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भारत को बड़ी राहत, ईरान के चाबहार बंदरगाह पर नहीं होगा अमेरिकी प्रतिबंधों का असर

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: Priyesh Mishra Updated Wed, 24 Apr 2019 10:57 AM IST
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Chabahar port project will be exempt from US sanctions
चाबहार पोर्ट
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ईरान पर लगने वाले अमेरिकी प्रतिबंधो का असर भारत द्वारा संचालित चाबहार बंदरगाह परियोजना पर नहीं होगा। सोमवार को ट्रंप प्रशासन ने भारत, चीन समेत 8 देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट को खत्म करने का ऐलान किया था। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान पर प्रतिबंधों का चाबहार बंदरगाह परियोजना पर कोई असर नहीं होगा। इस बंदरगाह को भारत और ईरान ने मिलकर विकसित किया है। 
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ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमेरिका मान्यता देता है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और छूट देने में उसका रुख बेहद सख्त है। यह बंदरगाह युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'प्रतिबंधों में छूट इसलिए दी गई है ताकि चाबहार बंदरगाह का विकास हो सके। साथ ही रेलवे का निर्माण हो सके, जिससे सामान अफगानिस्तान तक पहुंचाया जा सके। अफगानिस्तान के ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को भी प्रतिबंधों से मुक्त किया जा रहा था'

पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को मात देने के लिए भारत द्वारा ईरान के चाबहार को तैयार किए जाने का असर अब साफ दिखने लगा है। इससे न केवल पाक की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है बल्कि पाक ने अपने उत्पादों के लिए बड़े बाजार को भी खो दिया है।

यह भी पढ़ें: ईरान में भारत की मदद से चा'बहार', पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चारों खाने चित्त


भारत द्वारा किए गए आर्थिक मदद से तैयार ईरान का चाबहार पोर्ट अब पूरी तरह से काम करने लगा है। इसके निर्माण में 34 करोड़ डॉलर का खर्च आया था। चाबहार का विकास और पुनर्निमाण रेवॉल्यूशनरी गार्ड से संबद्ध कंपनी खातम अलअनबिया ने किया है। हालांकि इसके निर्माण में कई भारतीय सरकारी कंपनियां भी शामिल थीं।

चाबहार से पाक की अर्थव्यवस्था को लगा झटका

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चाबहार पोर्ट
पाक को सबसे बड़ा झटका अफगानिस्तान को चाबहार से मिल ने वाली सीधी सप्लाई से पड़ा है। इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 5 अरब डॉलर का था जो अब घटकर डेढ़ अरब डॉलर से भी कम का रह गया है। विश्लेषकों के अनुसार, इसकी सबसे बड़ी वजह ईरान का चाबहार पोर्ट है। अब कोई भी सामाग्री ईरान के चाबहार से होकर सीधे अफगानिस्तान पहुंच रही है।

इससे पहले अफगानिस्तान व्यापार के लिए पाकिस्तान पर पूरी तरह से निर्भर था। अफगानिस्तान चौतरफा जमीन से घिरा हुआ देश है। इसको किसी भी समुद्र या नदी का सीधा संपर्क नहीं है। अफगानिस्तान के उत्तर में तुर्कमेनिस्तान, उजेबकिस्तान जबकि दक्षिण में पाकिस्तान है। पूर्व में ईरान और पश्चिम में तजाकिस्तान है।
 

चाबहार कैसे है भारत के लिए फायदेमंद

Chabahar port project will be exempt from US sanctions
चाबहार पोर्ट
चाबहार पोर्ट के कारण भारत अपना माल अफगानिस्तान और ईरान को सीधे भेज पा रहा है। इसके अलावा एक बड़ी बात यह भी है कि चाबहार के कारण भारत अपने माल को रूस, तजकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजकिस्तान और उजेबकिस्तान भेज पा रहा है। इससे भारत के व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। हथियारों की खरीद के कारण रूस से बढ़ रहे व्यापार घाटे को भी कम करने में भारत को मदद मिल रही है।

चीन और पाक द्वारा संयुक्त रूप से विकसित हो रहे ग्वादर बंदरगाह के काट के रूप में भी ईरान के चाबहार को देखा जा रहा है। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है कि अमेरिका ने इस बंदरगाह को ईरान पर लगे प्रतिबंधों से मुक्त कर रखा है। भारत ने अफगानिस्तान से ईरान के चाबहार तक सड़क मार्ग का निर्माण भी कराया है। जिससे अफगानिस्तान को समुद्र तक आसानी से पहुंच मिला है।

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