Sri Lanka Crisis: आईएमएफ के कर्ज से क्या श्रीलंका में आमजन को भी मिलेगी राहत?
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के श्रीलंका लिए कर्ज की किस्त जारी करने पर राजी हो जाने की खबर से यहां सरकारी हलकों में राहत का माहौल है। बताया जाता है कि चीन की तरफ से ऋण रियायत संबंधी आश्वासन मिलने के बाद आईएमएफ ने मंजूर हो चुके 2.9 बिलियन डॉलर के ऋण को जारी करने का मन बना लिया है।
आईएमएफ के बदले रुख के बारे में जानकारी यहां बुधवार सुबह लोगों को मिली। मंगलवार रात आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टेलीना जियोर्गिएवा ने एक ट्विट में कहा था- ‘श्रीलंका में उठाए गए नीति संबंधी निर्णायक कदमों और उसके सभी प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन हासिल करने में हुई प्रगति का हम स्वागत करते हैं।’ श्रीलंका ने इस सिलसिले में चीन, भारत एवं पेरिस क्लब जैसे कर्जदाताओं से ऋण रियायत संबंधी आश्वासन हासिल किया है।
अब श्रीलंका के लिए ऋण जारी करने के सवाल पर विचार-विमर्श के लिए आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक 20 मार्च को होगी। खबर है कि उस बैठक में कर्ज के तुरंत भुगतान का फैसला हो जाएगा। बढ़ी वित्तीय मुसीबतों के कारण श्रीलंका पिछले वर्ष अप्रैल में डिफॉल्ट करने पर मजबूर हो गया था (यानी वह ऋण चुकाने में अक्षम हो गया था)। उसके बाद उसने आईएमएफ से नए कर्ज की गुहार लगाई थी। पिछले सितंबर में आईएमएफ 2.9 बिलियन डॉलर का कर्ज देने पर राजी हुआ। लेकिन उसके भुगतान के लिए उसने श्रीलंका के सामने कई पूर्व शर्तें रख दीं। इनमें प्रमुख कर्जदाताओं से ऋण रियायत हासिल करना भी शामिल था।
इसमें सबसे ज्यादा देर चीन से आश्वासन पाने में लगी। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप प्रमुख चेन झाऊ ने जनवरी श्रीलंका की यात्रा की थी। लेकिन चीन से आश्वासन पत्र इस हफ्ते जाकर प्राप्त हुआ है। मंगलवार को संसद में राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एलान किया कि उन्हें एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना से आश्वासन पत्र प्राप्त हो गया है। उसी रात आईएमएफ ने ऋण की रकम जारी करने का संकेत दे दिया।
हालांकि इस खबर से श्रीलंका के सरकारी और वित्तीय क्षेत्रों में राहत महसूस की गई है, लेकिन आम जन की मुश्किलों का तुरंत हल निकलने की संभावना नहीं है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए श्रीलंका सरकार ने कई ऐसे फैसले किए हैं, जिनसे देशवासियों की मुसीबत और बढ़ी है। राजकोषीय सेहत बहाल करने की शर्त को पूरा करने के लिए सरकार ने इस वर्ष अब तक बिजली शुल्क सहित तमाम करों में भारी बढ़ोतरी की है। पहले से ही महंगाई झेल रहे आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी इससे और मुश्किल हुई है। इन वजहों से श्रीलंका में आईएमएफ को लेकर कई स्तरों पर असंतोष देखने को मिला है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक श्रीलंका इस समय अमेरिका और चीन की होड़ के बीच भी फंसा हुआ है। इसके बीच श्रीलंका सरकार के सामने दोनों देशों के बीच तालमेल बना कर चलने की कठिन चुनौती है। हालांकि चीन ने श्रीलंका के लिए आश्वासन पत्र भेज दिया है, लेकिन साथ ही उसने श्रीलंका के मामले में अमेरिका पर कड़ा हमला बोला है। चीन के विदेश मंत्री चिन कांग ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि अमेरिका में ब्याज दरों में असाधारण वृद्धि के कारण कर्ज संकट में फंसे श्रीलंका जैसे देशों की हालत और बिगड़ी है।