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PM हसीना को हटाया, यूनुस का 'मास्टरमाइंड' कहलाया: कौन है महफूज आलम, जिसके भारतीय राज्यों पर पोस्ट से भड़का MEA

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Fri, 20 Dec 2024 09:45 PM IST
सार

भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला बांग्लादेश का नेता महफूज आलम कौन है? शेख हसीना की सरकार को हटाने में उसकी क्या भूमिका रही है? मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में उन्हें लेकर क्या कहा? आलम के किस पोस्ट को लेकर विवाद शुरू हो गया है? और भारत ने उसकी हरकत को लेकर यूनुस सरकार को क्या फटकार लगाई? आइये जानते हैं...

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Bangladesh Mohammad Yunus regime Advisor Mahfuz Alam sparks controversy know him India MEA Response news
महफूज आलम के साथ मोहम्मद यूनुस - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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बांग्लादेश में छात्रों के उग्र प्रदर्शनों के बीच 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। अब तक बांग्लादेश में आवामी लीग सरकार के खिलाफ हुई इस क्रांति के पीछे छात्रों के संगठनों की सबसे अहम भूमिका मानी जा रही थी। हालांकि, अब बांग्लादेश में एक नाम तेजी से उभरा है, जिसे खुद देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हसीना सरकार को हटाने का 'मास्टरमाइंड' तक कह दिया। इस छात्र नेता का नाम है महफूज आलम, जिसके हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में भी दरार डालने का काम किया है। उसकी इस हरकत के लिए भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश को फटकार लगाई है। 
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ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर महफूज आलम कौन है? शेख हसीना की सरकार को हटाने में उसकी क्या भूमिका रही है? मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में उन्हें लेकर क्या कहा? आलम के किस पोस्ट को लेकर विवाद शुरू हो गया है? और भारत ने उसकी हरकत को लेकर यूनुस सरकार को क्या फटकार लगाई? आइये जानते हैं...
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कौन है महफूज आलम?
1995 में बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर जिले के इचापुर गांव में जन्मे महफूज आलम ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चांदपुर के गल्लक दारुसुन्नत अलीम मदरसा में हासिल की। बांग्लादेशी वेबसाइट प्रोथोम आलो के मुताबिक, उसने अपनी आगे यानी हायर सेकेंडरी की पढ़ाई तमीरुल मिल्लत कामिल मदरसा से की। 2015 में उसने यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में कानून की पढ़ाई की। यहीं पर वह छात्र राजनीति का हिस्सा बना।

महफूज आलम जिसे महफूज अब्दुल्ला के नाम से भी जाना जाता है की पहचान बांग्लादेश में छात्र कार्यकर्ता की है। उसे कई सामाजिक आंदोलनों में हिस्सेदारी लेने के लिए जाना जाता है। रिपोर्ट्स की मानें तो ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही महफूज आलम कुछ ऐसे तत्वों के संपर्क में आया, जो कि आतंकी संगठन हिज्ब उत-तहरीर (एचयूटी) से जुड़े थे।  

हसीना सरकार को हटाने में क्या भूमिका रही?

बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। प्रदर्शन की शुरुआत तो आरक्षण को लेकर हुई थी, लेकिन देखते हर देखते इसने सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया। इन्हीं प्रदर्शनों में बाद में छात्र संगठन भी जुड़ गए। विरोध कर रहे छात्रों के समूह ने नागरिकों से टैक्स या अन्य बिल जमा नहीं करने की अपील की। छात्रों ने कारखानों और सार्वजनिक परिवहन को बंद किए जाने का भी आह्वान किया। 

कुछ ही समय में यह प्रदर्शन इतने उग्र हो गए कि प्रदर्शनों के बीच हिंसा शुरू हो गई। इन हिंसा की घटनाओं में 250 से ज्यादा लोगों की मौत की खबरें आईं। इतना ही नहीं शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बावजूद हिंसा की कई घटनाएं सामने आती रहीं। इनमें अल्पसंख्यकों और हिंदुओं को निशाना बनाने के कई मामले भी सामने आए। 

बताया जाता है कि छात्र संगठनों का शेख हसीना की सरकार के खिलाफ यह आंदोलन महफूज आलम के नेतृत्व में ही शुरू हुआ। बांग्लादेश में तब महफूज आलम को छात्रों के मार्गदर्शक के तौर पर भी जाना गया। हालांकि, शेख हसीना को हटाने में उसकी भूमिका का खुलासा पिछले हफ्ते ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में किया। 
 

मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में महफूज आलम को लेकर क्या कहा?
मोहम्मद यूनुस हाल ही में अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र के इतर न्यूयॉर्क में क्लिंटन ग्लोबल इनीशिएटिव से जुड़े एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यहां उनके साथ महफूज आलम की भी मौजूदगी रही। इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहम्मद यूनुस ने महफूज को शेख हसीना को हटाने वाले छात्र आंदोलन के पीछे का 'दिमाग' करार दिया था। यूनुस ने कहा था कि छात्रों की यह क्रांति सावधानीपूर्वक डिजायन की गई थी। 

यूनुस ने महफूज आलम की तरफ इशारा करते हुए कहा था, "ये पूरी क्रांति के पीछे का दिमाग हैं। ये (महफूज आलम) लगातार इस बात से इनकार करता है, कि ये मैंने नहीं काफी और लोगों ने किया है। लेकिन इस पूरी चीज के पीछे इन्हीं का दिमाग है। यह सावधानीपूर्वक डिजायन की गई चीज। यह अचानक से ही नहीं हुई। इसे (छात्र आंदोलन) को काफी अच्छी तरह से डिजायन किया गया था। आप पहचान नहीं सकते थे कि इसका (क्रांति का) नेता कौन है। इसलिए वह (हसीना सरकार) किसी एक को पकड़कर यह नहीं कह सकते कि अब खेल खत्म।"
 

आलम के किस पोस्ट को लेकर विवाद?
प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन खड़ा करने वाले महफूज आलम को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार में सलाहकार की भूमिका दी है। वह एक मंत्रालय में सचिव की जिम्मेदारी भी संभाल रहा है। इन पदों पर होने के बावजूद उसने हाल ही में एक ऐसा पोस्ट किया है, जिसे लेकर भारत की तरफ से नाराजगी जाहिर की गई। अपने पोस्ट में महफूज आलम ने लिखा कि पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में लोगों की संस्कृति धर्म से इतर ‘एक जैसी’ है। उसने दावा किया कि पूर्वी पाकिस्तान का निर्माण ऊंची जातियों और हिंदू कट्टरपंथियों के बंगाल विरोधी रवैये के कारण हुआ। 

महफूज आलम ने इसी पोस्ट में दावा किया, “भारत ने एक नियंत्रण और यहूदी बस्ती कार्यक्रम अपनाया है। भारत से सच्ची आजादी सुनिश्चित करने के लिए, हमें 1975 (शेख मुजीब उर-रहमान की हत्या का घटनाक्रम) और 2024 (शेख हसीना का बांग्लादेश छोड़कर भागने का घटनाक्रम) को दोहराना होगा।” आलम ने कहा कि दोनों घटनाओं के बीच 50 साल का अंतर है। लेकिन कुछ भी नहीं बदला। हम भूगोल और व्यवस्था में फंस गए हैं। हमें अब एक नए भूगोल और व्यवस्था की आवश्यकता होगी।

इसी के साथ उसने फेसबुक पर एक विवादित नक्शा पेश किया। इसमें बांग्लादेश के झंडे का रंग पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा तक दिखाया गया था। महफूज आलम ने इसी पोस्ट में आगे लिखा, "बांग्लादेश एक शुरुआती बिंदु है, न कि अंतिम बिंदु।" 



इस पोस्ट के फेसबुक पर आने के बाद मोहम्मद यूनुस के करीबी की काफी चर्चा शुरू हो गई। इस बीच पोस्ट के वायरल होने के बाद उसने गुपचुप तरीके से कुछ ही घंटों में इसे हटा लिया। हालांकि, तब तक इस पोस्ट पर भारत में हंगामा शुरू हो गया। भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार इस घटना को लेकर बांग्लादेश को कड़ी फटकार लगाई। 
 

भारत ने इस घटनाक्रम पर क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हमें पता चला है कि जिस पोस्ट का जिक्र किया जा रहा है, उसे कथित तौर पर हटा दिया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी संबंधित पक्षों को याद दिलाना चाहेंगे कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत ने बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में बार-बार रुचि दिखाई है, इस तरह की टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।’’
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