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नेपाल में संकट: ओली व देउबा ने पेश किए नई सरकार के दावे, राष्ट्रपति लेंगी विशेषज्ञों की राय

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Fri, 21 May 2021 07:17 PM IST
सार

नेपाल में सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को मौजूदा पीएम केपी शर्मा व विपक्षी दलों ने पूर्व पीएम देउबा के नेतृत्व में नई सरकार बनाने के दावे पेश कर दिए। 

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Crisis in Nepal: Oli and Deuba present claims of new government, President will take the opinion of experts
शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा ने नई सरकार बनाने के अलग-अलग दावे पेश किए। दोनों ने राष्ट्रपति की ओर से तय शुक्रवार शाम पांच बजे तक के समय से कुछ ही मिनट पहले अपने-अपने दावे पेश किए। इसके बाद राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने विपक्षी गठबंधन से कहा कि वह सरकार बनाने के मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों से परामर्श करेंगी। इसके बाद ही कोई निर्णय लेंगी। एक खबर में यह दावा किया गया है। 

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ओली ने दावे में यह कहा
मौजूदा पीएम ओली ने घोषणा की कि उन्हें प्रतिनिधि सभा में 153 सदस्यों का समथर्न प्राप्त है। उन्होंने एक दिन पहले राष्ट्रपति भंडारी से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुरूप नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने एक और शक्ति परीक्षण के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं होने का हवाला दिया था। ओली ने शुक्रवार को जो पत्र राष्ट्रपति को सौंपा उस पर उनके साथ जेएसपी-एन के अध्यक्ष महंत ठाकुर और पार्टी के संसदीय दल के नेता राजेंद्र महतो के हस्ताक्षर थे।
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देउबा ने अपने दावे में यह कहा
इसी तरह नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया। देउबा प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे। हिमालयन टाइम्स की खबर के अनुसार राष्ट्रपति ने विपक्षी नेताओं से कहा कि वह संविधान विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद फैसला लेंगी।

हस्ताक्षर के दुरुपयोग का दावा
हालांकि इस दौरान विवाद भी सामने आया जब माधव नेपाल धड़े के कुछ सांसदों ने कहा कि उनके हस्ताक्षरों का दुरुपयोग किया गया है और उन्होंने अपनी पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ प्रधानमंत्री के रूप में विपक्ष के नेता देउबा को निर्वाचित करने के लिए किसी पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं। अखबार के मुताबिक ओली के विदेश मामलों के सलाहकार राजन भट्टराई ने एक सांसद का पत्र प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी बिना जानकारी के उनके हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया। सत्तारूढ़ पार्टी में ओली और नेपाल के नेतृत्व वाले धड़ों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए गठित कार्यबल की बैठक में मौजूद कुछ नेताओं ने भी कहा कि बिना उनकी जानकारी के उनके दस्तखतों का उपयोग किया गया।

बहुमत के लिए चाहिए 136 सीटें
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ा दल है। इस समय बहुमत से सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है।

चार बार पीएम रह चुके हैं देउबा
शेर बहादुर देउबा (74) नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वह 1995 से 1997 तक, 2001 से 2002 तक, 2004 से 2005 तक और 2017 से 2018 तक इस पद पर रहे हैं। देउबा 2017 में आम चुनावों के बाद से विपक्ष के नेता हैं।

गेंद अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पाले में
राजनीतिक दलों को नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक का समय दिया था। सरकार ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भंडारी से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुरूप नयी सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए क्योंकि प्रधानमंत्री ओली एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने के पक्ष में नहीं हैं।

क्यों पैदा हुआ नेपाल में संकट
प्रधानमंत्री ओली को 10 मई को उनके पुन: निर्वाचन के बाद प्रतिनिधि सभा में 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना था। आशंका थी कि अगर अनुच्छेद 76 (5) के तहत नई सरकार नहीं बन सकी तो ओली अनुच्छेद 76 (7) का प्रयोग कर एक बार फिर प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश करते। ओली सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष हैं। उन्हें 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। इससे चार दिन पहले ही वह संसद में विश्वास मत में पराजित हो गए थे।

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