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संकट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार: सेना नहीं, अपने करीबी छात्र नेता-BNP की जंग में उलझे यूनुस, वादों पर घिरे
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sat, 24 May 2025 08:30 PM IST
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सार
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस।
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
बांग्लादेश में सियासी सरगर्मियों का दौर जारी है। दरअसल, देश में लगातार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। खासकर उसकी तरफ से किए गए सुधार और देश में लोकतंत्र की नई इबारत लिखने के वादों पर। बीते 10 महीने में जिस तरह से बांग्लादेश में अर्थव्यवस्था से लेकर सुधारों की गति ठहरी है, उसके बाद न सिर्फ आम लोग, बल्कि यूनुस के करीबियों ने भी अपने सुर बदल लिए हैं।अब बांग्लादेश में ताजा तनाव मोहम्मद यूनुस के बयान से उपजा है। बीबीसी बांग्ला को दिए एक इंटरव्यू में यूनुस के करीबी रहे छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने कहा है कि अंतरिम सरकार के प्रमुख अपना पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। कभी यूनुस के सलाहकार रहे छात्रों की पार्टी नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिक के मुताबिक, यूनुस ने आशंका जताई कि देश की मौजूदा स्थिति में वे काम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, मैं काम नहीं कर पाऊंगा।
यूनुस के इस बयान को लगातार बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकर उज-जमां के बयानों से जोड़कर देखा जा रहा है, जिन्होंने कुछ दिनों पहले सैन्य अफसरों की एक बैठक के दौरान बांग्लादेश में जल्द चुनाव सुनिश्चित कराने की बात की थी। इतना ही नहीं उन्होंने रोहिंग्याओं के लिए म्यांमार के रखाइन से बांग्लादेश तक आने वाले कॉरिडोर तक के खिलाफ आवाज उठाई थी और इसे नामंजूर करार दिया था। उन्होंने अपनी तरफ से कभी भी यूनुस को हटाने की बात नहीं की, इसके बावजूद बांग्लादेशी मीडिया में ही वकर और मोहम्मद यूनुस के टकराव की खबरें चलने लगीं।
इस बीच यह जानना अहम है कि आखिर बांग्लादेश में अचानक जो तनाव उभरा है, उसकी वजह क्या है? मोहम्मद यूनुस ने आखिर क्यों कहा है कि वह बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में काम नहीं कर पाएंगे? बांग्लादेश में सियासी दलों के बीच फैली अंदरूनी कलह की असल वजह क्या है? आइये जानते हैं...
इस बीच यह जानना अहम है कि आखिर बांग्लादेश में अचानक जो तनाव उभरा है, उसकी वजह क्या है? मोहम्मद यूनुस ने आखिर क्यों कहा है कि वह बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में काम नहीं कर पाएंगे? बांग्लादेश में सियासी दलों के बीच फैली अंदरूनी कलह की असल वजह क्या है? आइये जानते हैं...
कहां से हुई बांग्लादेश में हालिया तनाव की शुरुआत?
1. रखाइन कॉरिडोर को लेकर विवाद
बांग्लादेश में पूरा विवाद राजनीतिक है। दरअसल, कुछ समय पहले ही मोहम्मद यूनुस के सलाहकार रहे नाहिद इस्लाम ने उनसे अलग होकर अपनी अलग- नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) को खड़ा किया। इसी दौरान अंतरिम सरकार ने म्यांमार के रखाइन से भागने को मजबूर हुए रोहिंग्याओं की मदद के लिए एक कॉरिडोर बनाने की मंशा रखी। नाहिद की एनसीपी ने अंतरिम सरकार की इस योजना का समर्थन किया, हालांकि इसे लेकर बांग्लादेश की आम जनता और मुख्य राजनीतिक दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को जानकारी नहीं दी गई।
इसे लेकर बीएनपी ने यूनुस सरकार और नाहिद की एनसीपी को घेरना शुरू कर दिया। बीएनपी ने मानवीय कॉरिडोर की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि म्यांमार में जिस तरह का युद्ध चल रहा है क्या हम उसमें शामिल होने जा रहे हैं। इतना ही नहीं बीएनपी ने आरोप लगाया कि यूनुस की अंतरिम सरकार ने उसे कॉरिडोर को लेकर अंधेरे में रखा और इस तरह के फैसले बांग्लादेश को अंधकार में धकेल सकते हैं।
इस पूरे मामले में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने अंतरिम सरकार और मोहम्मद यूनुस के साथ-साथ नाहिद इस्लाम का भी विरोध शुरू कर दिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार और यूनुस के प्रेस सचिव ने इस मामले में अलग-अलग बयान दिए।
बांग्लादेश में पूरा विवाद राजनीतिक है। दरअसल, कुछ समय पहले ही मोहम्मद यूनुस के सलाहकार रहे नाहिद इस्लाम ने उनसे अलग होकर अपनी अलग- नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) को खड़ा किया। इसी दौरान अंतरिम सरकार ने म्यांमार के रखाइन से भागने को मजबूर हुए रोहिंग्याओं की मदद के लिए एक कॉरिडोर बनाने की मंशा रखी। नाहिद की एनसीपी ने अंतरिम सरकार की इस योजना का समर्थन किया, हालांकि इसे लेकर बांग्लादेश की आम जनता और मुख्य राजनीतिक दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को जानकारी नहीं दी गई।
इसे लेकर बीएनपी ने यूनुस सरकार और नाहिद की एनसीपी को घेरना शुरू कर दिया। बीएनपी ने मानवीय कॉरिडोर की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि म्यांमार में जिस तरह का युद्ध चल रहा है क्या हम उसमें शामिल होने जा रहे हैं। इतना ही नहीं बीएनपी ने आरोप लगाया कि यूनुस की अंतरिम सरकार ने उसे कॉरिडोर को लेकर अंधेरे में रखा और इस तरह के फैसले बांग्लादेश को अंधकार में धकेल सकते हैं।
इस पूरे मामले में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने अंतरिम सरकार और मोहम्मद यूनुस के साथ-साथ नाहिद इस्लाम का भी विरोध शुरू कर दिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार और यूनुस के प्रेस सचिव ने इस मामले में अलग-अलग बयान दिए।
2. चटगांव बंदरगाह के संचालन का जिम्मा विदेशी फर्म को सौंपने पर
बांग्लादेश में एक और विवाद चटगांव के बंदरगाह के संचालन की जिम्मेदारी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक कंपनी डीपी वर्ल्ड को सौंपने के बाद शुरू हुआ। इस मामले में बीएनपी ने बांग्लादेश के मामलों में विदेशी दखल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूनुस की अंतरिम सरकार को चटगांव के न्यू मूरिंग कंटेनर टर्मिनल की जिम्मेदारी यूएई की कंपनी से वापस लेनी चाहिए। बीएनपी का कहना है कि अंतरिम सरकार इस तरह विदेशी कंपनियों को नहीं बुला सकती और यह काम सिर्फ चुनी हुई सरकार की तरफ से ही किया जा सकता है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस विवाद के बीच कई प्रदर्शन भी किए हैं। इसके चलते यूनुस की अंतरिम सरकार भारी दबाव में है।
मो. यूनुस जल्द दे सकते हैं इस्तीफा: क्या बांग्लादेश की सेना की नाराजगी बनी वजह, किन बातों पर टकराव, आगे क्या?
बांग्लादेश में एक और विवाद चटगांव के बंदरगाह के संचालन की जिम्मेदारी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक कंपनी डीपी वर्ल्ड को सौंपने के बाद शुरू हुआ। इस मामले में बीएनपी ने बांग्लादेश के मामलों में विदेशी दखल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूनुस की अंतरिम सरकार को चटगांव के न्यू मूरिंग कंटेनर टर्मिनल की जिम्मेदारी यूएई की कंपनी से वापस लेनी चाहिए। बीएनपी का कहना है कि अंतरिम सरकार इस तरह विदेशी कंपनियों को नहीं बुला सकती और यह काम सिर्फ चुनी हुई सरकार की तरफ से ही किया जा सकता है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस विवाद के बीच कई प्रदर्शन भी किए हैं। इसके चलते यूनुस की अंतरिम सरकार भारी दबाव में है।
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3. चुनावों को लेकर तकरार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जिस तीसरे मुद्दे को लेकर विवादों में घिरी है, वह है चुनावों का मसला। यूनुस सरकार ने एलान किया है कि बांग्लादेश में संसदीय चुनाव दिसंबर 2025 से लेकर जून 2026 के बीच कराए जा सकते हैं। हालांकि, अंतरिम सरकार के निर्वाचित न होने की वजह से बांग्लादेश को लेकर कई अहम फैसलों का मुख्यधारा की पार्टी और सेना विरोध कर रही है। इसके चलते बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ठहर रही है। इसके अलावा पुलिस, सुरक्षा व्यवस्था और सुधार से जुड़े अन्य फैसलों को लेने में भी अंतरिम सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
नतीजतन राजनीतिक दलों और सेना ने मोहम्मद यूनुस से सीधा कह दिया है कि वह बांग्लादेश में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं ताकि एक नियमित सरकार सत्ता में काबिज हो सके।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जिस तीसरे मुद्दे को लेकर विवादों में घिरी है, वह है चुनावों का मसला। यूनुस सरकार ने एलान किया है कि बांग्लादेश में संसदीय चुनाव दिसंबर 2025 से लेकर जून 2026 के बीच कराए जा सकते हैं। हालांकि, अंतरिम सरकार के निर्वाचित न होने की वजह से बांग्लादेश को लेकर कई अहम फैसलों का मुख्यधारा की पार्टी और सेना विरोध कर रही है। इसके चलते बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ठहर रही है। इसके अलावा पुलिस, सुरक्षा व्यवस्था और सुधार से जुड़े अन्य फैसलों को लेने में भी अंतरिम सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
नतीजतन राजनीतिक दलों और सेना ने मोहम्मद यूनुस से सीधा कह दिया है कि वह बांग्लादेश में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं ताकि एक नियमित सरकार सत्ता में काबिज हो सके।
4. वादाखिलाफी पर घिरी यूनुस सरकार
जुलाई 2024 में जब छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना देश छोड़ने को मजबूर हुईं तब बांग्लादेश से निर्वासित मोहम्मद यूनुस फ्रांस से लौटे थे। छात्रों के बुलावे पर बांग्लादेश आए यूनुस ने तब अपने समर्थकों से अपील की थी कि देश में भीड़ की हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाई जाए, तभी वे बांग्लादेश की कमान संभालेंगे। वर्ना उन्हें वापस लौटने दिया जाए। दरअसल, हसीना के भारत आने के बाद बांग्लादेश में बड़े स्तर पर उनकी पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं पर जुल्म किए गए। इसके साथ-साथ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदुओं, उनके घरों और पूजास्थलों को भी निशाना बनाया।
छात्र आंदोलन और कट्टरपंथियों के प्रदर्शनों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की लगातार बिगड़ती छवि के चलते यूनुस ने वादा किया था कि वे देश को फिर से सुधार के रास्ते पर ले जाएंगे और शांति स्थापित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे। यूनुस ने वादा किया था कि बांग्लादेश में किसी के खिलाफ भी बदले की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हालांकि, 10 महीने बाद भी बांग्लादेश की स्थिति में सुधार नहीं आया है। इससे उलट- बांग्लादेश में आवामी लीग के नेताओं की प्रताड़ना से जुड़ी खबरें सामने आती रही हैं। कुछ दिन पहले ही एनसीपी की अपील के बाद मोहम्मद यूनुस की सरकार ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को प्रतिबंधित करने का फैसला भी कर लिया, जिसे लेकर बांग्लादेश में दो धड़े बन चुके हैं।
जुलाई 2024 में जब छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना देश छोड़ने को मजबूर हुईं तब बांग्लादेश से निर्वासित मोहम्मद यूनुस फ्रांस से लौटे थे। छात्रों के बुलावे पर बांग्लादेश आए यूनुस ने तब अपने समर्थकों से अपील की थी कि देश में भीड़ की हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाई जाए, तभी वे बांग्लादेश की कमान संभालेंगे। वर्ना उन्हें वापस लौटने दिया जाए। दरअसल, हसीना के भारत आने के बाद बांग्लादेश में बड़े स्तर पर उनकी पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं पर जुल्म किए गए। इसके साथ-साथ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदुओं, उनके घरों और पूजास्थलों को भी निशाना बनाया।
छात्र आंदोलन और कट्टरपंथियों के प्रदर्शनों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की लगातार बिगड़ती छवि के चलते यूनुस ने वादा किया था कि वे देश को फिर से सुधार के रास्ते पर ले जाएंगे और शांति स्थापित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे। यूनुस ने वादा किया था कि बांग्लादेश में किसी के खिलाफ भी बदले की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हालांकि, 10 महीने बाद भी बांग्लादेश की स्थिति में सुधार नहीं आया है। इससे उलट- बांग्लादेश में आवामी लीग के नेताओं की प्रताड़ना से जुड़ी खबरें सामने आती रही हैं। कुछ दिन पहले ही एनसीपी की अपील के बाद मोहम्मद यूनुस की सरकार ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को प्रतिबंधित करने का फैसला भी कर लिया, जिसे लेकर बांग्लादेश में दो धड़े बन चुके हैं।
5. राजनीतिक दल ही मांगने लगे यूनुस सरकार के अधिकारियों का इस्तीफा
बांग्लादेश में राजनीतिक दलों के बीच कुछ और मुद्दों पर भी तनाव हैं, जिसमें मोहम्मद यूनुस के अधिकारी तक घिर गए हैं।
विवाद-1: राष्ट्रपति पद पर उलझे छात्र संगठन और बीएनपी
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान शेख हसीना के सरकार से हटने के बाद छात्रों के ही एक गुट ने मांग की थी कि राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद से हटा दिया जाए। इसके पीछे वजह दी गई कि राष्ट्रपति, जो कि तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है, उसकी नियुक्ति 2023 में शेख हसीना की सरकार ने ही की थी। हालांकि, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने छात्रों के गुट की मांग पर असहमति जता दी थी। इसके चलते बांग्लादेश में बीएनपी और छात्र संगठनों के बीच टकराव की शुरुआत हो गई।
रिपोर्ट्स की मानें तो मोहम्मद यूनुस सरकार जल्द ही संविधान संशोधन के जरिए राष्ट्रपति का पद ही खत्म करने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसे बीएनपी ने अब तक समर्थन नहीं दिया है। यहां तक कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख तक ने ऐसे कदम की जानकारी न होने के साथ ऐसी कथित बातों को बकवास करार दिया है।
बांग्लादेश में राजनीतिक दलों के बीच कुछ और मुद्दों पर भी तनाव हैं, जिसमें मोहम्मद यूनुस के अधिकारी तक घिर गए हैं।
किन-किन मुद्दों पर उलझे राजनीतिक दल?
विवाद-1: राष्ट्रपति पद पर उलझे छात्र संगठन और बीएनपी
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान शेख हसीना के सरकार से हटने के बाद छात्रों के ही एक गुट ने मांग की थी कि राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद से हटा दिया जाए। इसके पीछे वजह दी गई कि राष्ट्रपति, जो कि तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है, उसकी नियुक्ति 2023 में शेख हसीना की सरकार ने ही की थी। हालांकि, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने छात्रों के गुट की मांग पर असहमति जता दी थी। इसके चलते बांग्लादेश में बीएनपी और छात्र संगठनों के बीच टकराव की शुरुआत हो गई।
रिपोर्ट्स की मानें तो मोहम्मद यूनुस सरकार जल्द ही संविधान संशोधन के जरिए राष्ट्रपति का पद ही खत्म करने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसे बीएनपी ने अब तक समर्थन नहीं दिया है। यहां तक कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख तक ने ऐसे कदम की जानकारी न होने के साथ ऐसी कथित बातों को बकवास करार दिया है।
विवाद-2: यूनुस के करीबी सलाहकारों को ही घेरने लगे उनके पूर्व साथी और बीएनपी
हाल ही में जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता इशराक हुसैन ने ढाका दक्षिण शहर निगम में मेयर पद के लिए शपथ लेने का अभियान शुरू किया तो उनके समर्थक इस मांग के साथ मोहम्मद यूनुस के बंगले के बाहर तक पहुंच गए। इशराक ने खुद उस दौरान स्थानीय सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद और यूनुस सरकार के सूचना सलाहकार महफूज आलम के इस्तीफे की मांग कर दी।
हालांकि, जब चुनाव आयोग ने इशराक के मेयर होने की पुष्टि करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया तो एनसीपी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए। छात्रों की इस पार्टी ने निर्वाचन भवन के बाहर प्रदर्शन करते हुए इसमें भी बदलाव की मांग रख दी। इस दौरान एनसीपी नेताओं ने अंतरिम सरकार के योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद, वित्त सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद और कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल को बीएनपी का प्रवक्ता करार दे दिया और उनके इस्तीफे मांग लिए।
हाल ही में जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता इशराक हुसैन ने ढाका दक्षिण शहर निगम में मेयर पद के लिए शपथ लेने का अभियान शुरू किया तो उनके समर्थक इस मांग के साथ मोहम्मद यूनुस के बंगले के बाहर तक पहुंच गए। इशराक ने खुद उस दौरान स्थानीय सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद और यूनुस सरकार के सूचना सलाहकार महफूज आलम के इस्तीफे की मांग कर दी।
हालांकि, जब चुनाव आयोग ने इशराक के मेयर होने की पुष्टि करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया तो एनसीपी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए। छात्रों की इस पार्टी ने निर्वाचन भवन के बाहर प्रदर्शन करते हुए इसमें भी बदलाव की मांग रख दी। इस दौरान एनसीपी नेताओं ने अंतरिम सरकार के योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद, वित्त सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद और कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल को बीएनपी का प्रवक्ता करार दे दिया और उनके इस्तीफे मांग लिए।
इसके बाद गुरुवार को बीएनपी ने एक आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और स्थानीय सरकार, सूचना सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के भी इस्तीफे मांग लिए। बीएनपी ने चेतावनी दी कि अगर दिसंबर तक चुनाव नहीं कराए गए तो वह यूनुस की अंतरिम सरकार से समर्थन वापस ले लेगी।
बताया जाता है कि इस टकराव के बाद यूनुस ने इस्तीफा देने की मंशा जताई।
Bangladesh: 'बांग्लादेश में दिसंबर तक होंगे चुनाव', सेना प्रमुख बोले- निर्वाचित सरकार ही ले सकती है सही फैसले
बताया जाता है कि इस टकराव के बाद यूनुस ने इस्तीफा देने की मंशा जताई।
Bangladesh: 'बांग्लादेश में दिसंबर तक होंगे चुनाव', सेना प्रमुख बोले- निर्वाचित सरकार ही ले सकती है सही फैसले
बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर क्या कहते हैं विश्लेषक?
इस मुद्दे पर bdnews24.com की एक रिपोर्ट भी सामने आई है। मीडिया समूह ने ढाका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर काजी मोहम्मद महबूब-उर रहमान से बात की। उन्होंने बताया कि यह स्थिति सीधे तौर पर अंतरिम सरकार के शासन का तरीका दर्शाती है। अगर यह सही से काम करती तो हमें यह स्थिति न देखनी पड़ती। रहमान के मुताबिक, कानून, प्रशासन, न्याय और सुधार सभी खतरनाक रूप से निचले स्तर पर हैं। सार्वजनिक उम्मीदों को बहुत पहले ही पूरा कर लिया जाना चाहिए था।
बांग्लादेश के राजनीतिक दल अंतरिम सरकार से कितने नाराज?
1. बांग्लादेश के राजनीतिक दल जातीय समाजतांत्रिक दल के के नेता मुश्ताक हुसैन के मुताबिक, अंतरिम सरकार राजनीतिक दलों से बातचीत के जरिए मतभेद खत्म करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार को चुनाव का रोडमैप सामने रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आज सुधार शुरू नहीं होते तो हो सकता है कि यह कभी हों ही न।2. बांग्लादेश की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रुहिन हुसैन प्रिंस ने कहा कि अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी न्याय, सुधार और विश्वसनीय चुनाव कराना है, लेकिन उसने अपनी सीमा लांघी है। सेना की तारीफ करते हुए रुहिन ने कहा कि प्रदर्शनों के बाद से ही सेना ने अपने ऊपर जबरदस्त संयम दिखाया है। उन्होंने बंदरगाह और कॉरिडोर से जुड़े समझौतों के लिए अंतरिम सरकार की आलोचना की और कहा कि जनता सवाल पूछ रही है कि मोहम्मद यूनुस का लक्ष्य चुनाव कराना ही था या कोई और हित साधना था।
3. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता जैनुल अब्दीन फारूक ने कहा. चुनाव की तारीख में देरी ही अशांति की मुख्य वजह है। ढाका में एक रैली में उन्होंने कहा कि यूनुस पसंद किए जाते हैं, लेकिन उन्हें अपमानित होकर नहीं जाना चाहिए।