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फ्रांस का सियासी संकट: मैक्रों ने 2022 से अबतक बदले पांच प्रधानमंत्री, अब राष्ट्रपति के पास हैं ये तीन विकल्प

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पेरिस। Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 06 Oct 2025 10:02 PM IST
सार

फ्रांस में प्रधानमंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू के इस्तीफे के बाद देश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट में फंस गया है। यह संकट 2022 से चला आ रहा है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने अब तीन कठिन विकल्प हैं- नया प्रधानमंत्री चुनना, संसद भंग कर चुनाव कराना या खुद इस्तीफा देना। लेकिन तीनों ही रास्ते मुश्किलों से भरे हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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French political crisis Macron replaced five prime ministers since 2022 president three options
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक/एएनआई
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विस्तार
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फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह इस्तीफा ऐसे समय में दिया जब कुछ घंटे पहले ही उन्होंने नई कैबिनेट की घोषणा की थी। इसके साथ ही फ्रांस एक बार फिर उसी राजनीतिक संकट में फंस गया है, जो 2022 से चला आ रहा है।
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मैक्रों के सामने तीन कठिन विकल्प
लेकॉर्नू का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने अब तीन कठिन विकल्प हैं। पहला विकल्प यह है कि वह कोई नया प्रधानमंत्री चुनें। लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि वह किसे चुनें। उनकी अपनी पार्टी से किसी को लाना मुश्किल है और मैक्रों वामपंथी नेताओं को चुनने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वामपंथी नेता मैक्रों की पेंशन सुधार नीतियों को कमजोर करना चाहते हैं। अगर राष्ट्रपति मैक्रों वामपंथी नेता को प्रधानमंत्री बनाते हैं, तो इससे फ्रांस के दक्षिणपंथी गुट नाराज हो सकते हैं, जो कानून व्यवस्था, प्रवास नीति और सख्त आर्थिक नीतियों की मांग करते हैं।
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दूसरा विकल्प यह है कि मैक्रों संसद भंग कर दें और नए आम चुनाव कराएं। लेकिन वह खुद कह चुके हैं कि वह ऐसा नहीं करना चाहते। फिर भी अगर ऐसा होता है और दक्षिणपंथी पार्टी 'नेशनल रैली' (आरएन) को बहुमत मिल जाता है, तो वह सरकार बना सकती है। तीसरा और आखिरी विकल्प यह है कि मैक्रों खुद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दें। लेकिन वह कई बार कह चुके हैं कि वह ऐसा नहीं करेंगे। फिर भी अगर वह इस्तीफा देते हैं, तो अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह साफ नहीं है, लेकिन मौजूदा सर्वेक्षणों में नेशनल रैली के जीतने की संभावना जताई जा रही है।

2022 में मैक्रों ने संसद में खोया बहुमत
फ्रांस की राजनीतिक स्थिति 2022 से ही डांवाडोल है, जब मैक्रों की पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला। बात तब और बिगड़ गई जब पिछले साल उन्होंने अचानक समय से पहले ही संसदीय चुनाव करा दिए। लेकिन इसका नतीजा एक त्रिशंकु संसद रहा, जहां तीन विचारधारा के गुटों में सत्ता बंट गई- मैक्रों की केंद्र से दाईं ओर झुकी पार्टी, वामपंथी गठबंधन और दक्षिणपंथी आरएन पार्टी।

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बजट को लेकर दबाव ने संकट और बढ़ाया
अगर हालात सामान्य होते, तो मैक्रों की अल्पमत सरकार शायद किसी तरह काम चला लेती। लेकिन दो बड़े कारणों ने हालात को और कठिन बना दिए। पहला कारण है फ्रांस का बजट संकट। यूरोपीय देशों में फ्रांस का बजट घाटा सबसे बड़ा है और देश पर दबाव है कि वह खर्च को कम करे। मैक्रों ने अपने कई प्रधानमंत्रियों को सख्त बजट पारित कराने की जिम्मेदारी दी।

मिशेल बार्नियर पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 2025 के बजट में कटौती का प्रस्ताव दिया, लेकिन संसद ने इसे नकार दिया और दिसंबर में उन्हें पद से हटा दिया गया। उनके बाद फ्रांस्वा बायरू प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 2025 का बजट तो पारित करा लिया, लेकिन 2026 के लिए उनके प्रस्तावों की वजह से उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा। उनके बाद मैक्रों ने सेबस्टियन लेकॉर्नू को प्रधानमंत्री बनाया, जो उनके करीबी माने जाते हैं। लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी कैबिनेट को पूरी तरह से खारिज कर दिया और वह एक महीने से भी कम समय में पद छोड़ने को मजबूर हो गए।

राष्ट्रपति पद की दौड़ ने संकट को और उलझाया
फ्रांस की राजनीतिक अस्थिरता की एक और बड़ी वजह है 2027 में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव। मैक्रों दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी नीतियां तय करनी शुरू कर दी हैं, ताकि वे उस चुनाव में जीत हासिल कर सकें। इस वजह से संसद में कोई भी दल एक-दूसरे के साथ समझौता करने के मूड में नहीं है। नतीजतन, मैक्रों के प्रधानमंत्रियों को हर बार ऐसे सांसदों से जूझना पड़ता है, जो टकराव की राजनीति कर रहे हैं और सहयोग नहीं करना चाहते। यही कारण है कि 2022 से अब तक मैक्रों पांच प्रधानमंत्रियों को बदल चुके हैं।

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