चीन 1 अक्टूबर से अपना नया K-Visa लॉन्च करने जा रहा है। यह वीजा विशेष रूप से युवा STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसे अमेरिका के H-1B वीजा के चीनी विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अब ऐसे में K-VISA के बारे में जानना अहम हो जाता है कि इसकी विशेषताएं भारत के युवाओं को किस तरह से फायदा पहुंचा सकता है, इसके लिए कैसे अप्लाई कर सकते हैं। आइए, समझते हैं…
दरअसल, दुनिया भर में काम करने वाले टेक्नोलॉजी और रिसर्च प्रोफेशनल्स के लिए वीजा हमेशा बड़ी चुनौती रहा है। अमेरिका का H-1B वीजा तो लंबे समय से भारतीय युवाओं का सपना रहा है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में H-1B वीजा फीस 100,000 डॉलर तक बढ़ा दी है, जिससे लाखों भारतीय युवाओं के सपनों पर बड़ा बोझ पड़ गया है। इसी बीच चीन ने एक बिल्कुल नया विकल्प पेश किया है K-Visa
क्या है K-Visa?
चीन का यह नया वीजा खास तौर पर STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) के छात्रों और रिसर्चर युवाओं के लिए है। इसमें आवेदन करने वालों को मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या रिसर्च संस्थान से कम से कम ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। उम्र 18 से 45 साल के बीच होनी चाहिए और वे रिसर्च, पढ़ाई या प्रोफेशनल काम में जुड़े हों।
H-1B से अलग और बेहतर
K-Visa कई मायनों में अमेरिकी H-1B से अलग है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें किसी कंपनी की Sponsorship की जरूरत नहीं है। यानी किसी चीनी कंपनी से नौकरी का ऑफर आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
इसके अलावा, इसमें लचीलापन भी ज्यादा है। वीजा लंबे समय तक वैध रहेगा, कई बार चीन आने-जाने की सुविधा देगा और शिक्षा, रिसर्च, बिजनेस, कल्चरल एक्सचेंज जैसे कई क्षेत्रों में काम करने की छूट देगा। आवेदन प्रक्रिया भी आसान बताई जा रही है, जिसमें ज्यादा कागज़ी कार्रवाई नहीं होगी।
भारतीयों के लिए बड़ा मौका
भारत से हर साल लाखों युवा इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूरी करते हैं। ऐसे में उनके लिए यह नया वीजा एक आकर्षक विकल्प बन सकता है।
-
भारतीय ग्रेजुएट सीधे आवेदन कर पाएंगे
-
रिसर्च से लेकर स्टार्टअप और बिजनेस तक अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलेगा
-
सबसे खास – नौकरी का ऑफर आने का इंतजार किए बिना आवेदन करना संभव होगा
लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं
चीन में यह वीजा कई फायदे लेकर आया है, मगर इसके साथ चुनौतियां भी हैं। चीन की अर्थव्यवस्था फिलहाल मंदी से जूझ रही है और युवाओं की बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है। इसके अलावा, भाषा यानी मैंडेरिन एक बड़ी बाधा साबित हो सकती है। लंबे समय के लिए करियर सुरक्षित करना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि स्थायी नागरिकता (Permanent Residency) पाने के विकल्प सीमित हैं।
चीन की रणनीति और भू-राजनीतिक असर
दरअसल, यह वीजा सिर्फ टैलेंट लाने का तरीका नहीं, बल्कि चीन की रणनीति का हिस्सा है। प्रीमियर ली कियांग की अगुवाई में चीन खुद को विज्ञान और टेक्नोलॉजी की महाशक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन के मुताबिक, यह कदम "अंतरराष्ट्रीय युवा पेशेवरों और चीनी युवाओं के बीच वैज्ञानिक-तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देगा।"
विशेषज्ञ इसे वैश्विक राजनीति में बड़ा बदलाव मान रहे हैं। एक तरफ अमेरिका वीजा की फीस और नियम सख्त कर रहा है, तो दूसरी तरफ चीन अपने दरवाजे खोल रहा है। पूर्व किर्गिज़ प्रधानमंत्री जूमार्ट ओटोरबायेव ने तो इसे इस तरह समझाया: "अमेरिका कह रहा है कि हमें आपकी जरूरत नहीं, जबकि चीन कह रहा है कि हम आपका स्वागत करते हैं।"
आवेदन प्रक्रिया
K-Visa के लिए आवेदन करना भी अपेक्षाकृत आसान बताया जा रहा है। पहले योग्यता की पुष्टि करनी होगी (डिग्री, आयु और STEM क्षेत्र), फिर डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा कर ऑनलाइन या चीनी दूतावास/कांसुलेट के जरिए आवेदन करना होगा। विस्तृत गाइडलाइन जल्द ही दूतावासों की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।
देखिए वीडियो...