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मुनीर की नई गीदड़भभकी: क्या सच में भारत के लिए खतरा है पाकिस्तान का परमाणु जखीरा, न्यूक्लियर बटन किसके पास?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 11 Aug 2025 09:29 PM IST
सार

आसिम मुनीर ने अपने अमेरिकी दौरे पर किस मुद्दे को लेकर क्या कहा है? पाकिस्तान का परमाणु जखीरा कितना बड़ा है और भारत के खिलाफ यह कितना कारगर है? इसके अलावा पाकिस्तान का न्यूक्लियर बटन किसके पास है और उसकी गीदड़भभकियां कितनी गंभीर हो सकती हैं? आइये जानते हैं...

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Pakistan Field Marshal Asim Munir in US Nulear Weapons India attack danger PM Shehbaz Sharif power explained
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की भारत को फिर परमाणु हमले की गीदड़भभकी। - फोटो : अमर उजाला
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पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका की धरती से भारत को लेकर भड़काऊ बयानबाजी की है। पहले भारत को मर्सिडीज कार और खुद की तुलना डंप ट्रक से करने के बाद पाकिस्तान ने खुद को पूरी दुनिया के लिए परमाणु खतरा बताते हुए आगाह किया है कि अगर हमारे ऊपर अस्तित्व का खतरा होता है तो हम आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेंगे।
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मुनीर के इन बयानों को लेकर भारत ने कड़ी नाराजगी जताई है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसी टिप्पणियों में निहित गैर-जिम्मेदारी पर अपने निष्कर्ष निकाल सकता है। मुनीर का बयान ऐसे देश में परमाणु कमान और नियंत्रण की अखंडता पर गहरी शंकाओं की ओर इशारा करते हैं, जहां सेना आतंकवादी समूहों के साथ मिली हुई है। यह भी खेदजनक है कि ये टिप्पणियां किसी मित्र देश की धरती से की गई हैं।"
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भारत ने लगाई फटकार - फोटो : Amar Ujala
आखिर आसिम मुनीर ने अपने अमेरिकी दौरे पर किस मुद्दे को लेकर क्या कहा है? पाकिस्तान का परमाणु जखीरा कितना बड़ा है और भारत के खिलाफ यह कितना कारगर है? इसके अलावा पाकिस्तान का न्यूक्लियर बटन किसके पास है और उसकी गीदड़भभकियां कितनी गंभीर हो सकती हैं? आइये जानते हैं...

पाकिस्तान का परमाणु जखीरा कितना बड़ा?
रक्षा और हथियार से जुड़े मामलों में अग्रणी थिंक टैंक- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान के पास मौजूदा समय में 170 परमाणु वॉरहेड्स हैं। जनवरी 2025 में जारी हुई विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के परमाणु जखीरे में इस वक्त 180 वॉरहेड्स हैं। 

यह भी पढ़ें: Pakistan: आसिम मुनीर ने दुनिया के सामने फिर कराई बेइज्जती; भारत को मर्सिडीज तो पाकिस्तान को कहा डंपिंग ट्रक

दूसरी तरफ बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स की 2023 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान के पास अपने परमाणु जखीरे को जल्द बढ़ाने की क्षमता भी है, क्योंकि उसके पास चार प्लूटोनियम प्रोडक्शन रिएक्टर्स और परमाणु संवर्धन से जुड़ा जबरदस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। इसके अलावा वह परमाणु हथियार बनाने की नई प्रणालियों को भी विकसित कर रहा है। 

थलसेना, वायुसेना या नौसेना, परमाणु क्षमता में कौन, कहां?
रक्षा मामलों से जुड़े अमेरिकी संस्थान सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन प्रॉलिफरेशन (armscontrolcenter.org) के मुताबिक, पाकिस्तान ने अपने पहले परमाणु हथियार का परीक्षण 1998 में किया था। तब से लेकर अब तक उसने 5 से 12 किलोटन के परमाणु हथियार से लेकर 40 किलोटन तक के हथियार बना लिए हैं। जहां भारत की नीति 'नो फर्स्ट यूज' यानी पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल न करने की है, वहीं पाकिस्तान ऐसी किसी नीति को नहीं मानता, खासकर भारत के खिलाफ।

इस संस्था के मुताबिक, पाकिस्तान के पास मुख्यतः जमीन से मार करने वाले परमाणु हथियारों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत के खिलाफ उसके पास 100 से ज्यादा छोटी से मध्यम रेंज तक मार करने वाली बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें हैं। उसके पास छह तरह की 100 से ज्यादा ऐसी मिसाइल हैं, जो पांच से 40 किलोटन तक परमाणु वॉरहेड ले जाने में सक्षम हैं। इन मिसाइलों में छोटी रेंज की अब्दाली, गजनवी, शाहीन-1 और नस्र मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा उसकी पास मध्यम रेंज की शाहीन-2 और गोरी मिसाइल मौजूद हैं। इसके अलावा वह शाहीन-3 को विकसित कर रहा है, जिसकी रेंज 2750 किमी तक हो सकती है, जो कि भारत को कहीं भी निशाना बना सकती है।

दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास परमाणु हमले के लिए एफ-16 और कुछ मिराज-III एयरक्राफ्ट भी हैं। हालांकि, उसके पास वायुसेना के लायक सिर्फ 36 परमाणु वॉरहेड्स हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान की समुद्र से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता अभी भी सवालों के घेरे में है। हालांकि, उसने ऐसे परीक्षण करने की कोशिशें की हैं। 

यह भी पढ़ें: India: 'जब भी अमेरिका पाकिस्तानी सेना का समर्थन करता है, वे हमेशा असली रंग दिखाते हैं', भारत की मुनीर को लताड़

सेना या सरकार, पाकिस्तान में परमाणु बटन पर किसका अधिकार?
पाकिस्तान के पास इतना बड़ा परमाणु जखीरा होना पूरी दुनिया के लिए चिंता बना रहा है। हालांकि, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की धमकियों को गीदड़भभकी साबित कर दिया था। तब कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत ने पाकिस्तान के किराना हिल्स स्थित परमाणु ठिकाने के पास भी निशाना बनाया। सोशल मीडिया पर इस दौरान यह भी चर्चाएं उठीं थीं कि पाकिस्तान के इस परमाणु ठिकाने का अमेरिका की तरफ से प्रबंधन किया जाता है। हालांकि, न तो भारत ने इस ठिकाने को निशाना बनाने की बात कही और न ही पाकिस्तान या अमेरिका ने इस जगह के तबाह होने को लेकर आगे कोई चर्चा छेड़ी। 

हालांकि, भारत के इस हमले ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर बटन पर अधिकार को लेकर सवाल जरूर छेड़ दिए थे। पाकिस्तान में परमाणु जखीरे पर अधिकार को लकेर तीन थ्योरी हैं...

Pakistan Field Marshal Asim Munir in US Nulear Weapons India attack danger PM Shehbaz Sharif power explained
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर - फोटो : ANI
थ्योरी-1: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास 
पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का नियंत्रण आमतौर पर शासन में उच्च नेतृत्व के पास होने का प्रोटोकॉल है। यानी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री परमाणु हथियारों के प्रयोग को लेकर फैसला ले सकते हैं। हालांकि, पाकिस्तान के परमाणु जखीरे पर नियंत्रण रखने वाले नेशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। 2000 के बाद से ही पाकिस्तान की परमाणु और मिसाइल नीति पर फैसला करने वाली यह सबसे बड़ी संस्था है। 

लेकिन परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कदम मनमाने तरीके से न उठाया जाए, इसके लिए पाकिस्तान में एक न्यूक्लियर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (एनसीसीएस) तंत्र तैनात है। यहीं से पाकिस्तान के परमाणु जखीरे पर नियंत्रण की जंग दिलचस्प होती है। दरअसल, इस तंत्र के तहत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आपसी सहमति के बाद परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर फैसला कर सकते हैं, हालांकि सेना की सलाह और संस्तुति को भी जरूरी रखा गया है।  

थ्योरी-2: सेना के पास
पाकिस्तान में स्थापित मानकों से उलट सेना के पास असीमित ताकतें हैं। फील्ड मार्शल मुनीर के बयानों से यह काफी हद तक साफ भी है कि पाकिस्तान में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सिर्फ और सिर्फ सेना के निर्देश पर ही परमाणु हथियारों को लेकर कोई फैसला कर सकते हैं। पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की सुरक्षा का जिम्मा सेना के पास है। साथ ही इनकी लॉन्चिंग की जिम्मेदारी भी सैन्य अफसरों के हाथ में है। ऐसे में पूरी प्रक्रिया सीधे तौर पर सेना पर निर्भर है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटिजिक स्टडीज (आईआईएसएस) के मुताबिक, यूं तो पाकिस्तान में नागरिकों द्वारा चुनी सरकार को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अच्छी-खासी ताकत दिखाई गई है, लेकिन यह सिर्फ दिखावटी ही है। असलियत में सैन्य संकट या युद्ध के दौरान परमाणु हथियार के प्रयोग का फैसला सेना के पास ही होगा। 

थ्योरी-3: अमेरिका के पास
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान के कई एयरबेस को तबाह कर दिया था, तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों के संघर्ष को परमाणु युद्ध में बदलने से रोक लिया। इसी दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी- सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के पूर्व अफसर और व्हिसलब्लोअर जॉन किरियाकू ने दावा किया था कि पाकिस्तान की सरकार ने अपने परमाणु जखीरे का नियंत्रण एक अमेरिकी जनरल को सौंपा है। किरियाकू एक समय में खुद जासूसी कार्यक्रम के तहत आईएसआई के साथ साझा अभियान में शामिल रहे हैं।

इतना ही नहीं जून 2025 में पाकिस्तान के एक सुरक्षा विशेषज्ञ इम्तियाज गुल ने दावा किया था कि पाकिस्तान का कूटनीतिक तौर पर अहम नूर खान एयरबेस भी अमेरिका के नियंत्रण में है और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी भी वहां अपनी मर्जी से नहीं जा सकते। पाकिस्तान का यह एयरबेस परमाणु हथियारों की सुरक्षा करने वाली स्ट्रैटिजिक प्लान्स डिवीजन के भी काफी करीब स्थित है।  

इन तीन थ्योरी के अलावा 2011 में अमेरिकी मीडिया ग्रुप एनबीसी न्यूज ने एक बड़ा दावा किया था। इस चैनल ने कहा था कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को कब्जे में लेने के लिए एक 'झपटो और छीनो योजना' (स्नैच एंड ग्रैब प्लान) है। यानी अगर कभी अमेरिकी राष्ट्रपति को यह महसूस होता है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार उसके या उसके हितधारकों के लिए खतरा हैं तो वह जखीरे को अपने कब्जे में ले सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिका ने यह योजना 9/11 हमलों से भी पहले बना ली थी। हालांकि, तब यह भी दावा किया गया था कि पाकिस्तान के पूर्व सैन्य जनरल परवेज मुशर्रफ अमेरिका की इस नीति के खिलाफ थे और उसे धमकी दे चुके थे।
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