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Sri Lanka: श्रीलंका के आर्थिक संकट का एक और नमूना, बिजली खपत में भारी गिरावट

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 22 May 2023 07:42 PM IST
सार

Sri Lanka: पिछले साल की पहली तिमाही में श्रीलंका में बिजली के दाम में बड़ी बढ़ोतरी की गई थी। तभी कमीशन ने कहा था कि इसका परिणाम बिजली उपभोग में गिरावट में सामने आएगा। आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि उनका यह अनुमान सही साबित हुआ है। सबसे ज्यादा गिरावट घरेलू उपभोग में आई है...

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Another example of Sri Lanka economic crisis, huge decline in electricity consumption
Sri lanka electricity consumption - फोटो : Agency (File Photo)
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श्रीलंका में आर्थिक संकट ने आम लोगों के जीवन स्तर को किस हद तक प्रभावित किया है, उसकी एक और झलक सामने आई है। देश में बिजली के उपभोग में भारी गिरावट दर्ज हुई है। पहले बहुत से जो उपभोक्ता बिजली इस्तेमाल के लिहाज से ‘उच्च श्रेणी’ में थे, वे अब निचली श्रेणियों में पहुंच गए हैं। यह जानकारी पब्लिक यूटिलीटीज कमीशन के महानिदेशक दमिता कुमारासिंघे ने दी है। उन्होंने कहा है कि महंगाई और श्रीलंकाई मुद्रा की कीमत में भारी गिरावट बिजली उपभोग में आई इस बड़ी गिरावट का कारण है।

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पिछले साल की पहली तिमाही में श्रीलंका में बिजली के दाम में बड़ी बढ़ोतरी की गई थी। तभी कमीशन ने कहा था कि इसका परिणाम बिजली उपभोग में गिरावट में सामने आएगा। आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि उनका यह अनुमान सही साबित हुआ है। सबसे ज्यादा गिरावट घरेलू उपभोग में आई है। यहां सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने हाल के महीनों में जितनी बिजली खपत का अनुमान लगाया, लगभग हर महीने उससे कम बिजली की खपत हुई।

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पब्लिक यूटिलीटीज कमीशन के अधिकारियों को उम्मीद है कि जनवरी के बाद से कोयले और ईंधन की कीमत में आई गिरावट के कारण बिजली शुल्क में भी कटौती की जाएगी। उन्होंने कहा है कि ऐसा हुआ, तो संभव है कि देश में बिजली का उपभोग फिर से बढ़े। श्रीलंका में घरेलू उपभोग की मात्रा के आधार पर सरकार बिजली सब्सिडी देती है। सबसे कम मात्रा में उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को कम दाम पर बिजली दी जाती है। सीईबी का कहना है कि यह कीमत बिजली उत्पादन में आने वाली लागत से भी कम है, जिसका असर उसके राजस्व और मुनाफे पर पड़ता है।

अब बिजली उपभोग घटने के कारण बहुत से ऐसे उपभोक्ता भी अधिक सब्सिडी पाने के हकदार हो जाएंगे, जो पहले इस दायरे से बाहर थे। इससे सीईबी पर बोझ बढ़ेगा। विश्लेषकों के मुताबिक बिजली का यह संकट श्रीलंका के कुल आर्थिक संकट से जुड़ा हुआ है। श्रीलंका में नौ साल बाद 2022 में ईंधन की कीमतें बढ़ाई गई थीं। उसके पहले श्रीलंकाई रुपये की कीमत प्रति डॉलर 200 गिर कर 360 तक पहुंच गई थीं।

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक श्रीलंकाई रुपये की कीमत गिरने और देश में बढ़ी महंगाई के कारण ना सिर्फ बिजली, बल्कि बहुत सी दूसरी चीजों और सेवाओं का उपभोग भी घटा है। श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक उद्योगों को बेची जाने वाली में इस वर्ष जनवरी में 18.7 फीसदी की गिरावट आई। इसका अर्थ है कि उद्योग क्षेत्र का कारोबार भी मंदा हुआ है।

कुमारासिंघे ने बताया कि 30 यूनिट से कम खपत वाली श्रेणी में दो लाख ऐसे लोग अब शामिल हो गए हैं, जो पहले इससे ज्यादा बिजली का उपभोग करते थे। जबकि तीन लाख से ज्यादा नए लोग 30 से 60 यूनिट खपत वाली श्रेणी में आ गिरे हैं। छह लाख 43 लोग पहले 180 से अधिक यूनिट बिजली हर महीने खर्च करते थे, लेकिन अब वे इस श्रेणी से नीचे आ गए हैं।

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