Sri Lanka: श्रीलंका पर थोपी गई शर्तों की बढ़ती आलोचना के बीच आईएमएफ ने आखिर क्यों दी सफाई
आईएमएफ ने श्रीलंका से टैक्स बढ़ाने, मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखने, बैंकों को सुरक्षित करने, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने और आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाने को कहा है। इसके लिए उसने कई उपायों को लागू करने की शर्त रखी है...
विस्तार
श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच इस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था ने सफाई दी है। उसने कहा है कि विशेष परिस्थितियों के कारण आईएमएफ को सख्त शर्तें लगानी पड़ीं। संस्था के एक अधिकारी ने कहा कि जब देश अपने ऊपर मौजूद कर्ज को चुकाने की स्थिति में नहीं रहा, तब सरकार को आईएमएफ के पास जाना पड़ा और आईएमएफ की शर्तों को स्वीकार करना पड़ा।
आईएमएफ की शर्तों की वजह से श्रीलंका में आम जन की मुश्किलें बढ़ी हैं। सरकार ने इन शर्तों को पूरा करने के लिए टैक्स बढ़ाए हैं और जनकल्याण योजनाओं में कटौती की है। विश्व बैंक भी यह कह चुका है कि अगर सरकार ने कमजोर तबकों के लिए विशेष उपाय नहीं किए, श्रीलंका में बनी स्थिति का परिणाम गरीबी बढ़ने के रूप में सामने आएगा। मानव अधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच आईएमएफ की शर्तों की कड़ी आलोचना कर चुके हैं।
इसी बीच आईएमएफ ने कहा है कि श्रीलंका का इस बार का आर्थिक संकट पहले खड़े हुए संकटों की तुलना में बिल्कुल अलग था। आईएमएफ के एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के निदेशक कृष्ण श्रीनिवासन ने हाल ही में यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि आईएमएफ का सहायता कार्यक्रम इस बार अलग तरह का है। अतीत में श्रीलंका को ज्यादातर मौकों पर भुगतान संतुलन के संकट का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार उसकी ऋण चुकाने की क्षमता चूक गई। इस कारण इस बार सख्त सुधारों को लागू करने की जरूरत पड़ी है।’
सरकार ने बजट को संतुलित करने के प्रयास में अपने खर्चों में जो कटौती की है, उसका कमजोर तबकों पर बहुत खराब असर हो रहा है। लेकिन आईएमएफ ने इस कदम का समर्थन किया है। श्रीनिवासन का कहना है कि ‘अगर आप राजस्व बढ़ा कर राजकोषीय स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं, तो यह बहुत महत्त्वाकांक्षी बात है। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है। ऐसी हालत में अगर आप सुधारों को लागू नहीं करते हैं, तो कर्ज को लेकर श्रीलंका की साख और भी कमजोर हो जाएगी।
आईएमएफ ने श्रीलंका से टैक्स बढ़ाने, मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखने, बैंकों को सुरक्षित करने, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने और आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाने को कहा है। इसके लिए उसने कई उपायों को लागू करने की शर्त रखी है। विश्लेषकों के मुताबिक श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे सरकार आईएमएफ की शर्तों का पालन करने के लिए वचनबद्ध नजर आती है। देश में विपक्षी दलों ने भी इनका सिर्फ जुबानी विरोध ही किया है। जबकि इन शर्तों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के आंदोलन को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है।
आईएमएफ की एक स्टाफ टीम ने हाल ही में श्रीलंका दौरा किया और श्रीलंका में आईएमएफ की तरफ से बताए गए उपायों पर अमल की समीक्षा की।