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Sri Lanka: भारत के विकास पर ही टिकी हुई हैं श्रीलंका की अपनी बेहतरी की सारी उम्मीदें

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 24 Apr 2023 01:30 PM IST
सार

जानकारों के मुताबिक श्रीलंका की बंदरगाह परियोजनाएं तभी कामयाब हो सकती हैं, जब पड़ोसी देशों से श्रीलंका का कारोबार तेजी से बढ़े। श्रीलंका के संबंध पाकिस्तान के साथ भी बेहतर हैं। लेकिन राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा- ‘पाकिस्तान भी अभी हमारी तरह ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है।’

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All the hopes of Sri Lanka for its betterment rest on the development of India
Sri Lanka President Ranil Wickremesinghe - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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कोलंबो नॉर्थ पोर्ट के लाभकारी होने की श्रीलंका की सारी उम्मीदें भारत, पाकिस्तान और ईरान से जुड़ी हुई हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अब ये बात खुल कर कही है। उन्होने कहा- ‘हमें इस बात पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भारत में क्या हो रहा है, पाकिस्तान में क्या हो रहा है और ईरान में क्या हो रहा है। ये तीन देश ही इस परियोजना की क्षमता को तय करेंगे। लेकिन इनमें से अभी सिर्फ बेहतर संभावनाएं भारत में नजर आ रही हैं।’  

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यह परियोजना 30 साल में पूरी होगी। विक्रमसिंघे इस परियोजना से संबंधित फोरम की बैठक को संबोधित कर रहे थे। वहां दिए उनके भाषण से साफ हो गया कि श्रीलंका को अपना भविष्य भारत से जुड़ा नजर आता है। विक्रमसिंघे ने कहा- ‘खासकर भारत के कुछ इलाकों में बहुत तेज गति से औद्योगीकरण हो रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत- खासकर तमिलनाडु ऐसे इलाके हैं।’ विक्रमसिंघे ने बताया कि श्रीलंका त्रिंकोमली बंदरगाह के विकास के लिए भारत से बातचीत कर रहा है।

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जानकारों के मुताबिक श्रीलंका की बंदरगाह परियोजनाएं तभी कामयाब हो सकती हैं, जब पड़ोसी देशों से श्रीलंका का कारोबार तेजी से बढ़े। श्रीलंका के संबंध पाकिस्तान के साथ भी बेहतर हैं। लेकिन राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा- ‘पाकिस्तान भी अभी हमारी तरह ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है।’ श्रीलंका के विश्लेषक ध्यान दिलाते रहे हैं कि पाकिस्तान और श्रीलंका के हालात में काफी समानताएं हैं।

पाकिस्तान में भी श्रीलंका की तरह ही सेंट्रल बैंक ने गैर-जिम्मेदाराना ढंग नोटों की छपाई की है। इससे उसके रुपये का मूल्य गिरा है।

भारत और पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका को आशा ईरान से है। ईरान के साथ खास बात यह है कि वह तेल उत्पादक देश है। मगर कई कारणों से ईरान भी फिलहाल आर्थिक संकट में है।

त्रिंकोमली पोर्ट से श्रीलंका को भविष्य में काफी फायदा मिलने की आशा है। विक्रमसिंघे ने कहा- ‘अगले 25 वर्षों में बंगाल की खाड़ी में बड़े पैमाने पर विकास होगा। यह विकास भारत की तरफ भी होगा और बांग्लादेश, मलेशिया और म्यांमार की तरफ भी। इसलिए हम त्रिंकोमली पोर्ट पर अपना ध्यान केंद्रिंत कर रहे हैं। यह पोर्ट बनने से बंगाल की खाड़ी क्रूज पर्यटन का केंद्र बन जाएगी।’

श्रीलंका में चीन की सहायता से हम्बनटोटा पोर्ट बनाया गया था। वहां चार हजार एकड़ इलाके में औद्योगिक क्षेत्र बनाने की योजना बनाई गई है। वहां एक रिफाइनरी बनाने की कोशिश भी चल रही है। इस बंदरगाह परियोजना को लेकर खासा अंतरराष्ट्रीय विवाद रहा है। पश्चिमी विश्लेषकों का आरोप है कि श्रीलंका को कर्ज के संकट में फंसाने में इस परियोजना की बड़ी भूमिका रही। लेकिन श्रीलंका का चीन से भरोसा नहीं टूटा है।

विक्रमसिंघे ने कहा- ‘हमें यह भी याद रखना चाहिए कि चीन अफ्रीकी देशों को जोड़ने वाली रेल परियोजना निर्मित कर रहा है। इसके जरिए आप केन्या से लेकर पश्चिमी अफ्रीकी तट तक जा सकते हैं। दूसरी रेल लाइन कोंगो से होते हुए गुजरेगी। इस तरह उस क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स और परिवहन का चेहरा बदल जाएगा। इन सब पर ध्यान रखते हुए हमें खुद को एडजस्ट करना होगा। अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि श्रीलंका हिंद महासागर में (नए विकास का) केंद्र बन जाए।’

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