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ICJ: इस्राइल के खिलाफ नरसंहार मामले में दक्षिण अफ्रीका के साथ ब्राजील, आईसीजे में दायर किया हस्तक्षेप पत्र

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, द हेग Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 21 Sep 2025 03:20 PM IST
सार

ब्राजील ने यह कदम यह दिखाने के लिए उठाया कि इस्राइल 1948 की नरसंहार रोकथाम संधि का उल्लंघन कर रहा है। अब आईसीजे ने दक्षिण अफ्रीका और इस्राइल से कहा है कि वे इस मामले पर ब्राजील के हस्तक्षेप को लेकर लिखित जवाब दाखिल करें।

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Brazil joins South Africa's genocide case against Israel at ICJ, News in Hindi
पीस पैलेस - फोटो : ANI
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विस्तार
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हेग में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में गाजा में चल रहे युद्ध को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए ब्राजील ने दक्षिण अफ्रीका की तरफ से दायर किए गए उस मामले में आधिकारिक रूप से शामिल होने की घोषणा की है, जिसमें इस्राइल पर गाजा पट्टी में नरसंहार का आरोप लगाया गया है। यह जानकारी अल जजीरा की रिपोर्ट के हवाले से सामने आई। आईसीजे ने शुक्रवार को पुष्टि की कि ब्राजील ने अनुच्छेद 63 के तहत एक हस्तक्षेप की घोषणा दाखिल किया है। यह प्रावधान किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश को यह अधिकार देता है कि यदि किसी संधि की व्याख्या पर सवाल उठ रहा हो और उस पर उसने हस्ताक्षर किए हों, तो वह मामले में हस्तक्षेप कर सकता है।
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जुलाई में दिए थे संकेत, कई देश दक्षिण अफ्रीका के साथ
ब्राजील ने जुलाई 2025 में ही यह संकेत दे दिया था कि वह इस मामले में शामिल हो सकता है। उस समय ब्राजील के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इस्राइल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए चुनौती है और 'दण्डमुक्ति' की वजह से अंतरराष्ट्रीय कानून कमजोर हो रहा है। इस मामले में ब्राजील से पहले स्पेन, आयरलैंड, मेक्सिको, तुर्किये समेत कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका का साथ दिया है। दक्षिण अफ्रीका का दावा है कि अक्टूबर 2023 से अब तक गाजा में 65,000 से ज्यादा फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है।
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आईसीजे का अंतरिम आदेश
हालांकि इस मामले में अंतिम फैसला आने में वर्षों लग सकते हैं, लेकिन जनवरी 2024 में आईसीजे ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए इस्राइल  को यह निर्देश दिया था कि वह गाजा में किसी भी प्रकार का नरसंहार न करे और मानवीय सहायता को बिना रुकावट पहुंचने दे। इसके अलावा, आईसीजे ने यह भी माना था कि फलस्तीनी इलाकों पर इस्राइल  की मौजूदगी अवैध है और उसकी बस्तियों की नीति को अधिग्रहण की श्रेणी में रखा गया। इन आदेशों के बावजूद इस्राइल ने गाजा और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर तबाही मचाना जारी रखा है। साथ ही वह फलस्तीनी जमीन पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने की योजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है।

अमेरिका और यूरोपीय देशों का समर्थन
वहीं दूसरी ओर, अमेरिका और इस्राइल  के यूरोपीय सहयोगी देश उसे सैन्य और आर्थिक मदद देते आ रहे हैं। अमेरिका ने इस मामले को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अमेरिकी सांसदों ने दक्षिण अफ्रीका की कड़ी आलोचना की और उस पर धमकी भरे बयान दिए। अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के उन अधिकारियों पर भी अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाए, जिन्होंने इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।

बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव
जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं गाजा में हो रहे नरसंहार को मान्यता देती जा रही हैं, इस्राइल  और उसके सहयोगियों पर वैश्विक दबाव बढ़ रहा है। ब्राजील के इस कदम से दक्षिण अफ्रीका के मामले को और मजबूती मिलने की उम्मीद है और आने वाले समय में अन्य देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
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