अमेरिका: भारतीयों की बढ़ी चिंता, एच-1 बी वीजा के खिलाफ कई विधेयक पेश
ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1 बी वीजा सुधारों पर जारी कवायद के बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट में कम से कम आधा दर्जन विधेयक पेश किए गए हैं। इन विधेयकों में दलील दी गई है कि भारतीय आईटी कंपनियों के बीच लोकप्रिय एच-1 बी कार्यक्रम अमेरिकियों की नौकरियां खा रहा है। इन विधेयकों को डेमोक्रेटिक व रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के नेताओं ने रखा है।
अमेरिका में इन विधेयकों को ड्राफ्ट करने वाले डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन नेताओं का मानना है कि भारत के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच बेहद लोकप्रिय एच-1 बी वीजा अमेरिकी कामगारों को नौकरियों से बेदखल करने वाला है। कई रिसर्च स्कालरों, अर्थशास्त्रियों और सिलिकॉन वैली के अधिकारियों ने विधेयक निर्माताओं के तर्कों को विवादित बताया है, जबकि अमेरिकी संसद ‘कांग्रेस’ के दोनों सदनों में रखे गए ये विधेयक इस पर आधारित हैं कि भारतीय टेक्नालाजी कंपनियां अमेरिकियों की नौकरियां खा रही हैं।
डेमोक्रेट जोए लोफग्रेन ने ‘द हाई-स्किल्ड इंटिग्रिटी ऐंड फेयरनेस ऐक्ट-2017’ नामक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक में एच-1बी वीजा धारकों के लिए न्यूनतम वेतन 1,30,000 डॉलर रखने का प्रस्ताव है।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का कामकाज संभालने के बाद एक हफ्ते के भीतर रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रैसले और सीनेट में अल्पमत पक्ष के सहायक नेता डिक डर्बन ने ‘एच-1बी एवं एल-1 वीजा सुधार अधिनियम’ पेश किया था ताकि अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता मिले और कुशल कामगारों के लिए वीजा कार्यक्रम में निष्पक्षता बहाल की जाए। एच-1बी सुधार विधेयक में लॉटरी व्यवस्था को खत्म करने और अमेरिका में शिक्षा हासिल करने वाले विदेशी छात्रों को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव दिया गया है। कुछ अन्य सदस्यों ने भी एच-1बी वीजा कार्यक्रम से संबंधित विधेयक पेश किए हैं।
'वर्तमान व्यवस्था अमेरिका में दुनिया से उच्च कोटि के पेशेवर नहीं ला सकी'
मध्य-स्तर कामगारों को पीएचडी और कुशल लोगों से रिप्लेस करने की मंशा
ग्रीन कार्ड आधारित एच-1 बी वीजा श्रेणी और नियुक्तियां अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। लेकिन यह श्रेणी और नियुक्तियां देश में पीएचडी और कंप्यूटर विज्ञानियों को लाने के मकसद से अनुकूल साबित नहीं हुई हैं। अमेरिका के शीर्ष सीनेटर टॉम कॉटन और डेविड पर्ड्यू ने व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात के बाद कहा कि - ‘इस वीजा श्रेणी के तहत मध्यम-स्तर के डाटा मैनेजमेंट कामगारों को ही देश में जगह मिली है, जबकि देश को कुशल विदेशी विशेषज्ञों की जरूरत है।’
रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा कि - ‘वर्तमान व्यवस्था अमेरिका में दुनिया से उच्च कोटि के पेशेवर नहीं ला सकी है। इसलिए इसमें सुधार की जरूरत है जिस पर ट्रंप काम कर रहे हैं।’ टॉम ने कहा, ‘राष्ट्रपति अमेरिका में पूरी दुनिया से उच्च कोटि के लोगों को अमेरिका लाना चाहते हैं। वह मध्यम-स्तर के डाटा मैनेजमेंट कामगारों को मंझोले स्तर की प्रतिभाओं से रिप्लेस करना चाहते हैं।
त्वरित एच-1 बी वीजा बंद करने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था होगी प्रभावित
विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि अमेरिका ने त्वरित एच-1 बी वीजा उपलब्ध कराने की व्यवस्था को निलंबित करने का जो फैसला किया है उसका भारत पर फौरी तौर पर प्रतिकूल असर तो पड़ेगा ही, लेकिन इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।
बसु ने ट्विटर पर लिखा है कि - ‘त्वरित एच-1बी वीजा के निलंबन के अमेरिकी फैसले से भारत पर फौरी असर होगा लेकिन बाद में मददगार होगा। जबकि अमेरिका को इससे भारी नुकसान होगा।’ बसु इस समय कोरनेल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। अमेरिका ने घोषणा की है कि वह 3 अप्रैल से एच-1 बी वीजा की प्रीमियम के तौर पर होने वाली प्रक्रिया को बंद करेगा।
एच1बी मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत जारी रहेगी : भारत
सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह एच1बी वीजा पर भारतीय पेशेवरों की चिंताओं को हल करने की कोशिश कर रही है। सरकार ने कहा कि अमेरिकी सरकार की पहल में गैरकानूनी आव्रजन को लक्षित किया गया है और इस मसले पर डोनाल्ड ट्रंप की सरकार से उनकी बातचीत जारी रहेगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने आगे कहा कि अमेरिका में उनके वार्ताकारों के साथ विदेश सचिव और वाणिज्य सचिव की हालिया चर्चा के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लोगों के योगदान और भारतीय क्षमताओं के पक्ष को मजबूती से उठाया गया है। हाल ही में अमेरिका में उनके वार्ताकारों से इस मसले पर विचार-विमर्श किया गया है।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अवैध आव्रजन उनके निशाने पर हैं न कि एच1बी वीजा उनकी प्राथमिकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस विषय पर मेरिट आधारित दृष्टिकोण को भी संदर्भित किया है। भारत इस मसले पर अमेरिकी सरकार से बातचीत जारी रखेगा।