महाराज के प्रवचनों और विहार यात्राओं से प्रभावित होकर धीरे-धीरे धर्म के मार्ग पर आगे बढ़े हैं। दीक्षा से पहले कार्यक्रमों के तहत शुक्रवार को हल्दी-मेहंदी की रस्म हुई और शनिवार शाम तीनों की शोभायात्रा और गोद भराई का आयोजन किया गया। रविवार को वे आध्यात्मिक जीवन अपनाएंगे।
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68 वर्षीय आदर्श कुमार जैन फरीदाबाद में पेपर मिल के स्पेयर पार्ट्स बनाने का बड़ा व्यवसाय करते हैं। उनके पास सालाना तीन करोड़ रुपए का टर्नओवर और प्रतिष्ठा थी, लेकिन मन को शांति नहीं मिल रही थी। उन्होंने बताया कि धन तो था, लेकिन अंदर का सुकून नहीं था। अब वे अपनी पत्नी पूनम जैन, दो बेटों और बेटी डॉ. प्राची को सौंपकर साधना और संयम का जीवन अपनाएंगे।
मुंबई के 76 वर्षीय अरविंद कोटड़िया पावरलूम कमीशन एजेंट हैं। लाखों रुपए के कारोबार और लग्जरी जीवन होने के बावजूद उनका मन आध्यात्मिकता की ओर खिंच गया। उन्होंने बताया कि गुरुदेव के साथ मुंबई से नासिक की ओर 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान उन्होंने तय किया कि अब वे घर वापस नहीं लौटेंगे और गुरु के साथ साधना करेंगे। उनके परिवार में पत्नी सुलोचना, पुत्र धर्मेश और दो बेटियां अनिता और पूर्वी हैं।
उदयपुर के 76 वर्षीय देवीलाल भोरावत ने 13 साल की उम्र में गांव छोड़ा और मुंबई में इलेक्ट्रिक और हार्डवेयर का व्यवसाय शुरू किया। 2009 में गुरुदेव पुण्य सागर महाराज के दर्शन के बाद उनका मन धर्म की ओर झुका। उनकी पत्नी बबली देवी ने पहले ही दीक्षा ली हुई है और अब देवीलाल अपने दो बेटों को कारोबार सौंपकर दीक्षा ग्रहण करेंगे।
उदयपुर में श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, सेक्टर-4 के अध्यक्ष झमकलाल अखावत ने बताया कि रविवार को आचार्य पुण्य सागर महाराज के सान्निध्य में दीक्षा समारोह आयोजित होगा। तीनों दीक्षार्थियों की जीवन यात्रा अब सांसारिक सफलता से ऊपर उठकर आत्मिक शांति और आत्मकल्याण की ओर बढ़ेगी। उनका लक्ष्य अब केवल कारोबार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन और साधना होगी।