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US में ज्येष्ठ अष्टमी: ह्यूस्टन में कश्मीरी हिंदुओं ने माता खीर भवानी की पूजा-अर्चना की; मातृभूमि की याद पर...
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ह्यूस्टन (अमेरिका)।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 16 Jun 2025 02:55 AM IST
सार
अमेरिका में ज्येष्ठ अष्टमी पर जुटे कश्मीरी हिंदुओं ने माता खीर भवानी की पूजा-अर्चना की। कश्मीरी लोगों ने कहा कि ये रीति-रिवाज मातृभूमि की याद दिलाते हैं। कश्मीरी हिंदुओं ने माता खीर भवानी की पूजा-अर्चना के बाद कहा कि हिंसा और भय के कारण उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा था।
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ह्यूस्टन के मंदिर में माता खीर भवानी की पूजा करने आए श्रद्धालु
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
अमेरिकी प्रांत टेक्सास में रह रहे कश्मीरी हिंदू परिवार ज्येष्ठ अष्टमी और खीर भवानी पर्व मनाने के लिए ह्यूस्टन के हिंदू वर्शिप सोसाइटी मंदिर में एकत्रित हुए। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां रागन्या देवी की पूजा-अर्चना की। कश्मीरी हिंदुओं ने कहा, ये रीति-रिवाज हमें मातृभूमि की याद दिलाते हैं, जिसे हम हिंसा व भय के कारण छोड़ आए हैं।
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150 से अधिक श्रद्धालुओं ने अनुष्ठान में हिस्सा लिया। पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार मंदिर में खीर, दूध, फूल चढ़ाए तथा दीपक जलाए। देवी खीर भवानी, माता दुर्गा का एक ही एक रूप हैं। इन्हें कश्मीरी पंडित कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। 35 वर्ष से अधिक समय से ह्यूस्टन में रह रहे सुरेंद्र कौल ने नई पीढ़ी को इस पर्व के आध्यात्मिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ये रिवाज हमारी आत्मा से जुड़ा है। ये रीति-रिवाज हमें मातृभूमि कश्मीर की याद दिलाते हैं, जिसे हम हिंसा व भय के कारण छोड़ आए हैं।
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घर लौटने की चाह... एक ऐसा दर्द, जिसे हर दिन सहते हैं
टेक्सास कश्मीरी बिरादरी के अध्यक्ष अमित रैना ने कहा, यह अष्टमी सिर्फ परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारी आस्था है। अपने त्योहारों के माध्यम से हम कश्मीर की संस्कृति को जीवित रखते हैं और अपने बच्चों को बताते हैं कि वे कौन हैं। घर लौटने की चाह एक ऐसा दर्द है, जिसे हम हर दिन सहते हैं। आयोजन में बच्चों ने गजन गाए व अन्य कार्यक्रमों में भाग लिया जो परंपरा के साथ उनके एक मजबूत संबंध को दर्शाता है।
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मैं कश्मीर नहीं गया, लेकिन मेरा एक हिस्सा वहीं है
एक किशोर ने कहा, मैं कभी कश्मीर नहीं गया, लेकिन ऐसा लगता है कि मेरा एक हिस्सा वहां है। इस कार्यक्रम में अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक प्रकट करने के लिए कुछ समय के लिए मौन रखा गया।
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पहलगाम आतंकी हमले ने ताजा किया 1990 का दर्द
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद यह उत्सव भावनात्मक रूप से और भी महत्वपूर्ण हो गया था। पहलगाम में हमलावरों ने धर्म पूछकर हिंदू पर्यटकों की हत्या कर दी थी। इस त्रासदी ने 1990 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार व विस्थापन के दर्द के पुराने घावों को ताजा कर दिया।