Macron US trip: बाइडन प्रशासन की नीति से परेशान यूरोप की चिंताएं मैक्रों ने अमेरिका को बताईं
Macron US trip: मैक्रों के साथ यहां आए फ्रेंच अधिकारियों ने कहा कि यूरोप में ऊर्जा संकट और महंगाई के कारण पहले ही यूरोपीय कंपनियां मुश्किल में हैं। ऊपर से अमेरिका ने अपने यहां आकर निवेश करने वाली कंपनियों के लिए बड़े प्रोत्साहनों की घोषणा कर दी है। बाइडेन और मैक्रों की यहां हुई साझा प्रेस कांफ्रेंस से भी यह संकेत मिला कि फ्रेंच राष्ट्रपति ने यहां इस मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाया है...
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की अमेरिका यात्रा के दौरान जो बाइडन प्रशासन की ‘मेक इन अमेरिका’ नीति पर दोनों देशों के मतभेद खुल कर सामने आए। अमेरिका के इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट पर मैक्रों ने अपना खुला विरोध जताया। अमेरिकी सांसदों के साथ अपनी एक बैठक में उन्होंने इस अमेरिकी कानून को ‘यूरोपीय कंपनियों के खिलाफ उग्र आक्रमण’ करार दिया। इस कानून के तहत बाइडेन प्रशासन ने उन कंपनियों को सब्सिडी और टैक्स छूट देने का प्रावधान किया है, जो अमेरिका में कारखाना लगाएंगी। ये कानून बनने के बाद से कई यूरोपीय कंपनियों ने यूरोप में अपने प्रोजेक्ट रद्द कर अमेरिका में निवेश करने की घोषणा की है।
बाइडन प्रशासन ने ये कानून इलेक्ट्रिक कारों, सेमीकंडक्टर और ग्रीन टेक्नोलॉजी में अमेरिका का वर्चस्व कायम करने के मकसद से बनाया है। लेकिन इससे अमेरिका के कई सहयोगी देश नाराज हो गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को नए रूप में लागू कर रहे हैं।
फ्रांस के अलावा जर्मनी भी इस कानून पर विरोध जता चुका है। मैक्रों के साथ यहां आए फ्रेंच अधिकारियों ने कहा कि यूरोप में ऊर्जा संकट और महंगाई के कारण पहले ही यूरोपीय कंपनियां मुश्किल में हैं। ऊपर से अमेरिका ने अपने यहां आकर निवेश करने वाली कंपनियों के लिए बड़े प्रोत्साहनों की घोषणा कर दी है। गुरुवार को बाइडेन और मैक्रों की यहां हुई साझा प्रेस कांफ्रेंस से भी यह संकेत मिला कि फ्रेंच राष्ट्रपति ने यहां इस मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाया है।
बाइडन ने कहा कि कानून में कुछ कमियां हैं, जिन्हें ठीक किया जा सकता है। लेकिन जानकारों के मुताबिक कानून में संशोधन अमेरिकी कांग्रेस (संसद) ही कर सकती है और वहां इसकी पहल होने की संभावना नहीं है। प्रेस कांफ्रेंस में मैक्रों ने कहा कि अब यूरोप को भी अमेरिका जैसे कदम उठाने होंगे। ये खबर पहले ही आ चुकी है कि यूरोपियन यूनियन (ईयू) अपनी कंपनियों के लिए सब्सिडी और टैक्स छूट देने की योजना तैयार कर रही है।
अमेरिका यात्रा पर आए ईयू के विदेश नीति विभाग में सेक्रेटरी जेनरल स्टीफानो सैनियो ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यूरोप और अमेरिका दोनों सब्सिडी देने के रास्ते पर चलें, यह विवेकपूर्ण कदम नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका ईयू को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहा है। इस बीच यह खबर भी है कि ईयू अमेरिकी कानून को विश्व व्यापार संगठन में चुनौती देने पर विचार कर रहा है।
एक्सियोस.कॉम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अमेरिकी नीति के खिलाफ यूरोप जैसी ही कड़ी प्रतिक्रिया दक्षिण कोरिया में भी हुई है। जापान ने भी दबे स्वर में इस पर एतराज किया है। इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट के अलावा विवाद का एक मुद्दा अमेरिका का चीन के साथ चिप कारोबार पर लगाया गया प्रतिबंध भी है। जापान और नीदरलैंड्स की चिप निर्माता कंपनियों ने साफ कहा है कि इस प्रतिबंध का पालन करने पर उन्हें भारी नुकसान होगा, क्योंकि चीन उनका प्रमुख बाजार है। ताइवान की भी ऐसी ही चिंता है। खबरों के मुताबिक दक्षिण कोरिया और ताइवान के अधिकारियों ने बाइडन प्रशासन को अपनी चिंताएं बताई भी हैं।