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Bangladesh: जबरन गायब होने वालों की सुरक्षा के लिए यूनुस सरकार का कदम, UN सम्मेलन में शामिल हुआ बांग्लादेश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ढाका Published by: श्वेता महतो Updated Thu, 29 Aug 2024 05:52 PM IST
सार

मंगलवार को यूनुस की सरकार ने जबरन गायब होने के प्रत्येक मामलों की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को एक जनवरी 2010 से पांच अगस्त 2024 तक जबरन गायब होने के मामलों की जांच करने का आदेश दिया गया है।

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Bangladesh signs international convention on forced disappearances news in hindi
मोहम्मद युनुस - फोटो : पीटीआई
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बांग्लादेश में जबरन गायब होने के प्रत्येक मामले की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए एक समिति का गठन करने के दो दिन बाद सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सम्मेलन में शामिल होने के लिए हस्ताक्षर किया। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इसे एक ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने बताया कि वे जबरन गायब हुए लोगों की सुरक्षा के लिए यूएन सम्मेलन में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताकर किया। यूएन की तरफ से जबरन गायब हुए पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (30 अगस्त) की घोषणा की गई। 
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अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "गुरुवार को बांग्लादेश ने जबरन गायब होने वाले सभी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए यूएन सम्मेलन में शामिल होने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत जबरन गायब होने के प्रत्येक मामलों की जांच की जाएगी। इसके साथ ही बांग्लादेश अब सभी नौ प्रमुख मानवाधिकार संधियों में शामिल हो गया।" 
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मंगलवार को पांच सदस्यीय समिति का हुआ था गठन
मंगलवार को यूनुस की सरकार ने जबरन गायब होने के प्रत्येक मामलों की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को एक जनवरी 2010 से पांच अगस्त 2024 तक जबरन गायब होने के मामलों की जांच करने का आदेश दिया गया है। समिति को 45 दिनों के भीतर सरकार को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। पुलिस सैन्य बल, खुफिया और एजेंसियां जबरन गायब होने के मामलों में अपनी कथित भूमिका के लिए जांच के दायरे में हैं। 

ह्यूमन राइट्स वॉच डॉग्स ने ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने 2009 से 600 से अधिक लोगों को जबरन गायब किया है। बता दें कि शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद कई लोग गिप्त जेलों से बाहर आए, जिसे आइना घर या मिरर रूम के नाम से जाना जाता है। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उन्हें बाहर की दुनिया से बिलकुल अलग कर दिया गया था। इसके साथ उन्होंने बताया कि उनपर टॉर्चर भी किया गया था।
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