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FATF: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन पेमेंट सेवा...आतंकी साजिश रचने के नए हथकंड़े, पढ़िए चौंकाने वाले खुलासे

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 09 Jul 2025 08:06 PM IST
सार

 फ्रांस की आतंकरोधी संस्था ने अपनी रिपोर्ट तैयार कैसे की? भारत में आतंकी संगठनों के मोडस ऑपरेंडाई के बारे में क्या कहा है? दहशतगर्दों के नए तरीकों को लेकर क्या खुलासा हुआ है? आइये जानते हैं...

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Financial Action Task Force FATF Terrorist Modus Operandi in India State Sponsored Terrorism Pakistan
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की रिपोर्ट में भारत में आतंकी गतिविधियों का जिक्र। - फोटो : अमर उजाला
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आतंकी हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय आतंकरोधी संस्था- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने एक रिपोर्ट सोमवार को जारी की। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि दहशतगर्द अब विस्फोटक खरीदने के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और ऑनलाइन पेमेंट के जरिए आतंकी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। 
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एफएटीएफ ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग और धनशोधन के तरीकों को लेकर भारत से जुड़ी दो घटनाओं को अपनी रिपोर्ट में शामिल भी किया है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर फ्रांस की आतंकरोधी संस्था ने अपनी रिपोर्ट तैयार कैसे की? भारत में आतंकी संगठनों के मोडस ऑपरेंडाई के बारे में क्या कहा है? दहशतगर्दों के नए तरीकों को लेकर क्या खुलासा हुआ है? आइये जानते हैं...
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एफएटीएफ की रिपोर्ट तैयार कैसे हुई?
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की रिपोर्ट में आतंकी वित्तपोषण के जोखिम को लेकर अपडेट जारी किया गया है। इससे पहले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जून में एफएटीएफ ने कहा था कि वह आतंकी वित्तपोषण को लेकर विस्तृत जांच करेगा। इसके बाद फ्रांस की इस संस्था ने दुनिया के अलग-अलग देशों में हुई स्टडी के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की।

बताया गया है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में संयुक्त राष्ट्र के आतंक-रोधी मामलों के कार्यकारी निदेशालय (यूएनसीटीईडी) ने भी मदद की और फ्रांस की तरफ से इसका नेतृत्व किया गया। इसमें 80 से ज्यादा क्षेत्राधिकारों से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इनमें निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और थिंक टैंकों से प्राप्त 840 आवेदन शामिल हैं। 

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रिपोर्ट में भारत के किन मामलों का जिक्र?
एफएटीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी भारत में अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अमेजन (Amazon) जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म खरीदारी के लिए और पेपल (PayPal) जैसे ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म को गतिविधियों के लिए रकम जुटाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में भारत में हुई जिन दो आंतकी घटनाओं का जिक्र किया गया है, उनमें 2022 के गोरखनाथ मंदिर हमले और 2019 के पुलवामा हमले की घटना शामिल है। 

केस-1: गोरखनाथ मंदिर हमला


1. गोरखनाथ मंदिर में क्या हुआ था?
3 अप्रैल 2022 की शाम 7:15 बजे गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी जवानों पर इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की विचारधारा से प्रभावित आतंकी मुर्तजा अहमद अब्बास ने धारदार बांका से हमला कर दिया था। हमलावर ने जवानों से हथियार छीनने का भी प्रयास किया। मरने-मारने पर उतारू मुर्तजा ने बांके से वार कर दो जवानों को बुरी तरह जख्मी कर दिया। पकड़े जाने के बाद उसकी पृष्ठभूमि की जांच हुई तो सामने आया कि मुर्तजा को आईएस से आर्थिक मदद मिल रही थी। 

2. FATF की जांच में क्या सामने आया?
मुर्तजा ने आतंकी हमलों से पहले पेपल और वीपीएनएस के जरिए 6.69 लाख रुपये विदेश ट्रांसफर किए थे। उसने कम से कम 44 अंतरराष्ट्रीय लेन-देन किए थे। उसे 10 हजार 323 रुपये विदेश से मिले भी। एफएटीएफ के मुताबिक, पेपल को लेन-देन के अकाउंट्स पर शक हुआ तो उसने आरोपी का अकाउंट निलंबित कर दिया, ताकि आगे अवैध ट्रांसफर न हो पाएं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिनटेक कंपनियों की तरफ से बीते 10 साल में जिस तरह ऑनलाइन लेन-देन बढ़े हैं, आतंकी भी इस सेवा का इस्तेमाल अपने लेन-देन में करने लगे हैं। दरअसल, इनके जरिए आतंकी संगठन तुरंत और तेज रकम ट्रांसफर कर सकते हैं और वह भी फर्जी नाम वाले अकाउंट्स की मदद से। इसलिए आतंकी इस माध्यम को आतंकी गतिविधियों में रकम जुटाने के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं। 

केस-2: पुलवामा हमला


1. पुलवामा हमले को लेकर क्या खुलासा हुआ?
14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोहम्मद की तरफ से जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की गाड़ियों पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। इस हमले के लिए आतंकियों ने विस्फोटकों से लदी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों के वाहन से लड़ा दी थी। आतंकी हमले में 40 जवानों की जान चली गई थी। 

2. एफएटीएफ की जांच में क्या मिला?
इस हमले में इस्तेमाल बम को बनाने के लिए जो एल्युमिनियम पाउडर आतंकियों ने इस्तेमाल किया, वह ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजन के इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल मार्केटप्लेसेज (ईपीओएम) नेटवर्क के जरिए मंगाया गया था। इसी पाउडर को ब्लास्ट में इस्तेमाल किया गया था। 

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एनआईए ने अपनी जांच में पाया था कि पुलवामा हमले के एक आरोपी वाइज-उल-इस्लाम ने अपने अमेजन अकाउंट का इस्तेमाल केमिकल खरीदने के लिए किया था, जिसके जरिए जैश-ए-मोहम्मद के निर्देशों पर आईईडी, बैटरी और अन्य उपकरण बनाए गए थे। वाइज ने इसके बाद खुद ही आतंकियों को यह चीजें पहुंचाई, जिन्होंने पुलवामा हमले को अंजाम दिया गया। 

एफएटीएफ के मुताबिक, आतंकी अब उपकरण, हथियारों की सामग्री, केमिकल और थ्री-डी प्रिंटिंग मैटेरियल खरीदने के लिए ऐसे ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। आतंकी ऐसी चीजों को भी ऑर्डर कर रहे हैं, जो पहले कभी मांग में नहीं रहीं। इनमें ईपीओएम जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं, जिन्हें धनशोधन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 

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पाकिस्तान और एफएटीएफ से जुड़े तथ्य - फोटो : अमर उजाला
आसानी से पकड़ में क्यों नहीं आते आतंकियों के धनशोधन के तरीके?
एफएटीएफ ने बताया है कि अमेजन जैसे मार्केटप्लेस धनशोधन का जरिया भी बनते जा रहे हैं। यह ऐसे अंजाम दिया जाता है...
  • आतंकी ई-मार्केटप्लेस पर ऐसे सस्ते उत्पाद को उतारते हैं, जो कि आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकते हैं। 
  • इन्हें ऑनलाइन महंगे से महंगे दाम पर प्रचारित किया जाता है। उत्पाद को आतंकी नेटवर्क में ही शामिल किसी और स्थान पर बैठा दूसरा दहशतगर्द खरीद लेता है और इसकी रकम का भुगतान कर देता है। 
  • यह रकम सीधे उत्पाद को बेचने वाले आतंकी के पास पहुंच जाती है और उसकी तरफ से भेजा गया सामान मार्केटप्लेस की डिलीवरी प्रणाली से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाता है। 
  • इस तरह भेजा गया उत्पाद भी किसी आतंकी गतिविधि में इस्तेमाल हो सकता है और इसकी एवज में भेजी गई रकम भी आतंकी वित्तपोषण में इस्तेमाल हो सकती है। 
  • चूंकि यह पूरा लेन-देन उत्पाद खरीदने-बेचने के तौर पर होता है, इसलिए यह खुफिया एजेंसियों की नजर से भी बचे रहते हैं। यानी सीधे पैसे ट्रांसफर के मुकाबले ज्यादा गुप्त।

भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी गतिविधियों में चीन से जुड़ी ऐप्स, क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट, सैटेलाइट फोन्स और डार्कनेट के इस्तेमाल को लेकर भी खतरे का अलर्ट दिया है। रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट (2024), पुलवामा हमला (2019), बिहार-नेपाल बॉर्डर से नकली नोटों की खेप की बरामदगी और आईएसआईएस की तरफ से कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की जांच (2020) में भी भारत को कुछ ऐसे ही मोडस-ऑपरेंडाई के सबूत मिले थे।

रिपोर्ट में और क्या कहा गया?
एफएटीएफ ने पहली बार अपनी रिपोर्ट में किसी देश की तरफ से प्रायोजित आतंकवाद का भी जिक्र किया है। संस्था ने कहा है कि यह दर्जा उन देशों को दिया जाएगा, जो अपनी आधिकारिक नीतियों के तहत आतंकी संगठनों और गतिविधियों का वित्तपोषण करते हैं। एफएटीएफ के मुताबिक, कुछ आतंकी संगठनों को लगातार सीधे देश की सरकारों से समर्थन और वित्तीय सहायता भी मिल रही है। फ्रांस की आतंकरोधी संस्था ने इस तरह इशारों-इशारों में पाकिस्तान को घेरा है, हालांकि रिपोर्ट में उसके नाम का जिक्र नहीं किया। 

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एफएटीएफ ने पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों पर जरूर निशाना साधा है और लश्कर-ए-तयैबा, जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को वैश्विक खतरे के तौर पर चिह्नित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठनों को किसी न किसी तरह का समर्थन जारी रहा है। फिर चाहे वह सीधा वित्तीय समर्थन हो या प्रशिक्षण जैसी मदद और या फिर लॉजिस्टिक्स के जरिए सहायता। इन सभी कार्यों में राष्ट्रीय सरकारों ने संदिग्ध तौर पर मददगार की भूमिका निभाई।
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