शहर के एक स्कूल में तिलक और कलावा पहनकर आने पर प्रतिबंध का लेकर पेरेंट्स व हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और धार्मिक प्रतीकों पर रोक की निंदा की।
पेरेंट्स ने शिकायत की थी कि स्कूल प्रबंधन छात्रों के हाथों में कलावा और माथे पर तिलक लगाने को प्रतिबंधित कर रहा है। पेरेंट्स के अनुसार यदि कोई छात्र ऐसा करता है तो स्कूल स्टाफ उसे उतरवा देता है। इस पर अभिभावकों ने आरोप लगाया कि यह कदम हिंदू छात्रों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।
भाजपा नेताओं ने भी इस पर विरोध जताया। हंगामे की सूचना पर भाजपा शहर जिला महामंत्री पंकज बोराना, भाजयुमो के पूर्व जिला अध्यक्ष सन्नी पोखरना सहित कई नेता स्कूल पहुंच गए। इन नेताओं ने स्कूल मैनेजमेंट के फादर वर्गिस थॉमस और प्रिंसिपल सुभा जोश से कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि किसी भी धर्म के प्रतीकों पर रोक लगाना उचित नहीं है।
भाजपा नेताओं का कहना था कि वाइस प्रिंसिपल अनिल गोस्वामी की ओर से छात्रों को धार्मिक प्रतीक हटाने के लिए कहा जाता है। इस संबंध में सांसद मन्नालाल रावत और डीईओ लोकेश भारती को भी शिकायत भेजी गई है।
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हंगामे की सूचना पर सुखेर थानाधिकारी रविन्द्र चारण जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को शांत कराने के लिए समझाइश करते नजर आए।
स्कूल में केवल धार्मिक प्रतीक विवाद ही नहीं, बल्कि स्टाफ से जुड़े कई मुद्दे भी उभरकर सामने आए। साथ ही करीब एक से डेढ़ महीने पहले हटाई गई दो टीचरों की टर्मिनेशन पर भी विवाद सामने आया। मामले में अनीता कुरियन और संजून वर्गिस अपने टर्मिनेशन के विरोध में स्कूल के बाहर धरने पर बैठ गईं।
दोनों शिक्षिकाओं ने प्रिंसिपल हटाओ, पक्षपात बंद करो जैसे नारों वाली तख्तियां लेकर स्कूल प्रबंधन पर मनमानी के आरोप लगाए। शिक्षिकाओं ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है। टीचर्स का कहना है कि वे स्कूल में 30 वर्षों से कार्यरत हैं लेकिन स्कूल प्रशासन ने झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनका टर्मिनेशन किया, जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि स्कूल की इस मनमानी के खिलाफ वे प्रशासन से न्याय की मांग कर रही हैं।