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Nepal: 12 जुलाई को नेपाल में विश्वास मत, डेढ़ साल में पांचवी बार प्रधानमंत्री प्रचंड करेंगे सामना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 05 Jul 2024 05:23 PM IST
सार
नेपाल में सत्ता का संकट बरकरार है। दो दिन पहले सत्ताधारी दल की सहयोगी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने समर्थन वापस लिया और कैबिनेट के आठ मंत्रियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया था। इससे पहले नेपाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को पद छोड़ने का आग्रह किया था।
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12 जुलाई को नेपाल में विश्वास मत
- फोटो : ANI
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विस्तार
नेपाल में पिछले 16 सालों में 13 बार सरकार बनी और गिरी है। जो देश की खराब राजनीतिक प्रणाली की नाजुक पहलू को दर्शाता है। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' से इसी हफ्ते सत्ता दो प्रमुख गठबंधन सहयोगियों से समर्थन खो दिया था। जिसके बाद ये घोषणा की गई कि प्रधानमंत्री प्रचंड आगामी गुरुवार 12 जुलाई को संसद में विश्वास मत हासिल करने के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने विश्वास मत का चुना विकल्प
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री प्रचंड ने संसद सचिवालय को एक पत्र भेजा है, जिसमें मतदान की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री दहल ने देश की संविधान के अनुच्छेद 100(2) के तहत विश्वास मत के लिए जाने का विकल्प चुना है, जिसमें कहा गया है कि 'अगर प्रधानमंत्री जिस राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह विभाजित है या गठबंधन सरकार में कोई राजनीतिक दल अपना समर्थन वापस ले लेता है, तो प्रधानमंत्री को 30 दिनों के अंदर संसद में विश्वास मत के लिए प्रस्ताव पेश करना चाहिए।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस्तीफे से किया था इनकार
इससे पहले, प्रधानमंत्री प्रचंड ने घोषणा की थी कि वो सबसे बड़ी पार्टी के आठ कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पद नहीं छोड़ेंगे और इसके बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करेंगे। उन्होंने ये घोषणा नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली के नए एनसी-यूएमएल गठबंधन सरकार बनाने के लिए सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद की गई।
नेपाल की संसद में क्या है सीटों का समीकरण?
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर (सीपीएन एमसी) के पास 32 सीटें हैं। वहीं निचले सदन में 10 सीट वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने कहा है कि वह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। इसके बावजूद, प्रधानमंत्री प्रचंड को संसद के केवल 63 सदस्यों का ही समर्थन प्राप्त है। जबकि सरकार को सदन में विश्वास मत जीतने के लिए 138 वोटों की जरूरत है।
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प्रधानमंत्री प्रचंड ने विश्वास मत का चुना विकल्प
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री प्रचंड ने संसद सचिवालय को एक पत्र भेजा है, जिसमें मतदान की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री दहल ने देश की संविधान के अनुच्छेद 100(2) के तहत विश्वास मत के लिए जाने का विकल्प चुना है, जिसमें कहा गया है कि 'अगर प्रधानमंत्री जिस राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह विभाजित है या गठबंधन सरकार में कोई राजनीतिक दल अपना समर्थन वापस ले लेता है, तो प्रधानमंत्री को 30 दिनों के अंदर संसद में विश्वास मत के लिए प्रस्ताव पेश करना चाहिए।
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प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस्तीफे से किया था इनकार
इससे पहले, प्रधानमंत्री प्रचंड ने घोषणा की थी कि वो सबसे बड़ी पार्टी के आठ कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पद नहीं छोड़ेंगे और इसके बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करेंगे। उन्होंने ये घोषणा नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली के नए एनसी-यूएमएल गठबंधन सरकार बनाने के लिए सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद की गई।
नेपाल की संसद में क्या है सीटों का समीकरण?
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर (सीपीएन एमसी) के पास 32 सीटें हैं। वहीं निचले सदन में 10 सीट वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने कहा है कि वह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। इसके बावजूद, प्रधानमंत्री प्रचंड को संसद के केवल 63 सदस्यों का ही समर्थन प्राप्त है। जबकि सरकार को सदन में विश्वास मत जीतने के लिए 138 वोटों की जरूरत है।