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Nepal: पूर्व पीएम ओली का अंतरिम सरकार पर बड़ा आरोप, खुद की गिरफ्तारी की जताई आशंका; जेन-जी प्रदर्शन पर पलटवार
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 19 Oct 2025 10:14 PM IST
सार
Ex-Nepal PM KP Sharma Oli: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश की मौजूदा अंतरिम सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें किसी भी तरह गिरफ्तार करना चाहती है। इसके साथ ही उन्होंने जेन-जी के प्रदर्शन पर पलटवार किया और दोबारा सत्ता में आने की इच्छा भी जताई।
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केपी शर्मा ओली, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री (फाइल फोटो)
- फोटो : X / @PM_nepal_
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विस्तार
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 5 मार्च 2026 को प्रस्तावित आम चुनाव को लेकर गंभीर नहीं है। यह बयान उन्होंने सत्ता से हटाए जाने के बाद पहली बार काठमांडू में संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया।
यह भी पढ़ें - फ्रांस के सबसे प्रसिद्ध संग्रहालय में चोरी: फिल्मी स्टाइल में चार मिनट में उड़ाए बेशकीमती गहने, ऐसे हुई वारदात
सत्ता से हटने के बाद आरोपों का दौर
पूर्व पीएम ओली ने कहा कि सरकार उन्हें किसी भी तरह गिरफ्तार करने की साजिश कर रही है, जबकि इसके लिए कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के माध्यम से संसद की पुनर्स्थापना की मांग करने की बात कही। बता दें कि सितंबर की शुरुआत में उनकी सरकार के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। यह विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई नेपाल के युवा वर्ग, जिसे जेन-जी कहा जा रहा है, ने की थी। उनकी नाराजगी का मुख्य कारण भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध था।
अंतरिम सरकार और चुनाव की तैयारी
उनके इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। जबकि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनके सुझाव पर संसद भंग कर दी। अब आम चुनाव 5 मार्च 2026 को होने हैं। जेन-जी आंदोलन के दौरान युवाओं ने ओली और गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की मांग की थी। उन पर आंदोलनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगा था।
सुरक्षा में कटौती और मीडिया पर सवाल
पूर्व पीएम ओली ने कहा कि आंदोलन के दौरान जब प्रदर्शनकारी उनके सरकारी आवास बालुवाटार पहुंचे तो नेपाली सेना ने उन्हें बचाया। इसके बाद उनका मोबाइल फोन कुछ दिनों के लिए जब्त कर लिया गया था। उन्होंने सरकार पर सुरक्षा में कमी का भी आरोप लगाया। ओली ने यह भी कहा कि उनकी सरकार में कानून-व्यवस्था बेहतर थी और मीडिया स्वतंत्र था, लेकिन अब प्रेस पर दबाव बढ़ गया है और पत्रकार 'आत्म-सेंसरशिप' करने लगे हैं।
यह भी पढ़ें - Donald Trump: ट्रंप ने कोलंबियाई राष्ट्रपति को कहा 'ड्रग डीलर', करोड़ों डॉलर की अमेरिकी मदद रोकने का किया एलान
जेन-जी और नेपो-किड्स अभियान पर निशाना
पूर्व प्रधानमंत्री ने जेन-जी युवाओं के 'नेपो-किड्स' अभियान को आतंक फैलाने वाला बताया। इस अभियान के तहत युवाओं ने नेताओं और प्रभावशाली लोगों के बच्चों की शानो-शौकत के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनका आरोप था कि यह ऐशोआराम भ्रष्टाचार के पैसों से चल रहा है। ओली ने आरोप लगाया कि जेन-जी आंदोलन में तोड़फोड़ और आगजनी बाहरी ताकतों की साजिश थी, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। उनका कहना था कि सरकार ने इस हिंसा और उसके असर को सही ढंग से नहीं संभाला।
भविष्य की राजनीति पर भी बोले ओली
दूसरे नेताओं की तरह उन्होंने अपनी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया। शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने पार्टी पद छोड़ दिए थे, लेकिन ओली ने कहा, 'अगर जनता चाहे तो मैं फिर सत्ता में लौट सकता हूं।' उन्होंने दावा किया कि देश और पार्टी को अभी भी उनकी जरूरत है और वे राजनीति में सक्रिय रहेंगे। ओली कुछ समय तक सेना की सुरक्षा में छिपे रहे और हाल ही में भक्तपुर जिले के गुंडु इलाके में रहने के बाद दोबारा सार्वजनिक रूप से नजर आए।
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सत्ता से हटने के बाद आरोपों का दौर
पूर्व पीएम ओली ने कहा कि सरकार उन्हें किसी भी तरह गिरफ्तार करने की साजिश कर रही है, जबकि इसके लिए कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के माध्यम से संसद की पुनर्स्थापना की मांग करने की बात कही। बता दें कि सितंबर की शुरुआत में उनकी सरकार के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। यह विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई नेपाल के युवा वर्ग, जिसे जेन-जी कहा जा रहा है, ने की थी। उनकी नाराजगी का मुख्य कारण भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध था।
अंतरिम सरकार और चुनाव की तैयारी
उनके इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। जबकि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनके सुझाव पर संसद भंग कर दी। अब आम चुनाव 5 मार्च 2026 को होने हैं। जेन-जी आंदोलन के दौरान युवाओं ने ओली और गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की मांग की थी। उन पर आंदोलनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगा था।
सुरक्षा में कटौती और मीडिया पर सवाल
पूर्व पीएम ओली ने कहा कि आंदोलन के दौरान जब प्रदर्शनकारी उनके सरकारी आवास बालुवाटार पहुंचे तो नेपाली सेना ने उन्हें बचाया। इसके बाद उनका मोबाइल फोन कुछ दिनों के लिए जब्त कर लिया गया था। उन्होंने सरकार पर सुरक्षा में कमी का भी आरोप लगाया। ओली ने यह भी कहा कि उनकी सरकार में कानून-व्यवस्था बेहतर थी और मीडिया स्वतंत्र था, लेकिन अब प्रेस पर दबाव बढ़ गया है और पत्रकार 'आत्म-सेंसरशिप' करने लगे हैं।
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जेन-जी और नेपो-किड्स अभियान पर निशाना
पूर्व प्रधानमंत्री ने जेन-जी युवाओं के 'नेपो-किड्स' अभियान को आतंक फैलाने वाला बताया। इस अभियान के तहत युवाओं ने नेताओं और प्रभावशाली लोगों के बच्चों की शानो-शौकत के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनका आरोप था कि यह ऐशोआराम भ्रष्टाचार के पैसों से चल रहा है। ओली ने आरोप लगाया कि जेन-जी आंदोलन में तोड़फोड़ और आगजनी बाहरी ताकतों की साजिश थी, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। उनका कहना था कि सरकार ने इस हिंसा और उसके असर को सही ढंग से नहीं संभाला।
भविष्य की राजनीति पर भी बोले ओली
दूसरे नेताओं की तरह उन्होंने अपनी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया। शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने पार्टी पद छोड़ दिए थे, लेकिन ओली ने कहा, 'अगर जनता चाहे तो मैं फिर सत्ता में लौट सकता हूं।' उन्होंने दावा किया कि देश और पार्टी को अभी भी उनकी जरूरत है और वे राजनीति में सक्रिय रहेंगे। ओली कुछ समय तक सेना की सुरक्षा में छिपे रहे और हाल ही में भक्तपुर जिले के गुंडु इलाके में रहने के बाद दोबारा सार्वजनिक रूप से नजर आए।