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मो. यूनुस जल्द दे सकते हैं इस्तीफा: क्या बांग्लादेश की सेना की नाराजगी बनी वजह, किन बातों पर टकराव, आगे क्या?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 23 May 2025 10:56 PM IST
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सार
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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वकर उज-जमां के बीच तनाव।
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। बीबीसी की बांग्ला सेवा ने गुरुवार आधी रात को छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह खबर दी। इसमें कहा गया कि यूनुस को लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है।नाहिद इस्लाम ने मीडिया समूह से कहा, 'हम आज सुबह से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। सर ने भी यही कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।' गौरतलब है कि नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार में शुरुआत में खुद यूनुस के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। हालांकि, इसी साल उन्होंने यूनुस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने का एलान कर दिया था।
मोहम्मद यूनुस की तरफ से अपना पद छोड़ने की मंशा जाहिर करने की खबरों के बीच यह जानना अहम है कि आखिर बांग्लादेश में अचानक ऐसा क्या बदला है, जिससे देश में सियासी हलचल पैदा हो गई है? बांग्लादेश के सेना प्रमुख की तरफ से हाल ही में ऐसा क्या-क्या कहा गया, जिसे यूनुस सरकार के लिए अल्टीमेटम के तौर पर देखा जा रहा था? इसके अलावा हालिया समय में स्वायत्तता के किस मुद्दे पर यूनुस पूरी तरह से घिरते चले गए हैं, जिससे उनकी छवि पर भी असर पड़ा है? उनके और किन फैसलों को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हुई है? आइये जानते हैं...
बांग्लादेश में हाल ही में क्या-क्या हुआ?
किस बात पर विवाद?
बांग्लादेश में हाल के समय में सियासी और सैन्य स्तर पर काफी हलचल की स्थिति है। ताजा विवाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से अपने विदेश सचिव को हटाने को लेकर उभरा है, जिसे महज आठ महीने पहले ही इस पद पर नियुक्त किया गया था।
ये विवाद हुआ क्यों?
विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन, जिन्हें सितंबर 2024 में बांग्लादेश के 27वें विदेश सचिव के तौ पर नियुक्ति मिली थी, उन्होंने हाल ही में यूनुस सरकार के एक फैसले का विरोध किया था। यह फैसला था- रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में सुरक्षित पनाह देने और उनके लिए मानवीय कॉरिडोर बनाए जाने का। बताया जाता है कि मोहम्मद यूनुस और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) खलील-उर रहमान रोहिंग्याओं की मदद के लिए यह योजना लेकर आए थे।
सेना से कैसे जुड़े विवाद के तार?
जशीम-उद्दीन की तरफ से यूनुस की योजना का विरोध इस पूरे विवाद में अहम कड़ी साबित हुआ। दरअसल, बांग्लादेश की सेना भी अपने देश से म्यांमार के रखाइन तक जाने वाले कॉरिडोर का विरोध कर चुके हैं। रखाइन वही इलाका है, जहां से भागकर रोहिंग्या बांग्लादेश और अन्य देशों पहुंच रहे हैं। बांग्लादेशी सेना का मानना है कि म्यांमार से यह कॉरिडोर सिर्फ बांग्लादेश की स्वायत्तता को ताक पर रख रहा है, जबकि इससे उसे कोई कूटनीतिक फायदा नहीं हो रहा।
जशीम-उद्दीन की तरफ से यूनुस की योजना का विरोध इस पूरे विवाद में अहम कड़ी साबित हुआ। दरअसल, बांग्लादेश की सेना भी अपने देश से म्यांमार के रखाइन तक जाने वाले कॉरिडोर का विरोध कर चुके हैं। रखाइन वही इलाका है, जहां से भागकर रोहिंग्या बांग्लादेश और अन्य देशों पहुंच रहे हैं। बांग्लादेशी सेना का मानना है कि म्यांमार से यह कॉरिडोर सिर्फ बांग्लादेश की स्वायत्तता को ताक पर रख रहा है, जबकि इससे उसे कोई कूटनीतिक फायदा नहीं हो रहा।
क्या हैं बांग्लादेश के सेना प्रमुख के हालिया बयान?
बांग्लादेश के अखबार प्रोथम आलो के मुताबिक, सेना प्रमुख वकर उज-जमां ने सैन्य अफसरों की बैठक में कहा, "ऐसा कोई कॉरिडोर (रोहिंग्याओं के लिए) नहीं होगा। बांग्लादेश की स्वायत्तता पर कोई समझौता नहीं हो सकता। सिर्फ एक ऐसी राजनीतिक सरकार ही यह फैसला कर सकती है, जिसे जनता ने चुना हो।"

बांग्लादेश के अखबार प्रोथम आलो के मुताबिक, सेना प्रमुख वकर उज-जमां ने सैन्य अफसरों की बैठक में कहा, "ऐसा कोई कॉरिडोर (रोहिंग्याओं के लिए) नहीं होगा। बांग्लादेश की स्वायत्तता पर कोई समझौता नहीं हो सकता। सिर्फ एक ऐसी राजनीतिक सरकार ही यह फैसला कर सकती है, जिसे जनता ने चुना हो।"
बांग्लादेश में चुनाव को लेकर क्या बोले आर्मी चीफ?
वकर उज-जमां ने इस पर भी जोर दिया कि बांग्लादेश में इस साल दिसंबर तक संसदीय चुनाव हो जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक चुनी हुई सरकार ही बांग्लादेश के भविष्य पर फैसला ले सकती है, न कि गैर निर्वाचित सरकार। आर्मी चीफ ने यह भी साफ कर दिया कि 1 जनवरी 2026 को बांग्लादेश में एक नई सरकार का सत्ता में होना बेहद जरूरी है।
वकर उज-जमां ने इस पर भी जोर दिया कि बांग्लादेश में इस साल दिसंबर तक संसदीय चुनाव हो जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक चुनी हुई सरकार ही बांग्लादेश के भविष्य पर फैसला ले सकती है, न कि गैर निर्वाचित सरकार। आर्मी चीफ ने यह भी साफ कर दिया कि 1 जनवरी 2026 को बांग्लादेश में एक नई सरकार का सत्ता में होना बेहद जरूरी है।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार और सेना के टकराव की वजह क्या?
इन सभी मुद्दों को लेकर सेना प्रमुख कई बार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोष जता चुके हैं। हालांकि, अब उन्होंने इसे लेकर नाराजगी को सामने रख दिया है।
Bangladesh: 'बांग्लादेश में दिसंबर तक होंगे चुनाव', सेना प्रमुख बोले- निर्वाचित सरकार ही ले सकती है सही फैसले
- बीते साल जब बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा, तब सेना ने ही उन्हें भारत भेजने का प्रबंध किया। इतना ही नहीं बांग्लादेश की सेना ने एक अंतरिम सरकार की व्यवस्था को भी लागू किया, जिससे बांग्लादेश नए सिरे से लोकतांत्रिक रास्ते पर लौट सके।
- हालांकि, बीते कुछ महीनों से अंतरिम सरकार के एक के बाद एक बेरोकटोक फैसलों से बांग्लादेश में स्थिति सुधरने की जगह और बिगड़ती देखी गई है। पहले बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और इसके बाद इस्राइल-फलस्तीन संघर्षों को लेकर एक के बाद व्यापारों को निशाना बनाए जाने के चलते सेना को लगातार भीड़ से जुड़ी हिंसा से निपटना पड़ रहा है।
- मो. यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने इस दौरान कई ऐसे फैसले किए हैं, जिनका असर बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर भी पड़ा है। इनमें पाकिस्तान से व्यापार और रक्षा सहयोग बढ़ाने से जुड़े फैसले शामिल हैं। इसके अलावा भारत से जुड़े व्यापार पर यूनुस के धड़ाधड़ फैसलों से बांग्लादेश में असहजता की स्थिति बन रही है।
इन सभी मुद्दों को लेकर सेना प्रमुख कई बार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोष जता चुके हैं। हालांकि, अब उन्होंने इसे लेकर नाराजगी को सामने रख दिया है।
Bangladesh: 'बांग्लादेश में दिसंबर तक होंगे चुनाव', सेना प्रमुख बोले- निर्वाचित सरकार ही ले सकती है सही फैसले
सेना में उठ रही खिलाफत की आवाजों पर भी नाराज हैं सेना प्रमुख
बताया जाता है कि वकर उज-जमां और बांग्लादेश के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान के बीच भी स्थितियां तनावपूर्ण हैं। रहमान जो कि सेना में क्वार्टरमास्टर जनरल हैं, उन्हें पाकिस्तान का करीबी और कट्टर इस्लामिक चेहरे के तौर पर जाना जाता है। यूनुस के इस करीबी जनरल के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क होने की बात भी सामने आती है।
इसके अलावा मोहम्मद यूनुस के सैन्य सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन को लेकर भी सेना प्रमुख असहज रहे हैं। सेना का एक धड़ा हसन का समर्थक रहा है और उनके अगले सेना प्रमुख बनने को लेकर हलचल तेज है। इन सभी बातों पर वकर उज-जमां ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन रिपोर्ट्स में दावा है कि उनकी नजरें सभी घटनाक्रमों पर बनी है।
बताया जाता है कि वकर उज-जमां और बांग्लादेश के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान के बीच भी स्थितियां तनावपूर्ण हैं। रहमान जो कि सेना में क्वार्टरमास्टर जनरल हैं, उन्हें पाकिस्तान का करीबी और कट्टर इस्लामिक चेहरे के तौर पर जाना जाता है। यूनुस के इस करीबी जनरल के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क होने की बात भी सामने आती है।
इसके अलावा मोहम्मद यूनुस के सैन्य सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन को लेकर भी सेना प्रमुख असहज रहे हैं। सेना का एक धड़ा हसन का समर्थक रहा है और उनके अगले सेना प्रमुख बनने को लेकर हलचल तेज है। इन सभी बातों पर वकर उज-जमां ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन रिपोर्ट्स में दावा है कि उनकी नजरें सभी घटनाक्रमों पर बनी है।
बांग्लादेश में अब आगे क्या?
बांग्लादेश की मीडिया की तरफ से हाल ही में खबरें आई थीं कि मोहम्मद यूनुस की गैर-निर्वाचित सरकार देश के संविधान में कुछ बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसमें सेना के तीनों अंगों के प्रमुख माने जाने वाले राष्ट्रपति का पद खत्म करने की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं। हालांकि, वकर उज-जमां ने ऐसे किसी कदम को लेकर वायुसेना, नौसेना और खुफिया विभाग का समर्थन जुटाने की तैयारी कर ली है।
बताया गया है कि बुधवार को वकर उज-जमां ने जो बैठक बुलाई थी, उसमें नौसेना और वायुसेना प्रमुख भी मौजूद थे। इस दौरान आर्मी चीफ की तरफ से 1972 के बांग्लादेश के संविधान की तारीफ किए जाने की बात सामने आती है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को हटाए जाने को 'बेवजह के ख्याल' भी करार दिया, जिसे यूनुस सरकार के अगले कदमों के लिए चेतावनी माना जा रहा है।
Muhammad Yunus: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस दे सकते हैं इस्तीफा; क्या सेना इसकी वजह?
बांग्लादेश की मीडिया की तरफ से हाल ही में खबरें आई थीं कि मोहम्मद यूनुस की गैर-निर्वाचित सरकार देश के संविधान में कुछ बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसमें सेना के तीनों अंगों के प्रमुख माने जाने वाले राष्ट्रपति का पद खत्म करने की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं। हालांकि, वकर उज-जमां ने ऐसे किसी कदम को लेकर वायुसेना, नौसेना और खुफिया विभाग का समर्थन जुटाने की तैयारी कर ली है।
बताया गया है कि बुधवार को वकर उज-जमां ने जो बैठक बुलाई थी, उसमें नौसेना और वायुसेना प्रमुख भी मौजूद थे। इस दौरान आर्मी चीफ की तरफ से 1972 के बांग्लादेश के संविधान की तारीफ किए जाने की बात सामने आती है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को हटाए जाने को 'बेवजह के ख्याल' भी करार दिया, जिसे यूनुस सरकार के अगले कदमों के लिए चेतावनी माना जा रहा है।
Muhammad Yunus: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस दे सकते हैं इस्तीफा; क्या सेना इसकी वजह?
हालांकि, मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सेना बेहतर जवाब दे सकती है। दूसरी तरफ बांग्लादेश के bdnews24.com ने पत्रकारों के हवाले से दावा किया है कि आर्मी चीफ जमां ने कुछ मुद्दों को लेकर मोहम्मद यूनुस की तारीफ की है, लेकिन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मसलों पर उनके कम अनुभव का भी हवाला दिया है। जमां ने ढाका कैंट में एक मीटिंग के दौरान यह भी कहा कि उन्हें यूनुस सरकार की तरफ से संविधान संशोधनों के बारे में भी जानकारी नहीं है, क्योंकि सेना से इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है।