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मध्य पूर्व में आएगी शांति!: फ्रांस ने UNGA में फलस्तीन को दी मान्यता; अब्बास बोले- हमास को डालने होंगे हथियार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, Published by: शिव शुक्ला Updated Tue, 23 Sep 2025 01:37 AM IST
सार

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब फ्रांस ने भी फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस-सऊदी अरब की अध्यक्षता में हुई शांति बैठक के दौरान की। गाजा युद्ध के बीच इस कदम से दो-राष्ट्र समाधान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला है, हालांकि जमीनी हालात अब भी चुनौतीपूर्ण हैं।

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France recognises Palestinian state at UN meeting to revive Mideast peace process
इमैनुएल मैक्रों - फोटो : ANI
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विस्तार
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गाजा में जारी जंग के बीच मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने की कोशिशों को नया बल देने के लिए फ्रांस ने सोमवार को एतिहासिक एलान किया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस बाबत फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। जब उन्होंने इसका एलान किया तब वहां मौजूद 140 से अधिक नेताओं ने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई देश फलस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे चुके हैं।

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इस मौके पर यूएनजीए में फलस्तीनी प्रतिनिधिमंडल और संयुक्त राष्ट्र में उसके राजदूत रियाद मंसूर ने खुशी जताई।  वहीं, फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास जो कि अमेरिकी वीजा न मिलने के कारण यूएनजीए की बैठक में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो पाए, उन्होंने वीडियो संदेश के माध्यम से बैठक में संबोधित किया।
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अपने वीडियो संदेश में अब्बास ने हमास से हथियार डालने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमास और अन्य गुटों को अपने हथियार फलस्तीनी प्राधिकरण के हवाले करना होगा। इसके अलावा, गाजा में शासन में हमास की कोई हिस्सेदारी नहीं होगाी। उन्होंने स्पष्ट किया कि फलस्तीनी प्राधिकरण ही भविष्य में गाजा का प्रशासन संभालेगा।

लंबे समय से मध्य-पूर्व में शांति की वकालत करते आए हैं मैंक्रो
गौरतलब है कि फ्रांस काफी लंबे समय से मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने पर जोर देता आया है। मई माह में राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने अमेरिका की नाराजगी की परवाह न करते हुए फलस्तीन को मान्यता देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वे यूएनजीए के सम्मेलन में इसका एलान करेंगे। फ्रांस के इस कदम का उद्देश्य दो-राष्ट्र समाधान को आगे बढ़ाना है, जबकि इस्राइल और अमेरिका ने फलस्तीन को मान्यता देने की प्रक्रिया का विरोध किया है। 

पहले इस्राइल के साथ, अब गाजा में हालात से नाराज
गौरतलब है कि जब 7 अक्तूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर हमला किया था, तब राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्राइल का समर्थन किया था और यहूदी विरोध के खिलाफ भी लगातार बयान दिए हैं। लेकिन हाल के महीनों में गाजा में इस्राइल की सैन्य कार्रवाई, खासकर आम लोगों पर हो रही बमबारी और खाने-पीने की भारी कमी को देखकर मैक्रों इस युद्ध से काफी नाराज और चिंतित नजर आए हैं।

इस्राइल-अमेरिका विरोध में
इस्राइल और अमेरिका ने इस फैसले का विरोध किया है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में संकेत दिया है कि उनका देश वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों का विलय कर सकता है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन भी फलस्तीन को मान्यता देने की प्रक्रिया को शांति वार्ता में रुकावट मानता है।

ये देश दे चुके हैं फलस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र को मान्यता
इससे एक दिन पहले ही ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। फलस्तीनियों का कहना है कि आने वाले दिनों में लगभग दस और देश इस दिशा में कदम उठाएंगे। बता दें कि फलस्तीन को अब तक संयुक्त राष्ट्र के लगभग तीन-चौथाई सदस्य मान्यता दे चुके हैं, लेकिन बड़े पश्चिमी देशों ने इसे बातचीत से जुड़े समाधान तक टाल रखा था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय से माना जाता रहा है कि दो-राष्ट्र समाधान ही इस संघर्ष का एकमात्र स्थायी हल है।

फलस्तीनियों ने फ्रांस और अन्य देशों के कदम का स्वागत किया है, और इसे अपने स्वतंत्र राज्य की दिशा में पहला भरोसेमंद संकेत माना जा रहा है। वहीं, गाजा में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इस्राइल ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चला रखा है। साथ ही वह वेस्ट बैंक में बस्तियों का विस्तार कर रहा है। 

 

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